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    Home » हर वर्ग को साधने की कोशिश
    Breaking News Headlines झारखंड राजनीति राष्ट्रीय संपादकीय संवाद विशेष

    हर वर्ग को साधने की कोशिश

    Devanand SinghBy Devanand SinghNovember 29, 2019Updated:November 29, 2019No Comments5 Mins Read
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    हर वर्ग को साधने की कोशिश
    देवानंद सिंह
    झारखंड विधानसभा के पहले चरण के चुनाव को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। कल यानि 3० नवंबर को पहले चरण के चुनाव के लिए मतदान होना है। इसीलिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना-अपना घोषणा-पत्र जारी कर दिया है। सभी ने अपने-अपने तरह के लुभावने वादे घोषणा-पत्र में किए हैं। हर पार्टी ने हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। पर जनता किसके लुभावने वादों से प्रभावित होती है, इसका पता तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही लगेगा, लेकिन वादों की झड़ी लगाने में किसी भी पार्टी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। बीजेपी ने जहां अपने संकल्प-पत्र के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की है कि उसने अपने शासनकाल के दौरान जो घोषणाएं की थीं, उनमें से अधिकांश योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया गया और आगे भी अगर, राज्य का विकास कोई कर सकता है तो वह बीजेपी ही है। पार्टी ने इस बार हर बीपीएल परिवार को रोजगार देने व पिछड़ों को आबादी के आधार पर महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का वादा भी किया है।
    63 पन्नों के संकल्प-पत्र मेंभबीजेपी ने पिछले पांच वर्षों में किए गए कार्यों का लेखा-जोखा भी पेश किया है। साथ ही, किसानों, महिलाओं, आदिवासी-एससी-पिछड़ों, युवाओं और छात्रों के लिए भी कई घोषणाएं की गईं हैं, इसके अलावा कृषि, उद्योग, लघु उद्योग, कौशल विकास, आधारभूत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, सामाजिक कल्याण से लेकर सूचना तकनीक के क्षेत्र में विकास योजनाओं की रूपरेखा भी पेश की है।
    उधर, कांग्रेस भी लुभावने वादे करने में पीछे नहीं रही है। उसने कांग्रेस पार्टी द्बारा लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों के अनुरूप ही अपना घोषणा-पत्र तैयार किया है, जिसमें विशेष रूप से किसानों पर फोकस किया गया है। पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र में किसानों का 2 लाख तक का ण माफ करने के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं को भत्ता, सरकारी नौकरी के खाली पदों को छह महीने में भरने, धान खरीद पर किसानों को 25 सौ रूपए देने, लघु वन उपज के लिए कानून बनाने से लेकर पेटोल-डीजल व बिजली के दरों में कमी व रांची, धनबाद और जमशेदपुर में मेटो रेल आदि की सुविधा मुहैया कराने का वादा भी किया है।
    वहीं, महिलाओं की लीगल व कानूनी सहायता के लिए वुमन हेल्पलाइन खोलने व महिलाओं के बसों में अकेले सफर करने पर किराया नहीं लगने जैसे वादे भी किए हैं।
    झारंखड़ भाजपा की सहयोगी पार्टी रही आजसू ने भी चुनाव के मद्देनजर अपना घोषणा-पत्र जारी कर दिया है, जिसे भाजपा की तर्ज पर संकल्प-पत्र का नाम दिया गया है। यहां बता दें कि आजसू ने अब भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया है और वह अपने दम पर चुनाव मैदान में है। पार्टी ने गांवों को लेकर विशेष जोर दिया है। उसने नारा दिया है- अब की बार गांव की सरकार। वहीं, पार्टी ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात भी कही है, जिस सीमा को बढ़ाकर 73 फीसदी करने का वादा किया गया है। इसके अलावा छात्र हित में स्नातक पास करने के साथ ही प्रत्येक माह उन्हें 21०० रूपए प्रोत्साहन राशि देने का भी भरोसा दिया गया है। स्थानीय नीति पर भी पार्टी ने अपनी नीति स्पष्ट करते हुए कहा है कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति तय होगी। पार्टी ने घोषणा-पत्र में सीएनटी-एसपीटी एक्ट का पूरी तरह अनुपालन करने का भी भरोसा दिया है। वहीं, झाविमो ने इस चुनाव में आरक्षण का कार्ड खेला है। पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र से एक साथ महिलाओं, पिछड़ों और किसानों को भी साधने का प्रयास किया है। नौकरियों में महिलाओं के लिए 5० फीसदी आरक्षण व राज्य के ओबीसी समुदाय के लोगों को 27 फीसदी आरक्षण देने की बात कही है। इसके अलावा बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना बहाल करने, सभी परिवारों को 1० वर्षों के अंदर आवास उपलब्ध कराने और 9० दिनों में सभी परिवारों को राशन कार्ड देने का वादा भी किया गया है। पार्टी ने अपने घोषणा-पत्र में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर भी विशेष फोकस किया है और एक वर्ष के अंदर रिक्त पदों पर शिक्षक बहाली का भी वादा किया है।
    मुख्य विपक्षी नेता के रूप में चुनावी मैदान में उतरे झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने भी अपना चुनावी घोषणा-पत्र पहले ही जारी कर दिया है। उन्होंने भूमि अधिकार कानून बनाने से लेकर नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने, महिलाओं को सरकारी नौकरी में 5० फीसदी आरक्षण देने से लेकर बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता देने, दो साल के अंदर पांच लाख लोगों को रोजगार देने जैसे बड़े-बड़े वादे किए हैं।
    चुनाव मैदान में उतरने वाली किसी भी पार्टी के लिए घोषणा-पत्र खास मायने रखता है, इसीलिए पार्टियां इसके माध्यम से हर वर्ग व समाज को साधने की कोशिश करती हैं। बशर्ते, बहुत-सी ऐसी घोषणाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें पूरा नहीं किया जाता है। इसीलिए अक्सर समय-समय पर सरकारें बदलती रहती हैं। पार्टियों व नेताओं का नेचर होता है कि वो वादे ऐसे करें, जिसे जनता उनके पाले में फंस जाए, लेकिन इस दौर की बात करें तो ऐसा नहीं है, किसी भी राज्य व देश की जनता काफी जागरूक हो गई है। वह सरकार व पार्टी के वादों के आधार पर नहीं, बल्कि उनके कार्यों के आधार पर उनका आकलन करती है। इसीलिए राजनीतिक पार्टियों के लिए बेहद जरूरी हो जाता है कि वे जनता को बनाने के बजाय अपने वादों पर कार्य करने पर फोकस करें, क्योंकि झूठे वादों की लंबी उम्र नहीं होती है। वादों पर कितना काम किया गया है, उसे देखने और समझने की जहमत आज की जनता आसानी से उठा रही है। इसीलिए झारखंड विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा-पत्र में जो वादे किए हैं, वह पूरे होंगे, चाहे किसी भी पार्टी की सरकार सत्ता में क्यों न आए।

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