नई दिल्ली: भारत, पाकिस्तान की कसीदगी इन दिनों काफी उफान पर है. पाकिस्तान द्वारा भारत में, खासकर जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिवधियों को लगातार बढ़ावा दे रहा है. वहां पर धारा 370 व 35ए हटाने के बाद से पाकिस्तान विश्व मंच पर लगातार भारत के खिलाफ प्रोपेगंडा करता आ रहा है. जिसका करारा जवाब भारत द्वारा सभी उचित मंचों पर दिया जा रहा है. वहीं भारत सरकार अब पाकिस्तान को जोर का झटका देने की तैयारी में है, यह झटका है, तीन नदियों का जल रोकने की, जो भारत से पाकिस्तान को जाती हैं.जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने से पाकिस्तान तमतमाया हुआ है. भारत के इस कदम से परेशान होकर अब इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रहा है. इसी बीच भारत भी पाकिस्तान को झटका देने की तैयारी में है. मोदी सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है सिंधु जल संधि के तहत भारत के बड़े हिस्से का पानी पाकिस्तान की ओर जाता है.हम इस पर तेजी से काम कर रहे हैं कि हमारे हिस्से का जो पानी पाकिस्तान की ओर जा रहा है, उसे डायवर्ट करके अपने देश के किसानों, कारखानों और लोगों के इस्तेमाल के लिए लाया जा सके. गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा हम हाइड्रोलॉजिकल और टेक्नो फिजिबिलिटी स्टडीज पर काम कर रहे हैं, मैंने निर्देश दिया है कि इसे तुरंत किया जाना चाहिए, ताकि हम अपनी योजनाओं को अंजाम दे सकें. शेखावत ने कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदी कई सहायक नदियाों का पानी पाकिस्तान की तरफ जाता है. ऐसे में भारत की ओर से तैयारी की जा रही है कि ये पानी पाकिस्तान की तरफ न जा सके.
1960 में हुई थी सिंधु जल संधि
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने सन् 1960 सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे. संधि के अनुसार पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरी तरह से अधिकार है. इसके बदले में भारत को पश्चिमी नदियों- सिंधु, चेनाब और झेलम का पानी निर्बाध रूप से पाकिस्तान को देना होगा. इस संधि के मुताबिक भारत भी पश्चिमी नदियों का पानी का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन सिर्फ घरेलू, सिंचाई और हाइड्रोपावर प्रोडक्शन के लिए कर सकता है. कल-कारखानों के लिए भारत इस पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकता है.