आईं सभे आज एगो टटका चइती , के आनंद लीहीं।मन के आपन आपन दशा होला आ उ हर स्थिति में ,अपने हिसाब से प्रभावित होला …
रोज रोज मारेले मेहनवा हो रामा
जेठकी गोतीनिया..
रोजे ठकठेन करे संझिया पराती
कहेले कि देखु तोरा लागल बा टाटी
फगुओ में गांथेलिसि पेवनवा हो रामा
जेठकी गोतीनिया…
कहिए से बइठल बा घरहीं मंगरूआ
फीस ना भराईल महटर काट दिहलस नऊंवा
लागता कि छूटी इंतिहानावा हो रामा
जेठकी गोतीनिया…
जवे जवे रोज बढ़त बिया अतवरिया
लईकी के जात , नइखे बइठल उमरिया
बाउर बड़ा आइल बा जमानावा हो रामा
जेठकी गोतीनिया…
कबो कबो चानावा जरावेला बदनवा
हहरेला छतिया , बिहरि उठे मनवा
चुपे चाप चुएला नयनवा हो रामा
जेठकी गोतिनिया …
एहिजा के छोड़s ओहिजा नीमने से रहिहs
रखिहs खियाल आपन, निके पीहs खइहs
कटिए न जाई एहिजो दिनवा हो रामा
जेठकी गोतिनिया ..
.. शैलेन्द्र पाण्डेय शैल