अपराध के साथ-साथ विधि व्यवस्था पर नियंत्रण पुलिस की पहली प्राथमिकता* : सीसीआर डीएसपी अरविंद कुमार
पूर्वी सिंहभूम जिला कंपोजिट कंट्रोल रूम में डीएसपी अरविंद कुमार एक बेहतर कार्यशैली वाले पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं. पुलिस नेतृत्व की क्षमता भी उनमें अद्भुत है. कनीय पुलिस अधिकारी के रूप में जिले में कार्य कर चुके डीएसपी अरविंद कुमार की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. अनुभवी, धीर और गंभीर पुलिस अधिकारी के रूप उनकी पहचान है. सोशल पुलिसिंग में उनका जवाब नहीं. बड़ी और गंभीर समस्याओं को निपटाने की जवाबदेही आमतौर पर इनके ही जिम्मे होती है. जब भी वरीय अधिकारियों ने उनके कंधों पर चुनौती भरा कार्य सौंपा, उन्होंने उसे बड़ी ही दक्षता के साथ पूरा किया. आपराधिक वारदात हो अथवा विधि व्यवस्था की समस्या, उन्होंने बढ़-चढ़कर उसे सुलझाने में अपनी भूमिका निभाई. मृदुभाषी और नम्र स्वभाव वाले डीएसपी का लोगों ने जरूरत पड़ने पर सख्त रूप भी देखा. बिरसानगर में अधिवक्ता की हत्या के बाद विरोध में रोड जाम, कोर्ट के गेट के बाहर धरना प्रदर्शन हो अथवा गोलमुरी में घटना के विरोध में सड़क जाम इन तमाम जगहों पर डीएसपी ने अपनी महती भूमिका अदा की और मामले को सुलझाने में सफल रहे. ऐसा करके उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों का विश्वास जीता. शहर की विधि व्यवस्था, अपराध पर नियंत्रण, सोशल पुलिसिंग पर डीएसपी ने बड़ी ही बेबाकी से अपने विचार रखें.
जिले में पुलिस की चुनौती, विधि व्यवस्था की समस्या जैसे मुद्दों पर डीएसपी ने राष्ट्र संवाद के उप संपादक राम कंडे मिश्र से एक संक्षिप्त बातचीत की. डीएसपी ने बताया की पुलिस का काम लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन रखना है. अपराध पर नियंत्रण के साथ विधि व्यवस्था भी जुड़ी होती है. चोरी और छिनताई जैसे अपराध हो अथवा सड़क हादसे के बाद रोड जाम और हिंसात्मक कार्य, ए सभी विधि व्यवस्था के लिए समस्या बन जाते हैं. इसलिए अपराध पर नियंत्रण काफी जरूरी होता है . डीएसपी ने माना की अपराध तो होते हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह होता है कि अपराधिक वारदातों का उद्भेदन हो . अपराधियों की गिरफ्तारी हो और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया जाए. इतना ही नहीं कोर्ट में बेहतर अनुसंधान के साथ पुलिस अपनी रिपोर्ट रखें और अपराधियों को सजा दिलवाने में अपनी भूमिका निभाए . यह भी पुलिस के कार्यों के अंतर्गत आता है. डीएसपी का कहना था कि जिले में अपराध पर पुलिस का नियंत्रण है . विधि व्यवस्था की समस्या नहीं के बराबर है. वरीय एसपी डॉक्टर तमिल वानन के नेतृत्व में पुलिस ने बेहतर काम किया है . डीएसपी ने माना कि आज के समय में सूचना तंत्र की महत्ता काफी बढ़ गई है, और पुलिस कंट्रोल रूम इसमें अपनी महती भूमिका निभाता है. जितनी जल्दी सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है, उतनी जल्दी पुलिस अपराधियों तक पहुंचती है, और मामले का उद्भेदन करने में सफल होती है. कंट्रोल रूम में पेट्रोलिंग के लिए पर्याप्त वाहन है. पुलिस की टीम है . 20 बड़े पेट्रोलिंग वाहन है. 50 बाइक है. जिनसे पूरे शहर में चौबीसों घंटे पेट्रोलिंग की जाती है. बाइकों से टाइगर मोबाइल के जवान पूरे शहर में गस्त करते हैं. पुलिसकर्मियों और पुलिस अधिकारियों की टीम है, जिसकी समय दर समय ड्यूटी निर्धारित है. डीएसपी ने माना कि आज की तिथि में पुलिस की ड्यूटी चुनौतीपूर्ण है. कभी-कभी तो ऐसे मौके आते हैं,जब पुलिस को ड्यूटी के दौरान सड़क पर ही खाना खाना पड़ता है . उसके पास यह समय नहीं होता कि वह होटल में या घर में जाकर खाना खाए. फिर भी पुलिस अपने जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ती. अपनी जिम्मेदारियों का खूबी निर्वहन करती है . आज कोरोना महामारी का संकट गंभीर है . पुलिस इन चुनौतियों से भी पीछे नहीं हटती . यही वजह है कि कई पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हुए और उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती होना. कुछ थानों को भी क्वारंटाइन होना पड़ा. लेकिन पुलिस अपनी ड्यूटी में तत्पर रही. सीसीआर डीएसपी के जिम्मे बिष्टुपुर थाना का एरिया आता है . जब उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर बिष्टुपुर में अपराध नियंत्रण के लिए उनके स्तर से कौन-कौन से काम किए गए ? इस पर डीएसपी ने बड़े ही आत्मविश्वास से भरा हुआ जवाब दिया. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कुछ खास पॉइंट है. जहां अपराधिक वारदात हो सकते हैं . वहां पुलिस की स्थाई ड्यूटी लगाई गई है. उन्हें अलर्ट रहने को कहा गया है. पेट्रोलिंग वाहन चौबीसों घंटे बिष्टुपुर क्षेत्र में गस्त करते हैं . टाइगर मोबाइल के जवानों को भी क्षेत्र में गश्ती में लगाया गया है . आर्थिक प्रतिष्ठान, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर पुलिस का पहरा है . उन पर निगरानी रखी जाती है. महत्वपूर्ण चौक चौराहों पर पुलिस की ड्यूटी है. बिष्टुपुर बाजार में भी विशेष गस्त का ध्यान रखा गया है .यही वजह है कि बिष्टुपुर में अपराधियों की गतिविधियां कंट्रोल में है. पिछले वर्ष सीसीआर में योगदान देने वाले डीएसपी अरविंद कुमार अपनी ड्यूटी के प्रति बड़े ही संवेदनशील रहते हैं . अपनी जवाबदेही और जिम्मेदारी से उन्होंने कभी मुंह नहीं मोड़ा.
