आखिर कब खत्म होंगी हिंसक घटनाएं ?
देवानंद सिंह
कुछ दिनों पूर्व उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में जिस तरह की हिंसा हुई, वह प्रदेश सरकार के साथ ही पूरे देश के लिए गंभीर चीन का विषय है। निश्चित रूप से इस घटना ने एक बार फिर से हमारे समाज में बढ़ती हिंसा, अपराध और प्रशासनिक विफलताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। इसीलिए सम्भल कांड की घटना को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को क्या ठोस कदम उठाने चाहिए? जिससे भविष्य में इस तरह की हिंसक घटनाएं न होने पाएं।
दरअसल, सम्भल कांड एक सामूहिक हिंसा का मामला है, जिसमें कुछ असामाजिक तत्वों ने एक छोटे से विवाद को बढ़ाकर पूरे समाज में डर और अशांति फैला दी। इस कांड में न केवल कई लोगों की मौत हुई, बल्कि कई लोगों की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है। निश्चित रूप से इस तरह की घटनाएं समाज में असुरक्षा की भावना को जन्म देती हैं और लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांतों को कमजोर करती हैं। इस घटना ने यह भी दिखा दिया है कि प्रशासन और पुलिस की नाकामी के कारण ऐसे घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कई बार यह देखा गया है कि छोटे-छोटे विवादों को उचित समय पर हल नहीं किया जाता है और उनका हल हिंसा में तब्दील हो जाता है। यह कांड इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि जब प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो समाज में अपराधी तत्वों को मनमानी करने का अवसर मिल जाता है।
सम्भल कांड की घटना के लिए कई तत्व जिम्मेदार हैं। सबसे पहले, प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठते हैं। जब समाज में अपराध बढ़ रहे हों, तो यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्परता से कार्य करें। पुलिस की कार्यप्रणाली और उनका आम जनता के प्रति व्यवहार भी इस घटना को बढ़ावा देने में एक कारण हो सकता है। कभी-कभी पुलिस और प्रशासन, प्रभावशाली व्यक्तियों या राजनेताओं के दबाव में आकर ऐसे मामलों की अनदेखी करते हैं, जिससे अपराधी तत्वों को सुरक्षित रहने का मौका मिलता है। दूसरी जिम्मेदारी समाज की भी है। यदि, समाज में सहिष्णुता, समझदारी और कानून के प्रति सम्मान की भावना हो, तो इस तरह की घटनाएं घटित नहीं होंगी। समाज में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा की प्रवृतियां भी जिम्मेदार हैं।
आजकल छोटे-छोटे मुद्दों पर गुस्से का आना और हिंसा का सहारा लेना सामान्य बात बन चुकी है। यह स्थिति समाज के लिए खतरे की घंटी है। वहीं, राजनीतिक नेतृत्व भी इस कांड के लिए जिम्मेदार है। जब कोई राजनीतिक दल या नेता किसी समुदाय विशेष को उकसाता है, तो ऐसी घटनाएं होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार के बयान और बयानबाजी समाज में विभाजन और नफरत फैलाने का कारण बनती हैं।
सम्भल कांड जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कई ठोस और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, जिनमें प्रशासनिक सुधार, समाजिक जागरूकता और कड़े कानूनी उपाय शामिल होने चाहिए, जिसके तहत प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली को मजबूत करना होगा। पुलिस को न केवल अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें आम जनता के साथ सहानुभूति और समझदारी से पेश आने के लिए भी जागरूक किया जाना चाहिए। पुलिस अधिकारियों को समय पर मामले की जांच और उचित कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला जाना चाहिए।
इसके अलावा, प्रशासन को अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनों का पालन सुनिश्चित करना होगा, ताकि वे समय पर पकड़े जाएं और उन्हें सजा मिले।
वहीं, सरकार को कानून व्यवस्था को और मजबूत बनाना होगा। सामूहिक हिंसा या किसी भी प्रकार की आपराधिक घटना के खिलाफ कड़े कानूनों का निर्माण करना चाहिए। इसके साथ ही, फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स की स्थापना और अभियोजन की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए, ताकि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। इसके अलावा, पुलिस बल को पर्याप्त संसाधन और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि वे अपराधियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने में सक्षम हो सकें।
समाज में बढ़ती असहिष्णुता और हिंसा की प्रवृत्तियों को रोकने के लिए सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास करने चाहिए। विशेष रूप से स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को आपसी समझ, तादात्म्य और हिंसा से बचने के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही, युवाओं को कानून और समाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित भी करना होगा कि कोई भी राजनीतिक दल या नेता समाज में नफरत फैलाने वाले बयान न दें। यदि, किसी नेता द्वारा किसी समुदाय विशेष को उकसाया जाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि राजनीतिक बयानबाजी के कारण समाज में विभाजन न हो और सामूहिक हिंसा की स्थिति उत्पन्न न हो।
इस सबके बाद सबसे महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि समाज में संवाद की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए। हर समुदाय, धर्म और जाति के बीच संवाद, समझ और सहयोग बढ़ाना होगा। इसे स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि कोई भी छोटा विवाद बड़े स्तर पर न बदल सके। इसके लिए, सरकार को विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के बीच संवाद बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। प्रशासन और पुलिस के कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है।
यदि किसी स्थान पर अपराधी तत्व सक्रिय हैं, तो उनकी पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए। इससे न केवल समाज में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि अपराधियों के मनोबल को भी गिराया जा सकेगा। निश्चित रूप से अगर, सरकारों इन कदमों को गंभीरता से लागू करें, तो सम्भल जैसे कांडों को रोका जा सकता है और समाज में शांति, सुरक्षा और सामूहिक सौहार्द बढ़ाया जा सकता है।