वक्फ विधेयक को लेकर बीजद के गोलमोल रवैये से पार्टी का एक वर्ग नाराज
बीजू जनता दल (बीजद) के नेताओं का एक वर्ग वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करने के मुद्दे पर पार्टी के गोलमोल रवैये से अब भी नाखुश है। पार्टी प्रमुख नवीन पटनायक ने स्थिति से निपटने के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और सभी को आश्वासन दिया कि आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कई विधायकों समेत युवा नेताओं के एक समूह ने भी इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अलग से बैठक की और पटनायक को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में पटनायक से भाजपा का और अधिक समर्थन न करने का आग्रह किया गया, जैसा कि बीजद ने सत्ता में रहने के दौरान कई बार किया था।
सूत्रों ने बताया कि युवा नेताओं के बुधवार को पटनायक से मिलने की संभावना है। जब विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में मतदान के लिए पेश किया गया तो बीजद ने व्हिप जारी नहीं किया और फैसला सांसदों की इच्छा पर छोड़ दिया। उच्च सदन राज्यसभा में बीजद के नेता सस्मित पात्रा ने पिछले दिनों कहा था कि पार्टी इस विधेयक का विरोध करेगी।
इसलिए, बीजद के कुछ सांसदों ने विधेयक के समर्थन में जबकि अन्य ने विरोध में मतदान किया। बीजद नेताओं का एक वर्ग इसे भाजपा की मदद करने के तौर पर देख रहा है । इस वर्ग का मानना है कि पार्टी के रुख में बदलाव के लिए बीजद अध्यक्ष के करीबी माने जाने वाले नौकरशाह-राजनेता बने वी.के. पांडियन जिम्मेदार हैं।
पार्टी के असंतुष्ट समर्थकों ने साल 2024 के संसदीय और ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजद की हार के बाद सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करने वाले पांडियन के खिलाफ सोमवार को पटनायक के आवास ‘नवीन निवास’ के निकट नारे लगाए।
वक्फ (संशोधन) विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, जहां बीजद का कोई सदस्य नहीं है। शुक्रवार तड़के मैराथन चर्चा के बाद राज्यसभा ने भी इसे मंजूरी दे दी। पटनायक ने मंगलवार को पूर्व राज्यसभा सांसद अनंग उदय सिंह देव, विधानसभा में बीजद के उपनेता प्रसन्ना आचार्य और पूर्व मंत्री देबी प्रसाद मिश्रा के साथ बैठक की।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री ने उनकी राय मांगी और पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को अनुशासन बनाए रखने का संदेश देते हुए कहा कि वह आवश्यक कार्रवाई करेंगे। सूत्रों ने बताया कि पटनायक ने वरिष्ठ नेताओं से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि वक्फ विधेयक पर मतदान के मद्देनजर बीजद की धर्मनिरपेक्ष छवि किसी भी कीमत पर प्रभावित न हो, क्योंकि ओडिशा में एक अन्य विपक्षी दल कांग्रेस इसका फायदा उठा सकती है।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “राज्य के 147 विधानसभा क्षेत्रों में से 20 में मुसलमान प्रमुख भूमिका निभाते हैं। बीजद को साल 2000 से मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं, जब उन्होंने कांग्रेस को खारिज कर दिया था। पार्टी नहीं चाहती कि वे कांग्रेस में वापस जाएं।
उन्होंने कहा कि सोमवार को नवीन निवास में नारेबाजी से समुदाय में गुस्सा साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा, “यह कोई छोटी बात नहीं है। हर कोई जानता है कि पटनायक को चुप्पी पसंद है। लेकिन, कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने उनका ध्यान खींचने के लिए शोर मचाया। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि कुछ मौजूदा विधायकों समेत युवा नेता एक पूर्व विधायक के आवास पर एकत्र हुए और मामले पर चर्चा की।
युवा नेताओं ने वरिष्ठ नेता देबी प्रसाद मिश्रा के माध्यम से पटनायक को एक ज्ञापन सौंपा और वक्फ बिल मतदान की घटना के बाद के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की। सूत्रों ने बताया कि युवा पीढ़ी के इन नेताओं ने बीजद अध्यक्ष से आग्रह किया कि वह किसी राष्ट्रीय पार्टी का समर्थन करके पार्टी कार्यकर्ताओं को भ्रमित करने वाले संकेत न दें, क्योंकि इससे उनका मनोबल गिरता है।
एक युवा नेता ने कहा, “बीजद ने 2024 के आम चुनावों और विधानसभा चुनावों में विभिन्न अवसरों पर भाजपा का समर्थन करने की पहले ही भारी कीमत चुकाई है। पार्टी भाजपा के विधेयकों और नीतियों का समर्थन करके और नुकसान नहीं उठा सकती।”