नई दिल्ली. तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा कानूनों को डेढ़ वर्ष तक निलंबित रखे जाने के प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया है. सरकार से 10वें दौर की बातचीत में रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को कई घंटों चली आम सभा चली, जिसमें यह फैसला लिया गया.
किसानों का कहना है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात पर वह कायम हैं. किसानों का कहना है कि यह किसान आंदोलन की मुख्य मांगें हैं और वे इस पर अडिग हैं.
सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता दर्शपाल सिंह ने बयान जारी कर कहा कि मोर्चा इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित करता है. इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं. इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने हमें दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही है, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात दृढ़ता और ज़ोर से रखी. उनका कहना है कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा यह अब देशव्यापी हो चुका है. कर्नाटक में अनेक स्थानों पर वाहन रैलियों के माध्यम से किसान गणतंत्र दिवस के लिए एकजुट हो रहे हैं. केरल में कई जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं.
किसानों के अनुसार उत्तराखंड के बिलासपुर व रामपुर समेत अन्य जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च कर दिल्ली की किसान परेड की तैयारी कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में किसान 23 जनवरी को राजभवन का घेराव करेंगे और एक जत्था दिल्ली की तरफ भी रवाना होगा.
उन्होंने कहा कि नवनिर्माण किसान संगठन की किसान दिल्ली चलो यात्रा, जोकि ओडिशा से चली थी, को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बार-बार परेशान किया जा रहा है. उनके रुट बदलने से लेकर बैठकें न करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. हम प्रशासन के इस बर्ताव का विरोध करते हैं. साथ ही कोलकाता में 3 दिन का विशाल महापड़ाव 20 जनवरी से 22 जनवरी तक होगा. कल हुए विशाल कार्यक्रम में हज़ारों लोगों ने भाग लिया है. आने वाले समय में यह और भी तेज होने की संभावना है.
किसान नेता ने यह भी कहा कि मजदूर किसान शक्ति संगठन के नेतृत्व में किसान, मजदूर व आम लोग शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं. कठपुतली और गीतों के माध्यम से नव उदारवादी नीतियों का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.