क्यों संभव नहीं हो पा रही पारदर्शी परीक्षा प्रणाली ?
देवानंद सिंह
पिछले कुछ दिनों से बिहार के पटना में लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (CPE) 2024 के खिलाफ छात्रों का आंदोलन जारी है।
पुलिस-प्रशासन की सख्ती और लाठीचार्ज के बाद भी यह आंदोलन खत्म नहीं हो रहा है, क्योंकि परीक्षार्थियों ने परीक्षा को लेकर अनियमितता के आरोप लगाए हैं। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या सरकार पारदर्शी परीक्षा प्रणाली स्थापित करने में नाकाम हो रही है, जिससे युवाओं का भविष्य अधर में लटक रहा है? जो भारत जैसे बड़े देश के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है, क्योंकि यहां युवाओं की आबादी बहुत अधिक होने की वजह से बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। इस तरह की परीक्षाओं का युवा लंबे समय तक इंतजार करते हैं। ऐसे में, परीक्षाओं में पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक है। पारदर्शिता का मतलब है कि किसी भी प्रक्रिया के हर पहलू को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया जाए, ताकि उसमें कोई भी अनियमितता या पक्षपाती व्यवहार न हो सके। यह न केवल परीक्षार्थियों के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि पूरी परीक्षा प्रणाली को विश्वास के काबिल भी बनाएगा।
एक पारदर्शी परीक्षा प्रणाली का मतलब होगा, जिसमें चयन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धांधली, भ्रष्टाचार या पक्षपात का कोई स्थान ना हो। जब तक परीक्षा प्रणाली पारदर्शी नहीं होगी, तब तक छात्रों के मन में शंका और असंतोष बना रहेगा और इस तरह के विरोध होते रहेंगे।
बिहार लोक सेवा आयोग के छात्रों के विरोध का मुख्य कारण परीक्षाओं में बढ़ती अनियमितता और प्रश्नपत्र की गुणवत्ता का गिरना है। परीक्षार्थियों का आरोप है कि जो प्रश्न पूछे गए थे, वे न तो पाठ्यक्रम से संबंधित थे और न ही सही तरीके से तैयार किए गए थे। इसके अलावा, कोचिंग संस्थानों द्वारा जारी किए गए मॉडल पेपर से सवालों का मेल खाना, यह भी छात्रों के बीच गुस्से का कारण बना है, जो अत्यधिक चिंताजनक है। निश्चित रूप से इस प्रकार की घटनाएं केवल छात्रों की मेहनत और समय को व्यर्थ नहीं करतीं, बल्कि उनका भविष्य भी अधर में लटका देती हैं।
वर्तमान में, हमारी परीक्षा प्रणाली में कई प्रकार की अनियमितताएं और समस्याएं हैं। यह केवल बिहार या किसी एक राज्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि देशभर में ऐसी समस्याएं आम हो गई हैं। अगर, इन अनियमितताओं को समय रहते नहीं समझा गया, तो यह युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकता है। इससे न केवल परीक्षा के परिणामों में गलतफहमियां पैदा होती हैं, बल्कि यह भी साबित होता है कि सरकार या संबंधित संस्थाएं परीक्षा प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। यह उन छात्रों के लिए सबसे बड़ी असमंजस की स्थिति है, जो अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद परीक्षा में बैठते हैं और फिर उन्हें इन गलतियों की वजह से निराशा का सामना करना पड़ता है। पारदर्शी परीक्षा प्रणाली के लिए कुछ सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए। परीक्षा में शामिल प्रश्नों का निर्माण अधिक वैज्ञानिक तरीके से और बिना किसी पक्षपात के किया जाना चाहिए। प्रश्नों को समग्र पाठ्यक्रम से संबंधित होना चाहिए, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके। इसके अलावा, प्रश्नपत्र के स्तर को भी उचित तरीके से निर्धारित किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी छात्रों के पास सही जानकारी और अवसर हो।
आजकल के डिजिटल युग में, तकनीकी सहायता से परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाया जा सकता है। ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली, डिजिटल मूल्यांकन और परीक्षा परिणामों के लिए एक पारदर्शी और कागजी रिपोर्टिंग सिस्टम की आवश्यकता है। सभी छात्र अपनी परीक्षा की स्थिति, उत्तरों के मूल्यांकन और परिणामों के बारे में तत्काल जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भ्रष्टाचार और धांधली के मामले भी कम होंगे। इसके अलावा परीक्षा संचालन में किसी भी प्रकार की घोटालेबाजी या धांधली को रोकने के लिए निगरानी के सख्त उपायों की आवश्यकता है, इसके लिए एक स्वतंत्र निगरानी बोर्ड या संस्था का गठन किया जा सकता है, जो सभी परीक्षाओं का निगरानी रखे और सुनिश्चित करे कि सभी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
परीक्षा प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए यह जरूरी है कि समय पर और सही तरीके से सभी प्रक्रियाओं को पूरा किया जाए। यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षा की तिथियां और परिणाम समय से पहले घोषित हों, ताकि छात्रों को किसी भी प्रकार की असमंजस या तनाव का सामना न करना पड़े। रिजल्ट की घोषणा भी पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए। यदि, कोई छात्र रिजल्ट पर सवाल उठाता है, तो उसे अपनी कॉपी की जांच करने का अवसर मिलना चाहिए। इसका मतलब यह है कि परीक्षा परिणामों को बिना किसी पक्षपात के तर्कसंगत तरीके से सार्वजनिक किया जाए और छात्रों को स्पष्ट रूप से बताया जाए कि उनके अंक कैसे और क्यों दिए गए ?
पारदर्शी परीक्षा प्रणाली का अभाव केवल छात्रों के लिए निराशा का कारण नहीं बनता, बल्कि यह समाज में विश्वास की कमी का भी कारण बनता है। छात्रों का भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब हम परीक्षा प्रणालियों को निष्पक्ष, न्यायपूर्ण और पारदर्शी बनाएंगे। सरकार और संबंधित संस्थाओं को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। इससे न केवल छात्रों के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि देश की परीक्षा प्रणाली पर भी आम जनता का विश्वास बढ़ेगा। शिक्षा और परीक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को सुधारने के लिए यह कदम न केवल आज के लिए आवश्यक हैं, बल्कि भविष्य में भी इनका पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।