राहत के बीच: जिस देश की जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त हो, वह बदल कैसे सकता है ?
सरकार ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस में राहत देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है देखना है विपक्ष अब अपनी क्या रणनीति बनाती है
देवानंद सिंह
जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब देश एक अजीब स्थिति के दौर से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार के तमाम मामले उजागर हो रहे हैं, महंगाई अपने चरम पर है, युवाओं के बीच लगातार बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। बेरोजगारी इतनी बढ़ गई है कि उसने, पिछले 40 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। सरकार कहती है कि देश बदल रहा है। इस दौर में ईमानदारी है, उस दौर में भ्रष्टाचार था। मोदी शाशनकाल में विपक्षी नेताओं पर ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग का ऐसा शिकंजा है कि उनका का एक तरह से वजूद ही खत्म होता जा रहा है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बाद भी देश में विपक्ष तो शून्य हो गया है, जबकि लोकतंत्र में विपक्ष की ही सबसे बड़ी भूमिका होती है। हैरान करने वाली बात यह है कि देश में दशकों तक राज करने वाली देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अपनी सबसे अधिक दुर्दिनों को झेल रही है। आलम यह है कि लाचार, विवश कांग्रेस अब अपने उदय और पुनर्जन्म के लिए उदयपुर में चिंतन शिविर में मंथन करने के लिए जुटी है। देखना यह दिलचस्प होगा कि इस मंथन के बाद कांग्रेस कितना बदल पाती है। उदयपुर में बैठकर सत्ता से दो-दो हाथ करने में वह सक्षम हो पाएगी या नहीं ? देश के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सके। उसका ग्राफ लगातार गिर रहा है। यही वजह है कि देश में आज सरकार से सवाल पूछने की स्थिति में कोई नहीं है। यह सच भी है, जब देश में विपक्ष ही कमजोर हो तो आम इंसान सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत कैसे कर पाएगा ? कांग्रेस के दिन इसीलिए भी खराब होते जा रहे हैं, क्योंकि उसके युवा नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। वे बीजेपी का दामन पकड़ चुके हैं। इसीलिए किस बूते कांग्रेस सरकार से दो-दो हाथ करेगी, यह बहुत बड़ा चिंतन का विषय है। इस बीच एक यह भी सवाल है कि जहां कांग्रेस अपने भविष्य को लेकर चिंतित है, वहीं बीजेपी की राष्ट्रपति चुनाव और राज्यसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 पर नजर है। जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए हैं, उससे तो साफ दिखता है कि पहले सब भ्रष्टाचारी थे या फिर विपक्ष की नजरिए से देखें तो भ्रष्टाचार को सिस्टम में तब्दील कर दिया गया, लेकिन आम जनता में ये सवाल बनकर ही रह जा रहा है। बहरहाल, कांग्रेस के मंथन शिविर से जो बातें निकलकर आएगी, उसके बाद इस पर चर्चा कर सकते हैं। अभी तो यह मान लेना होगा कि पहले नेता भ्रष्ट थे। मौजूदा सरकार ईमानदार है और मीडिया की भूमिका संदेह के घेरे में, क्योंकि मीडिया सिर्फ सरकार का ही गुणगान कर रही है। इस देश की यह अजीब स्थिति है, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के पास जनता के कोई मुद्दे नहीं रह गए हैं, इसीलिए आम जनता महंगाई से परेशान है और सरकार कहती हैं देश बदल रहा है। क्या कोई सरकार से यह पूछे कि जिस देश की जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त हो, वह बदल कैसे सकता है ? हालांकि सरकार ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस में राहत देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दामों में की गई कमी पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इसका श्रेय लेते हुए कहा है कि उनके दबाव में यह कटौती की गई है जबकि सत्ता पक्ष में इसे जनहित से जुड़ा फैसला बताया है देखना है विपक्ष अब अपनी क्या रणनीति बनाती है