कोलकाता. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के एक दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदिवासी, पिछड़े व अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कीं और उनके लिए कई कल्याकारी योजनाओं की घोषणा कीं. इनमें आदिवासी और बांग्लादेशी शरणार्थियों को जमीन का पट्टा देने, मतुआ समुदाय के लिए विकास कल्याण बोर्ड के गठन, आदिवासी समुदाय के लिए सांस्कृतिक बोर्ड के गठन, अनुसूचित जाति-जनजातियों को जन्म प्रमाण पत्र देने के प्रावधान को सरल बनाने जैसी कई घोषणाएं कीं.
आदिवासी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरा के दौरान उनका बांकुड़ा में आदिवासी समुदाय व कोलकाता में मतुआ समुदाय के साथ भोजन के कार्यक्रम हैं. अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने मतुआ और आदिवासी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं.
बंगाल की राजनीति में इन वर्गों का बड़ा प्रभाव
बंगाल की राजनीति में मतुआ, मांझी, बाउड़ी आदि समाज का विशेष प्रभाव है. सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को नबान्न में आदिवासी समुदाय, मतुआ, बाउड़ी, मांझी और बाउड़ी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने आदिवासियों को साढ़े तीन लाख जमीन का पट्टा देने की घोषणा की है.
25 हजार लोगों को पट्टटा दिया गया
इनमें ढाई लाख पट्टा भूमिहीनों को दे दिया गया है. आज 25 हजार लोगों को पट्टटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मतुआ संप्रदाय के लिए डेवल्पमेंट बोर्ड बनाने का निर्णय किया है. इस बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड देने की घोषणा की गयी. इसके साथ ही प्रत्येक आदिवासी समुदाय के लिए एक कल्चरल बोर्ड का गठन किया जायेगा.
5 लाख रुपये की बीमा की सुविधा मिलेगी
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष के उम्र के आदिवासियों को पहले से ही प्रत्येक माह 1000 रुपये पेंशन दिये जाते हैं तथा इन्हें स्वास्थ्य साथी योजना के अंतर्भूत किया जा रहा है. इससे उन्हें 5 लाख रुपये की बीमा की सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा कि पहले ही राजवंशी भाषा अकादमी बना दिया गया है. पंचानन बर्मन, बाबा साहेब अंबेडकर के नाम पर विश्वविद्यालय बनाया गया है.