नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लोन रीपेमेंट मोरेटोरियम को 28 सितंबर तक बढ़ा दिया और इस अवधि के दौरान किश्तों का भुगतान न करने के कारण किसी भी लोन को एनपीए घोषित नहीं करने का निर्देश दिया है. लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है. अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए. इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है. राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श पर दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी हैं और चिंताओं की जांच की जा रही है. केंद्र ने दो हफ्ते का समय मांगा था इस पर कोर्ट ने पूछा था कि दो हफ्ते में क्या होने वाला है? आपको विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस करना होगा. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की.
शीर्ष अदालत के बैंक लोन अकाउंट को अगले दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं किए जाने के आदेश से कर्जधारकों को बड़ी राहत मिली है. दरअसल, अगर किसी व्यक्ति के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है तो उसकी सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है. इससे उसे भविष्य में किसी बैंक से लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
वहीं, अगर लोन मिल जाता है तो उसे अच्छी सिबिल रेटिंग वाले व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा ब्याज दर चुकाना पड़ सकता है, क्योंकि अब बैंक इसी आधार पर ब्याज दरें भी तय कर रहे हैं. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्रेडिट कार्ड, होम लोन, व्हीकल लोन, होम लोन की किस्त मोरेटोरियम खत्म होने के दो महीने बाद तक नहीं चुकाने पर भी बैंक उसे एनपीए घोषित नहीं करेंगे. हालांकि, डिफॉल्ट पर जुर्माना या ब्याज वसूल सकते हैं.