स्वर्गीय रामाज्ञा सिंह की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई।
चन्दन शर्मा की रिपोर्ट
भगवानपुर ,बेगूसराय : शनिवार को स्वर्गीय रामाज्ञा सिंह की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई।इस अवसरक्षेत्र के नरहरीपुर गांव में।जदयू के वरिष्ट नेता गुंजन कुमार के पिता स्वर्गीय रामाज्ञा सिंह की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई।इस अवसर पर जदयू जिला सचिव सुनील कुमार राय,रमेश झा, पिंकी देवी ,लक्ष्मी देवी ,गंगा प्रसाद यादव ,आदि ने भाव भीनी श्रद्धाजली दी जदयू जिला सचिव सुनील कुमार राय ने कहा कि रामाज्ञा बाबू की कृति को भुला नहीं जा सकता वे सामाजिक कार्यों में उनकी भूमिका अहम रहती थी ।इस अवसर पर जदयू के वरिष्ट नेता गुंजन कुमार ने कहा कि मेरे परम पूज्य दिवंगत पिताजी की तीसरी पुण्यतिथि है।आज ही के दिन, कोरोना के प्रलय में उसके शिकार होकर,27 मई, 2021 को हमें छोड़कर चले गये। मैं उस क्षण को सहन करने की स्थिति में उस वक्त नहीं था, क्योंकि इसकी उम्मीद मुझे कतई नहीं थी। वह इसके पहले स्वस्थ और उर्जावान थे। लेकिनयह दुःखद वाकया भी मेरे जीवन में आया। मेरे पिताजी सिर्फ मेरे पिता ही नहीं थे, वह मेरे गुरू, मेरे मार्गदर्शक, कङे अभिभावक(लेकिन दिल से नरम) और हमेशा गाँव के गरीबों की मदद करनेवाले 24×7, ATM भी थे। अपने यहाँ आए किसी जरूरतमंद को
कभी निराश नहीं किया। उनके वचन थोडे कङवे होते थे, लेकिन
भीतर से मोमबत्ती की तरह पिघलने वाला उनका दिल था। उनके जीवित रहते, मैं आजाद था और अपने सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में हमेशा उपलब्ध रहता था और उन्होंने हमेशा मुझे इसके लिए प्रोत्साहित किया। मेरे साथ कई मुद्दों पर उनकी असहमति होती थी, लेकिन अन्ततः वह मेरी ही बात पर अपनी अनिच्छा के वाबजूद सहमति दे देते थे। उनके रहते, फिक्रऔर चिंता नाम की चीज, मेरे आसपास भी कभी दस्तक भी नहींदे ती थी। उनके जीवनकाल में मैं सामाजिक एवं राजनीतिक कार्योंके सिवा, हर समय मैं परिवारिक और व्यावसायिक दायित्वों सेमुक्त रहा। लेकिन आखिरकार, 27 मई, 2021, को वह अत्यंतदुःखद क्षण आ ही गया, जो मेरे सारे गतिविधियों को शिथिल करदिया। ऐसा इसलिए मेरे साथ हुआ, क्योकि वह क्षण मेरे लिएअकल्पनीय था। खैर विधि का विधान कोई बदल नहीं सकता हैयही सोचते सोचते दो साल गुजर गये। किसी तरह अपने परिजनों, मित्रों और शुभचिंतकों के सहारे, मैं उस जख्म से अब भी उबरने की कोशिश में हूँ।