न्यायिक सुधारों की राज्यसभा में उठी मांग
नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) सदस्य राघव चड्ढा ने देश में न्यायिक सुधारों की मांग करते हुए न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत पर बल दिया।
आप सदस्य ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और कहा कि अदालत को न्याय का मंदिर माना जाता है और लोगों को भरोसा रहता है कि वहां अन्याय नहीं होगा।
आप सदस्य ने कहा, ‘‘आम आदमी जब अदालत की चौखट पर जाता है तो उसे विश्वास होता है कि उसे न्याय जरूर मिलेगा। समय-समय पर न्यायपालिका ने अपने भरोसे को और मजबूत किया है। लेकिन हाल में घटी कुछ घटनाओं के चलते देश चिंतित है और जोर न्यायिक सुधारों पर है।’’
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देश में चुनाव सुधार, पुलिस सुधार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार हुए, वैसे ही न्यायिक सुधारों की भी जरूरत है लेकिन सुधार ऐसे हों जो न्यायिक स्वतंत्रता को मजबूत करें और न्यायिक भ्रष्टाचार को दूर करें।
चड्ढा ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के तहत होती है और समय-समय पर इस तंत्र की खामियां सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि कॉलेजियम स्वयं ही अपने आप में सुधार करे ताकि पारदर्शिता सामने आ सके।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पारदर्शी प्रणाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार किसी अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने की पारदर्शी प्रक्रिया है, उसी प्रकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए भी एक पारदर्शी प्रक्रिया हो।
आप सदस्यों ने मांग की कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद अगले दो साल तक किसी सरकारी पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।