नई दिल्ली. मांग और आपूर्ति में अंतर के चलते दाल और एडिबल ऑयल्स जैसे फूड आइटम्स के भाव पर दबाव बना रहेगा और इनके भाव बढ़ सकते हैं. हालांकि 2020-21 में बंपर उत्पादन के चलते अनाज के भाव में नरमी आ सकती है. आरबीआई ने यह अनुमान आज 27 मई को जारी अपने सालाना रिपोर्ट में व्यक्त किया है. इसके अलावा केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि अगले कुछ महीनों तक वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल के भाव में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित इंफ्लेशंस से फूड इंफ्लेशन का पता चलता है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कोरोना महामारी के चलते देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के कारण सीपीआई आधारित फूड इंफ्लेशन में बढ़ोतरी हुई थी, जबकि डब्ल्यूपीआई आधारित फूड इन्फ्लेशन में गिरावट रही थी. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इससे सप्लाई चेन में रुकावट की भूमिका का अंदाजा लगाया जा सकता है.
केंद्रीय बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कोरोना की दूसरी लहर का जिक्र करते कहा कि इसका इंफ्लेशन पर असर पड़ेगा. महामारी के चलते बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हुई है, मार्च 2021 से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और कंटेनमेंट से जुड़े नियमों के चलते सप्लाई चेन प्रभावित हुआ है. इससे इंफ्लेशन पर असर पड़ सकता है. सप्लाई चेन में रुकावटों के चलते 2020-21 में हेडलाइन इन्फ्लेशन 2019-20 की तुलना में 1.4 फीसदी बढ़कर 6.2 फीसदी तक पहुंच गया था. हेडलाइन इन्फ्लेशन को सालाना आधार पर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में बदलाव के तौर पर मापा जाता है. अप्रैल-जुलाई 2020 में डब्ल्यूपीआई आधारित इंफ्लेशन शून्य के नीचे चला गया था और मई 2020 में 54 महीनों के निचले स्तर (-) 3.4 पर पहुंच गया था. वैश्विक स्तर पर नॉन-फूड प्राइमरी ऑर्टिकल्स के भाव में गिरावट और लॉकडाउन के चलते कीमतों में गिरावट के कारण मई 2020 में यह स्थिति बनी थी. डब्ल्यूपीआई आधारित इंफ्लेशन 2020-21 में 1.3 फीसदी तक कम हुआ था जबकि 2019-20 में यह 1.7 फीसदी था.
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते इकोनॉमी पर एक घाव बन गया है. हालांकि दूसरी लहर के बीच वैक्सीनेशन ड्राइव के चलते इकोनॉमी में फैली निराशा को दूर करने में मदद मिली है. दूसरी लहर के चलते वृद्धि दर के अनुमानों को संशोधित किया जा रहा है. आरबीआई के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर 10.5 फीसदी रह सकती है. तिमाही आधार पर बात करें तो इकोनॉमी अप्रैल-जून में 26.2 फीसदी, जुलाई-सितंबर में 8.3 फीसदी, अक्टूबर-दिसंबर में 5.4 फीसदी और जनवरी-मार्च में 6.2 फीसदी की दर से बढ़ेगी. आरबीआई के मुताबिक वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों से ही महामारी के खिलाफ बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं.