Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link *_अनामिका जैन अम्बर_* की ये कविता यूँ तो उन्होंने अपने काव्य सफर के शैशव काल मे लिखी थी…किन्तु आज भी उसका हर लफ्ज़ उतना ही दर्द स्वयं में समेटे दिखता है जितना हम इस समय महसूस कर रहे हैं। सुनिए उनकी ये कविता। *सौरभ जैन सुमन*