कांग्रेस को बिहारी वोट नहीं चाहिए कांग्रेसी विधायक शिल्पी नेहा तिर्की के बिगड़े बोल या अंदरुनी रणनीति
देवानंद सिंह
जमशेदपुर : इस साल के अंत तक होने वाले झारखंड विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव को लेकर अपनी-अपनी तैयारी में जुट गईं हैं, लेकिन इस बार गठबंधन सत्तारूढ़ सरकार की दो मुख्य पार्टियां झामुमो और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी हो सकती है, क्योंकि जिस तरह कांग्रेस पिछली बार के मुकाबले इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लडने की इच्छा जाहिर कर चुकी है, शायद वह झामुमो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अच्छा नहीं लग रहा है। इसीलिए सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच मुश्किल से ही सहमति बन पाएगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य की कुल 82 विधानसभा सीटों में से पिछली बार कांग्रेस झारखंड में 32 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से वह 18 सीटें जीती थी, जबकि झामुमो 27 सीटें जीती थी। बंधु तिर्की और प्रदीप यादव जेवीएम छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जिससे कांग्रेस अति उत्साहित है। लिहाजा, कांग्रेस इस बार 34 सीटों पर चुनाव लडना चाहती है, जिससे झामुमो के सामने संशय की स्थिति है। सोरेन कांग्रेस को 34 के बजाय 23 सीटें दे दे, वही गनीमत रहेगी।
जानकर भी मान रहे हैं कि कांग्रेस ने बेइज्जती का खुद ही जिम्मा उठा लिया है। जानकर कहते हैं, कांग्रेस को कोई बेइज्जत करता नहीं, खुद ही बेइज्जती को अपने मांग में सिंदूर की तरह भर लेती है। उदाहरण देखिए, कांग्रेसी विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने बिहारी को बांग्लादेशी की तरह घुसपैठिया बता दिया, जबकि कांग्रेस को वोट देने वालों में बड़ी संख्या में बिहारी भी हैं। ख़ासकर, कोयलांचल और पलामू प्रमंडल में। ऐसे में, यह सवाल उठ रहा है कि अब कांग्रेस किस मुंह से बिहारी प्रवासियों का वोट मांगेगी? मामला यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि जब झारखंड में भाषा विवाद यानी भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका आदि को लेकर विरोध हो रहा था, तब भी कांग्रेसी दोनों नाव पर टांग फैलाकर खड़े थे। बिहार में लालू राज के दौरान भी यही किया था, जबकि सवर्ण, मुसलमान और दलित कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक थे, लेकिन सत्ता के लालच में लालू यादव के साथ मिलकर सवर्ण, दलित और पठान, तीनों को बेइज्जत करवाया।
झारखंड में कांग्रेस का ईसाई और मुस्लिम वोट तेज़ी से जेएमएम की ओर शिफ्ट हो रहा है। भोजपुरी- मगही- मैथिली- अंगिका बोलने वाले कई लोग खांटी कांग्रेसी हैं, लेकिन पार्टी के रवैए से निराश ऐसे लोग मजबूरी में सवर्ण हिंदू भाजपा की ओर जा रहे हैं, लेकिन झारखंड कांग्रेस को कोई फ़र्क नहीं पड़ता, प्रदेश के एक दो आला नेताओं को छोड़ दें तो लगभग सभी कांग्रेसियों ने सवर्ण हिंदू पर कटाक्ष किया है
राष्ट्र संवाद का कांग्रेस से यह सबसे बड़ा सवाल है।