भाजपा सरकार आदिवासी को सरना/आदिवासी धर्म कोड नहीं देकर हिंदू बनाने की साजिश रच रही है : बुधराम लागुरी
लड़ के लिया झारखंड, लड़ के लेंगे सरना/आदिवासी धर्म कोड : झामुमो
भाजपा सरकार आदिवासी धर्म की मान्यता और विशिष्टता समाप्त कर अपमानित करने का कार्य कर रही है : झामुमो
राष्ट्र संवाद संवाददाता
रामगोपाल जेना
चाईबासा, 24 मई : भाजपा सरकार आदिवासियों की सरना/आदिवासी धर्म कोड नहीं देकर हिंदू बनाने की साजिश रच रही है । लड़ के लिया झारखंड, लड़ के लेंगे सरना/आदिवासी धर्म कोड । यह बातें आज झामुमो जिला प्रवक्ता बुधराम लागुरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है। श्री लागुरी ने कहा कि वर्ष 1961 की जनगणना एवं उसके बाद हुए 1971, 1981, 1991, 2001 और अभी अंतिम 2011 में हुए जनगणना कॉलम में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन एवं बौद्ध को पृथक धर्म के रूप में दर्शाया गया है और उनको अलग धर्म कोड दिया गया है। लेकिन अब तक इन 06 जनगणनाओं में केन्द्र की किसी भी सरकार में सरना/आदिवासी धर्म कोड को एक पृथक सरना/आदिवासी धर्म कोड को नहीं दर्शाया गया है और न ही अलग धर्म कोड का कॉलम दिया गया। इस तरह आदिवासी धर्म को अन्य धर्मों के कॉलम में डाल दिया गया अर्थात आदिवासी धर्म को पुटकर का दर्जा दे दिया गया ।जबकि वर्ष 1872 से लेकर वर्ष 1951 तक की प्रत्येक जनगणना में धर्म की गणना करने की प्रक्रिया में अन्य धर्म यथा हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और बौद्ध की तरह आदिवासी धर्म को भी एक पृथक धर्म के रूप में दर्शाया गया था। श्री लागुरी ने कहा कि आदिवासी भारत देश के प्रचीनतम निवासी है और भारत में उनका धर्म सबसे प्रचीनतम है। सबसे प्रचीनतम धर्म यथा सरना/आदिवासी धर्म अलग कोड और विशिष्ट दर्जा वर्ष 1961 की जनगणना से हटा दिया गया और इसे अन्य श्रेणी में डाल दिया गया है। श्री लागुरी ने कहा कि भाजपा सरकार आदिवासी धर्म की मान्यता और विशिष्टता समाप्त कर हम आदिवासियों को अपमानित करने का कार्य कर रही है। साथ ही साथ हमारी विशिष्ट पहचान को समाप्त कर हमें अन्य धर्मों में मिलाने की कोशिश कर रही है। इस मामले में दशकों से विभिन्न राज्यों में आदिवासियों ने भारत की जनगणना में सरना/आदिवासी के लिए अलग धर्म कोड यथा पहचान के लिए आंदोलन किया है और भारत सरकार के साथ वार्ता भी हुई है। इधर झारखंड राज्य में आदिवासियों ने अपनी सरना/आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर लगातार आंदोलन चल रही है। राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी मामले को लेकर बहुत ही गम्भीरता के साथ आदिवासियों की मांग को देखा और इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए गत 05 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में चर्चा कराकर पारित करते हुए राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र की भाजपा सरकार को अनुमोदन हेतु भेज दिया था। परंतु इन 05 वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार ने झारखंड की आदिवासियों को अपना हक व अधिकार दिलाने में नाकाम साबित हुए हैं। लेकिन अब झारखंड मुक्ति मोर्चा इस मुद्दे पर गंभीर है इसी को लेकर झामुमो अगले 27 मई से पूरे राज्य में विराट धरना प्रदर्शन आयोजित कर राष्ट्रपति के नाम से उपायुक्त, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा को मांग पत्र सौंपा जाएगा।