अष्टांग योग के माध्यम से ही पूरे विश्व में शांति संभव
योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे पूरे दुनिया को एक सूत्र में बांधा जा सकता है
जमशेदपुर 20 जून 2021
Covid -19 गाइडलाइन का पालन करते हुए विश्व योग दिवस के पूर्व वेब टेलीकास्ट से जमशेदपुर एवं आसपास के युवाओं के बीच योग, आसन एवं प्राणायाम तीनों का प्रशिक्षण दिया आचार्य अवनींद्रानंद अवधूत लोगों को योग ,आसन एवं प्रणायाम तीनों का अंतर समझाते हुए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया एवं बताते हुए कहां की
अष्टांग योग के माध्यम से ही पूरे विश्व में शांति संभव है योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे पूरे दुनिया को एक सूत्र में बांधा जा सकता है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य एक हो जाए तब वहां सभी तरह का भेदभाव खत्म हो जाता है जब समाज एक ही सकारात्मक सोच चिंता धारा में बहने का प्रयास करेगा तभी विश्व शांति संभव हो पाएगा योग के माध्यम से मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है मानव को मानवता का अहसास योग के माध्यम से ही कराया जा सकता है योग के बल पर ही भारत दुनिया का विश्व गुरु बन सकता हैे कहा कि योग आसन एवं प्राणायाम तीनों अलग अलग चीज है जीवात्मा का परमात्मा के साथ एकाकार होने का नाम ही योग है जिस तरह पानी और चीनी को मिलाने से एकाकार हो जाता है यानि मिलने के बाद चीनी और पानी का अलग अस्तित्व नहीं रहता उसी तरह अध्यात्मिक साधना के माध्यम से जब साधक परमात्मा के साथ मिलकर एक हो जाता है तो उस समय में तथा परमात्मा का बोध का अस्तित्व नहीं रहता
आनंदमार्ग के *योग साधना में जीवात्मा को परमात्मा के साथ मिलाने की जो अध्यात्मिक साधना की प्रक्रिया है वही है योग . आसन करने से शरीर और मन स्वस्थ रहता है यह ग्रंथि दोष को दूर करता है आसन करने से मन अप्रिय चिंता से दूर हो जाता है या शुभ और उच्च कोटि के साधना में काफी मददगार साबित होता है नियमित आसन करने से शरीर में लचीलापन होता है योग करने से शरीर और मन का संतुलन बना रहता है प्रणायाम एक स्वास की प्रक्रिया है जो स्वास नियंत्रण के साथ ईश्वर भाव आरोपित करता है* बुद्धिमान मनुष्य शैशव काल से ही ध्यान करें तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि मनुष्य का शरीर दुर्लभ है उससे भी अधिक दुर्लभ है वह जीवन साधना करने के द्वारा सार्थक हुआ है हर कर्म उचित समय पर करना चाहिए उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आषाढ़ के महीने में धान की रोपनी होनी चाहिए और अगहन मैं कटनी कोई अगर अगहन में रो पनी करे तो मुश्किल हो जाएगा काम नहीं होगा ठीक वैसे ही कोई मनुष्य अगर सोचे कि बुढ़ापे में ध्यान करें साधना करेंगे या बहुत ही बड़ी भूल होगी बुढ़ापा हर मनुष्य के जीवन में नहीं आएगा यह भी हो सकता है कि कल का सूर्योदय हर जीवन में ना हो इसलिए कोई भी काम कल के लिए नहीं छोड़ना चाहिए जो कुछ भी अच्छा काम करने की इच्छा होती है तुरंत कर लेना चाहिए मनुष्य में थोड़ा बहुत ज्ञान थोड़ी बहुत बुद्धि का उदय होता है चार पांच साल की उम्र में ही सही साधना मार्ग में आ जाना चाहिए ध्यान के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि ध्यान करने से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है एवं जो डिप्रेशन के शिकार लोग हैं उनके लिए यह बहुत बड़ी चिकित्सा है