निजाम खान
कब दी जाएगी शिक्षा पर जोर!
ध्यान दीजिए शिक्षा की ओर!!
विकास की रफ्तार बड़ा सकती है शिक्षा!
शिक्षा पर जोर दी जाए यही हम सबकी है इच्छा!!
बच्चे जाते है स्कूल,नहीं प्राप्त करते हैं शिक्षा!
क्या यही होना हम सब के लिए है अच्छा!!
विद्यालय में पढ़ाई ना कर खेलते हैं क्रिकेट-फुटबॉल!!
कब तक चलेगा यह रोल!!
विद्यालय में जब नहीं दिया जाता था मध्यान भोजन!
तब मन लगाकर पढ़ते थे विद्यार्थीगन और पढ़ाते थे शिक्षकगन!!
ज्यादातर विद्यालय में बच्चे खेलते नजर आते हैं!
किसी विद्यालय के प्रधानाचार्य कार्यालय में खाली हाथ बैठते नजर आती है तो किसी विद्यालय के प्रधानाचार्य मध्यान भोजन में व्यस्त नजर आते हैं!!
ज्यादातर विद्यालय में नहीं है आवश्यकतानुसार शिक्षक!
मेरा ही नहीं शायद सभी की है इच्छा कि विद्यालय में दी जाए आवश्यकतानुसार शिक्षक!!
जात-पात,भेदभाव,धर्म के नाम पर हिंसा को खत्म करने वाला अगर कोई है तो वह है शिक्षा!
जरा बता दीजिए शिक्षा जोर में क्या है आपकी इच्छा!
जगा दीजिए शिक्षा जोर में अपनी इच्छा!!
यही हम सब मांगते हैं आप से भीक्षा…..!
(उक्त कविता झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षा व्यवस्था में कमजोरी को देखते हुए लिखी गई है।कविता में कवि सरकार से मांग कर रहा है कि वह शिक्षा में सबसे ज्यादा जोर दे।)