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    Home » जातीय जनगणना पर घमासान: बीजद ने कहा अगर केंद्र सरकार नहीं मानी तो उड़ीसा सरकार करायेगी सर्वेक्षण
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    जातीय जनगणना पर घमासान: बीजद ने कहा अगर केंद्र सरकार नहीं मानी तो उड़ीसा सरकार करायेगी सर्वेक्षण

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 27, 2022No Comments2 Mins Read
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    नई दिल्ली. देश के कई राज्यों में जातीय जनगणना के मुद्दे पर मचे घमासान के बाद बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद अमर पटनायक का कहना है कि उनकी पार्टी ओडिशा में जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है. साथ ही उन्होंने कहा कि बीजद इस बात को वरीयता देगी कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराए.

    बीजेडी सांसद अमर पटनायक ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2020 के आदेश के मुताबिक पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कास्ट सेंसस डेटा एक अनिवार्य शर्त है, इसलिए केंद्र सरकार इसको कराने के लिए बेहतर स्थिति में होगी. बीजद नेता ने कहा कि जातीय जनगणना के बिना आरक्षण संभव नहीं है. ओडिशा सरकार ने पहले जाति जनगणना के लिए केंद्र से संपर्क किया था. हम एक बार फिर अपनी मांग दोहराते हैं. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने भी जाति आधारित राष्ट्रीय जनगणना की मांग की है.
    अमर पटनायक ने कहा कि ओडिशा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने पिछले साल मई में जातीय सर्वेक्षण करने का फैसला किया था. हालांकि कोविड के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. यदि केंद्र नहीं करता है तो, इसके लिए ओडिशा सरकार नई तारीखों का ऐलान फिर से करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 के अपने आदेश में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी रिजर्वेशन लागू करने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं. जिसमें तीन परीक्षणों पर जोर दिया था. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन, पिछड़ेपन की प्रकृति की कठोर अनुभवजन्य जांच और आरक्षण का अनुपात समग्र कोटा के अधीन 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना, शीर्ष अदालत की पूर्व निर्धारित शर्तों में शामिल था.

    हाल के घटनाक्रम को देखते हुए ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराने की योजना बना रही है, जो कोरोना महामारी के चलते पिछले साल नहीं किया जा सका. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा तीन परीक्षणों का अनुपालन करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा लागू करने की मंजूरी दे दी थी. ओडिशा सरकार को लगता है पिछड़ा वर्ग आयोग के जातीय सर्वेक्षण से राज्य का ट्रिपल टेस्ट्स स्टेटस सुनिश्चित हो जाएगा. इससे राज्य स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की स्थिति में आ जाएगा.

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