बेंगलुरु. कर्नाटक के मंगलुरु में 19 नवंबर को हुए बम धमाके की जिम्मेदारी इस्लामिक संगठन इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल ने ली है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल ने यह भी कहा कि उसके मुजाहिद भाई मोहम्मद शारिक ने कादरी में एक हिंदू मंदिर पर हमले की कोशिश की थी. वहीं पुलिस सूत्रों ने कहा कि वह इस सूचना के स्रोत की पुष्टि कर रहे हैं, जबकि शीर्ष पुलिस अधिकारी इस पर चुप हैं.
सोशल मीडिया पर प्रसारित एक संदेश में कहा गया है कि हम इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल (आईआरसी) संदेश देना चाहेंगे कि मंगलुरु में भगवा आतंकियों के गढ़ कादरी स्थित हिंदू मंदिर पर हमारे एक मुजाहिद भाई मोहम्मद शारिक ने हमला करने की कोशिश की. इमसें आगे कहा गया कि हालांकि यह अभियान सफल नहीं हुआ, फिर भी हम इसे रणनीति के नजरिये से सफल मानते हैं, क्योंकि राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा पीछा किए जाने के बावजूद, भाई उनसे बचने में सफल रहा और हमले की तैयारी की तथा उसे अंजाम दिया.
गौरतलब है कि कर्नाटक के शिवमोगा जिले के तीर्थहल्ली का रहने वाला 24 वर्षीय शारिक 19 नवंबर को एक प्रेशर कुकर बम लेकर ऑटोरिक्शा में यात्रा कर रहा था, जिसमें डेटोनेटर, तार और बैटरी लगी हुई थी और इसमें विस्फोट हो गया था. इस धमाके में वह झुलस गया और सिटी अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है. विस्फोट में ऑटो चालक भी घायल हो गया. पुलिस ने इस धमाके को आतंकी घटना करार दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आलोक कुमार ने बताया है कि शिमोगा केस में भी जिस फासफोरस का इस्तेमाल किया गया था, वह माचिस की तीलियों से लिया गया था. गौरतलब है कि शिमोगा में तुंगभद्रा नदी के पास इस साल सितंबर महीने में विस्फोट हुआ था. शिमोगा केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है.
इस मामले में 21 साल का इलैक्ट्रिकल इंजीनियर सैय्यद यासिन और 22 साल का इंजीनियरिंग स्टूडेंट माज मुनीर गिरफ्तार किए गए हैं. कर्नाटक पुलिस के अनुसार शारिक का मुख्य हैंडलर अब्दुल मतीन ताहा है. वह दुबई में रहता है. एडीजीपी कुमार ने कहा कि ताहा अल-हिंद आईएसआईएस बैंगलुरु केस में संदिग्ध आरोपी है. एनआईए ने साल 2020 में उसके तीर्थहल्ली स्थित घर पर छापा मारा था. उस पर तीन लाख रुपये का इनाम है.