जत्थेदार की चयन करे सरबत खालसा ,संवैधानिक रूप दे एसजीपीसी: कुलविंदर
राष्ट्र संवाद संवाददाता
जमशेदपुर। कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने सिख संसद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान अधिवक्ता एचएस धामी को पत्र लिखकर जत्थेदार साहिबान की नियुक्ति के लिए सरबत खालसा बुलाने का आग्रह किया है। अधिवक्ता कुलविंदर सिंह के अनुसार साल 1921 एसजीपीसी के अस्तित्व में आने से पहले सरबत खालसा के द्वारा ही जत्थेदार का चुनाव किया जाता रहा है। जत्थेदार उसे ही चुना जाता था, जिसे सिखों का सबसे ज्यादा विश्वास और समर्थन हासिल होता था और सियासत से पूरी तरह दूर रहता था।
इसका मकसद उद्देश्य सिखों की एकता को बनाए रखना और धर्म तथा सामाजिक आधार पर बड़े-बड़े फैसले लेना होता था।
कुलविंदर सिंह के अनुसार जत्थेदार का वचन सिखों के लिए बाध्यकारी है और उन्हें किसी भी सिख को तलब करने, मुकदमा चलाने और तनख्वाह (सजा) लगाने का अधिकार है।
एसजीपीसी ने जिस तरह से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को जत्थेदार के पद से मुक्त किया है, उस प्रक्रिया को कोई भी सच्चा सिख दिल दिमाग से ना पसंद कर रहा है ना ही स्वीकार कर रहा है।
पहले भी जत्थेदारों को पद मुक्त किया जाता रहा है और इसको लेकर समाज में सवाल उठते रहे हैं और कई प्रकार की गलत धारणाएं बनती हैं।
अधिवक्ता कुलविंदर सिंह के अनुसार एसजीपीसी तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब प्रबंधन कमेटी, तख्त श्री हजूर साहिब प्रबंधन कमेटी, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी एवं हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के साथ ही धार्मिक बुद्धिजीवियों तथा सिख स्कॉलर प्रोफेसर की संयुक्त बैठक (सरबत खालसा) बुलाए। इसमें पूर्व के जत्थेदारों को बुलाकर उनकी भी राय ली जाने चाहिए। जिससे जत्थेदारों के नियुक्ति की प्रक्रिया को लिखित रूप अर्थात संवैधानिक रूप दिया जा सके।
आज जरूरत आन पड़ी है कि उनके नियुक्ति से लेकर रिटायरमेंट, इस्तीफा, पदमुक्त जैसी स्थितियों तथा उनकी जिम्मेवारी, जवाबदेही तय हो, जिससे वे निर्बाध रूप से धार्मिक और सामाजिक फैसला ले सकें।
कुलविंदर सिंह ने तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब जत्थेदार विवाद प्रकरण का हवाला देते हुए कहा कि लिखित नियम उपनियम के होने से कई प्रकार के झंझावात से पंथ बचा रहेगा और सिखों की एकता मजबूत होगी।