नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई की परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. साथ ही छात्रों के परीक्षा पैटर्न का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड की ओर से लाई गई मूल्यांकन योजना को आगे बढ़ाने की भी अनुमति दे दी है.जस्टिस ए. एम. खानविल्कर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच में बुधवार को सीबीएसई कंपार्टमेंट, प्राइवेट एग्जाम रद्द करने की मांग वाली 1152 छात्रों की याचिका पर भी सुनवाई हुई. इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि स्टेट और सेंट्रल बोर्ड को एक ही नियमों में नहीं बांधा जा सकता. हर बोर्ड के अपने नियम कायदे हैं और वे अपने हिसाब से असेसमेंट पॉलिसी तय करने का अधिकार रखते हैं. इसके साथ ही कोरोना महामारी में स्टूडेंट्स को सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी है. इसलिए एग्जाम नहीं करवाया जा सकता.
स्टूडेंट्स को मूल्यांकन के फॉर्मूले पर आपत्ति
स्टूडेंट्स और पैरेंट्स की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि अब कोरोना संक्रमण के मामले कम हो गए हैं. ऐसे में फिजिकल एग्जाम कराए जाने चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि एक सीनियर मैथ्स टीचर भी आईसीएसई और सीबीएसई के मूल्यांकन के तैयार फॉर्मूले को नहीं समझ पा रहे हैं, तो स्टूडेंट्स कैसे समझेंगे.
15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच होंगे एग्जाम
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दोनों ही केंद्रीय बोर्ड के 12वीं के मूल्यांकन मानदंड में समानता होनी चाहिए. साथ ही रिजल्ट की घोषणा भी एक साथ करनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने दोनों बोर्ड द्वारा पेश किए गए क्राइटेरिया को स्वीकार कर लिया है. सुनवाई के दौरान बोर्ड ने बताया कि 31 जुलाई को नतीजे घोषित किए जाएंगे. साथ ही अगर हालात सामान्य हुए तो एग्जाम 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कराए जा सकते हैं. ऑप्शनल एग्जाम में मिले अंकों को ही फाइनल माना जाएगा.