प्रकाशनार्थ: श्रीराम दरबार के प्राण प्रतिष्ठा में कलश शोभा यात्रा में भक्तों का उमड़ा सैलाब, शामिल हुई 7100 महिलाएँ।
कलश यात्रा के साथ पंचकुंडीय महायज्ञ का शुभारंभ हुआ।
हाथों में कलश लिए शामिल हुए पूर्व सीएम रघुवर दास
सोमवार, जमशेदपुर: सिदगोड़ा स्थित सूर्यमंदिर परिसर में नवनिर्मित श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा हेतु सोमवार को भव्य कलश यात्रा निकाली गई। झांकी, बैंड-बाजा, गाजे-बाजे व ध्वजों के साथ निकाली गई कलश शोभा यात्रा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह कमिटी के मुख्य संरक्षक रघुवर दास शामिल हुए। शोभा यात्रा में आगे-आगे रघुवर दास ने हाथों में कलश लेकर कई किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की। करीब 7100 महिलाओं ने शोभा यात्रा में भाग लिया। भक्तों के उत्साह व भक्तिभाव से इंद्रदेवता भी प्रसन्न दिखे, हल्की बारिश के बीच भक्तों ने सिर पर कलश लेकर पूरे क्षेत्र को भक्तिमय कर दिया। इससे पहले, श्रीहरि मंदिर मैदान बारीडीह में एकत्रीकरण के पश्चात भोजपुर स्वर्णरेखा घाट से कलश में जल भरा गया, संकल्प के पश्चात कलश शोभा यात्रा सिदगोड़ा-बारीडीह मुख्य मार्ग से होते हुए सूर्यमंदिर परिसर पहुँची। परिसर में बने यज्ञशाला के चारों ओर कलशों को स्थापित किया गया। कलश स्थापित करने के पश्चात वेदचार्यो ने प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का शुभारंभ किया। आयोजन के मुख्य यजमान रघुवर दास समेत आचार्यों ने सबसे पहले गौ-पूजन, स्थापित देवताओं का पूजन किया। देव पूजन के द्वारा अग्नि नारायण देवता का आह्वान किया गया। अरणी मंथन के द्वारा अग्नि देवता प्रकट हुए। अग्निदेव के प्रकट होते ही पूरा यज्ञस्थल भगवान के जयकारे से गूंज उठा। प्रकट हुए अग्नि को यज्ञकुंड में स्थापित किया गया। संध्याकाल में स्थापित देवताओं के पूजन और कुटीर होम एवं आरती के पश्चात दिन की पूजन पूर्ण हुई। कलश शोभा यात्रा के प्रभारी मिथिलेश सिंह यादव ने बताया कि उम्मीद से बेहतर शोभा यात्रा पूर्ण हुई। अच्छे मन से किया गया कार्य हमेशा अनुकरणीय बन जाता है। ज्ञात हो कि कलश यात्रा को सफल बनाने की पूरी जिम्मेदारी मिथिलेश सिंह यादव ने ली थी। भाजपा महिला मोर्चा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रूपरेखा तय की गयी थी। कमिटी की ओर से कलश शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए परिसर के भीतरी भाग में जलपान की व्यवस्था की गई थी।
श्रीराम कथा: तृतीय दिवस
भगवान निर्मल एवं स्वच्छ मन वाले को ही प्राप्त होते हैं।
अधर्म के नाश के लिए भगवान लेते अवतार: श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज
वहीं, संध्याकाल में संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन के कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात वृंदावन से पधारे कथा व्यास मानस मर्मज्ञ परम् पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज का स्वागत किया गया।
जब जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है, तब तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। जिससे असुरों का नाश होता है और अधर्म पर धर्म की विजय। भगवान चारों दिशाओं के कण-कण में विधमान हैं। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन की भक्ति है। त्रेता युग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी तो माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ। ये व्याख्यान मानस मर्मज्ञ परम् पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्री रामचन्द्र जी भगवान के जन्म के समय दिया। उन्होंने कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त हैं। प्रेम से पुकारने व सच्चे मन से सुमिरन करने पर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। इसलिए कहा गया है हरि व्यापक सर्वत्र सामना।
जब-जब होये धर्म की हानि, बाढहिं असुर अधर्म अभिमानी
तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा। ।।
धर्म व सम्प्रदाय में अंतर को समझाते हुए श्री भारद्वाज जी महाराज ने बताया कि धर्म व्यक्ति के अंदर एकजुटता का भाव पैदा करता है। वहीं, सम्प्रदाय व्यक्ति को बाहरी रुप में एक बनाता है। मानव की एकजुटता की व्याख्या करते हुए बताया कि एक पुस्तक, एक पूजा स्थल, एक पैगम्बर, एक पुजा पद्धति ही व्यक्ति को सीमित व संकुचित बनाती है। जबकि ईश्वर के विभिन्न रूपों का विभिन्न माध्यमों से स्मरण करना मात्र सनातन धर्म सिखाता है। ईश्वर के अवतार से असुरों का नाश होता है। अधर्म पर धर्म की विजय होती है। यह अद्भुत कार्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं भगवान श्रीकृष्ण ने अयोध्या व मथुरा की धरती पर अवतार लेकर दिखाया। दोनों ने असुरों का नरसंहार करके धर्म व मानवसमाज की रक्षा की। श्री व्यास जी ने देश की युवा पीढ़ी पर घोर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता के भंवर में फंसा हुआ है। उसे राम-सीता एवं कृष्ण के साथ भारतीय सभ्यता से मतलब नही है। उन्होंने कथास्थल पर माताओं से आग्रह किया कि यदि माताएं चाहे तो युवा पाश्चात्य सभ्यता से अलग हो सकता है। गर्भवती माताओं के चिंतन, मनन, खान-पान, पठन-पाठन, रहन-सहन का बच्चे पर अत्यंत प्रभाव पड़ता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान माताओं को भगवान का सुमिरन करना चाहिए, साथ ही साथ सात्विक भोजन व चिंतन आदि करना चाहिए।
भगवान राम के जन्म की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान के जन्म के पूर्व विष्णु के द्वारपाल जय-विजय को राक्षस बनने का श्राप, मनु और सतरूपा के तप से भगवान ने राजा दशरथ व रानी कौशल्या के घर जन्म लिया, जिससे अयोध्यावासी प्रसन्न हो उठे। जन्म की व्याख्या के दौरान व्यास जी ने जैसे ही भजन गाया वैसे ही श्रद्धालु झूम उठे मानो सचमुच पंडाल में भगवान का जन्म हुआ हो। पूरा क्षेत्र राममय हो गया, पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा की गई।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, कमिटी के अध्यक्ष संजीव सिंह, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कल्याणी शरण, चंद्रशेखर मिश्रा, कमलेश सिंह, पवन अग्रवाल, गुंजन यादव, अमरजीत सिंह राजा, भूपेंद्र सिंह, कुलवंत सिंह बंटी, राकेश सिंह, पुष्पा तिर्की, ज्योति अधिकारी, नीरु झा, सोनिया साहू, सीमा दास, ममता कपूर, कांता साहू, सरस्वती साहू, रूबी झा, सन्तोष ठाकुर, प्रोबिर चटर्जी राणा, रमेश नाग, दीपक झा, पप्पू मिश्रा, ध्रुव मिश्रा, श्रीराम प्रसाद समेत पूर्वी विधानसभा के महिला मोर्चा के कार्यकर्ता व हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।