सोशल पुलिसिंग पर भी डीएसपी ने अपने स्पष्ट विचार रखें . उन्होंने बताया कि आज पब्लिक की ओर से पुलिस को जो सूचनाएं मिलती हैं , उसकी विश्वसनीयता बहुत रहती है. पब्लिक के सहयोग के बिना पुलिस का काम कठिन हो सकता है. शहर की जनता पुलिस का सहयोग करती है. कई ऐसे मौकों पर पुलिस ने आमजन की सूचना पर कार्रवाई की और उसमें कामयाबी भी मिली . उन्होंने माना कि जमशेदपुर में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा हैं. लोग जागरूक और बुद्धिजीवी है. पुलिस को उसके कार्यों में सहयोग भी मिलता है. डीएसपी ने सहयोग के लिए जिले की जनता का आभार भी जताया. उन्होंने बताया की पुलिस के साथ-साथ जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. गली मोहल्ले और शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस और पब्लिक की मीटिंग होती है. थाना स्तर पर शांति समितियां और पुलिस पब्लिक समन्वय समितियों का गठन किया गया है . ताकि पुलिस समाज के बुद्धिजीवी और जागरूक लोगों के साथ अपना संबंध बेहतर बनाएं और सहयोगी की भूमिका में काम करें. समाज में भाईचारे के साथ-साथ सामाजिक समरसता की भी जरूरत है . विभिन्न धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं . पुलिस को उनके बीच समन्वय स्थापित करना पड़ता है. यही वजह है कि विभिन्न धर्मावलंबियों के पर्व त्योहारों के मौके पर पब्लिक के साथ मीटिंग की जाती है. पुलिस लोगों की समस्याएं सुनती हैं, और उसके निदान का उपाय भी करती हैं. डीएसपी ने कहा कि शांति और व्यवस्था बनाए रखने में भी पुलिस को जनता का सहयोग चाहिए. समाज में गैर कानूनी कार्य करने वाले और असामाजिक लोगों का कोई स्थान नहीं होता है. आम लोगों को पुलिस से डरने के बजाय भाईचारे की भूमिका के रूप में रहना जरूरी है. कई ऐसे मौके पर पुलिस को सोशल पुलिसिंग का फायदा भी मिलता है. कभी कोई ऐसी घटना हो जाती है जिसके विरोध में लोग सड़क पर उतर जाते हैं. लॉ एण्ड ऑर्डर की समस्या खड़ी हो जाती है . पुलिस पर पथराव हो जाते हैं. ऐसे में हिंसा पर उतारू भीड़ को कंट्रोल करने में सोशल पुलिसिंग का काफी महत्वपूर्ण रोल होता है. ऐसे में एक सुलझे हुए चरित्र वाले पुलिस अधिकारी की जरूरत पड़ती है.
सीसीआर के अलावे डीएसपी के जिम्मे महिला कोषांग का भी प्रभार होता है. यह पूछने पर कि महिला कोषांग में उनकी भूमिका क्या होती है, तो डीएसपी ने बताया कि मुकदमा के पहले सामाजिक समझौते पर बल दिया जाता है. इस बात की कोशिश की जाती है कि परिवार बिखरे नहीं . बात नहीं बने तो फिर पुलिस लीगल प्रोसेस से काम करती है. वहां भी पुलिस की भूमिका सोशल पुलिसिंग की ही होती है . डीएसपी ने बताया की पुलिस का प्रयास होता है कि वह लोगों को शांति दे . अपराध पर नियंत्रण रखें . लोग निडर होकर अपना काम करें. बातचीत के अंत में डीएसपी ने लोगों से अपील की कि वे पुलिस पर भरोसा रखें. पुलिस हर मौके पर उनकी रक्षा के लिए प्रतिज्ञाबद्ध है. जब भी जरूरत पड़े और समस्या आए तो एक सूचना पर पुलिस के अधिकारी पेट्रोलिंग वैन जरूरतमंद तक पहुंचती है . बड़े से बड़े मामलों का निपटारा भी समझौते के आधार पर किया जा सकता है . बशर्ते लोग जिम्मेदार बने और जवाबदेह बने.