क्षेत्रीय भाषा से हिन्दी, भोजपुरी, और मगही को हटाया जाना अन्यायपूर्ण कदम : राजेश शुक्ल
हेमन्त सोरेन सरकार की नियोजन नीति अनुचित और असवैधानिक
प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है झारखंड की हेमन्त सोरेन की गठबंधन की सरकार ने झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा हिंदी , भोजपुरी, और मगही को क्षेत्रीय भाषा से हटाने का निर्णय लेकर अन्यायपूर्ण कदम उठाया है। इससे राज्य में लगभग 50 प्रतिशत रहने वाले हिंदी भाषा भाषी लोंगो के अंदर आक्रोश है।यह विधिसम्मत नही है। इससे समाज मे लंबे समय से चले आ रहे भाईचारे को धक्का लगेगा।
प्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता श्री शुक्ल ने कहा है कि भोजपुरी झारखंड में ही नही विश्व के कई देशों में भी प्रमुखता से बोली जाती है मॉरीशस सहित कई देशों में तो यह बेहद लोकप्रिय भाषाओं में एक है।
श्री शुक्ल ने कहा है कि हैरानी उन्हें इस बात की हो रही है कि हिंदी देश की राष्ट्र भाषा है उसे भी झारखंड में अपमानित करने का कार्य किया जा रहा है। जो उचित नही है क्या झारखंड भारत से अलग है।हिंदी राष्ट्रभाषा है उसका अपमान नही होना चाहिए। सभी क्षेत्रीय भाषाओं का उत्थान हो यह सरकार की नीति होनी चाहिए। किसी भी भाषा के साथ विभेद उचित नही है। इसकी इजाजत भारत का संविधान भी नही देता है।
श्री शुक्ल ने कहा है कि वर्तमान राज्य सरकार की नियोजन नीति के अंतर्गत तृतीय और चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति से सम्बंधित होने वाली परीक्षाओं में भाषा के पेपर में हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, मगही भाषाओं को दरकिनार कर दिया गया है। जो उचित नही है।
उन्होंने झारखंड सरकार से अविलम्ब इस नियोजन नीति में संशोधन कर हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, अंगिका, मगही भाषा को शामिल करने का आग्रह किया है ताकि ऐसे महत्वपूर्ण भाषाओं और देश की राष्ट्रभाषा का अपमान न हो सके।