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    भाग 2 :कब तक होता रहेगा बालू का अवैध खनन और कालाबाजारी

    News DeskBy News DeskMarch 17, 2025No Comments4 Mins Read
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    भाग 2

    कब तक होता रहेगा बालू का अवैध खनन और कालाबाजारी

    देवानंद सिंह
    बहरागोड़ा :अवैध बालू खनन और तस्करी झारखंड के कई हिस्सों में जारी है। बहरागोड़ा में यह मामला एक बार फिर चर्चा में आया है, क्योंकि इसके साथ राजनीति भी जुड़ी हुई है।बालू तस्करी एक बहुत बड़ा मुनाफे का कारोबार बन चुका है। सुवर्णरेखा नदी के मधुआबेड़ा घाट से अवैध रूप से खनन कर बालू को दूधियाशोल में स्टोर किया जाता था और फिर रात के समय इसे जमशेदपुर भेजा जाता था।
    इस तस्करी में शामिल स्थानीय युवक मुंडा और नायक पहले से प्रशासन की रडार पर हैं। यह तस्करी कई सालों से चल रही थी और इसकी सजा लेने के बावजूद यह बंद नहीं हो रही है। यहां तक कि पहले भी बहरागोड़ा में बालू तस्करी के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका था, लेकिन हालिया मामला यह साबित करता है कि इस अवैध व्यापार को रोकने में प्रशासन की नाकामी साफ नजर आ रही है।

     

    बालू तस्करी से जुड़ा यह मामला केवल एक कानूनी और प्रशासनिक मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि अब यह झारखंड की राजनीति में भी घमासान का कारण भी बन गया है। बीजेपी और झामुमो के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। बीजेपी के नेता डॉ. दिनेश नंद गोस्वामी ने आरोप लगाया कि बहरागोड़ा में बालू तस्करी झामुमो नेताओं के संरक्षण में चल रही है। उनका कहना है कि जिला प्रशासन और झामुमो के नेताओं की निगरानी में अवैध बालू खनन और तस्करी हो रही है। वहीं, झामुमो के नेता बगराई मरांडी ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी के कार्यकाल में ही बालू की लूट-खसोट का खेल शुरू हुआ था, और अब झामुमो सरकार ने इसे रोकने की कोशिश की तो उन्हें परेशानी हो रही है।

     

    यह आरोप-प्रत्यारोप का खेल राज्य की राजनीति में तगड़ा विवाद पैदा कर रहा है। बीजेपी और झामुमो दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगाकर अपनी राजनीतिक बढ़त लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस पूरे विवाद में बालू तस्करी और भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यह राजनीति का एक कड़वा सच है कि जब एक मुद्दे पर राजनीति चमकाने की कोशिश होती है, तो आम जनता की समस्याएं नजरअंदाज हो जाती हैं।

    हालांकि, अब प्रशासन ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। जिला प्रशासन की एक टीम ने बहरागोड़ा बालू घाट का निरीक्षण किया और छापेमारी के दौरान अवैध रूप से रखे गए बालू को जब्त किया, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ छापेमारी और कुछ गिरफ्तारियों से इस व्यापक और संगठित अपराध को पूरी तरह से रोका जा सकता है?

     

    बालू तस्करी में शामिल लोगों का एक बड़ा नेटवर्क है, जो स्थानीय नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस कर्मियों से मिलकर काम करता है। ऐसे में, केवल कुछ तस्करों को पकड़ने से पूरा नेटवर्क समाप्त नहीं किया जा सकता। प्रशासन को इस समस्या के समाधान के लिए एक व्यापक योजना बनानी होगी, जिसमें बालू खनन से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी शामिल हो। बालू खनन और तस्करी से झारखंड की आर्थ‍िक स्थिति भी प्रभावित हो रही है। अवैध तरीके से निकाले गए बालू से राज्य सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है। बालू खनन के क्षेत्र में पूरी तरह से व्यवस्था का अभाव है, और इसका फायदा तस्करों को मिल रहा है। अगर, इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो झारखंड में विकास की गति रुक सकती है और यह राज्य के संसाधनों की लूट का कारण बनेगा।

     

    कुल मिलाकर, बालू तस्करी झारखंड की एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका प्रभाव केवल स्थानीय समुदायों पर नहीं, बल्कि पूरे राज्य पर पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान केवल कानूनी कार्रवाई से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए प्रशासन, पुलिस, और राजनीतिक नेतृत्व को मिलकर काम करना होगा। इसके साथ ही, राज्य में राजनीतिक दलों को अपनी नीतियों और आरोपों से ऊपर उठकर, झारखंड के विकास और सुरक्षा के लिए काम करने की जरूरत है। यह केवल एक अपराध का मामला नहीं है, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और आर्थ‍िक संकट है, जिसे सुलझाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करना होगा।

    क्रमशः

    भाग 2 कब तक होता रहेगा बालू का अवैध खनन और कालाबाजारी
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