नई दिल्ली. असम की घटना पर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन की आलोचना के बाद भारत ने सख्त बयान दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारत बेहद खेदपूर्ण तरीके से यह बताना चाहता है कि OIC ने भारत के आंतरिक मामले पर एक बार फिर टिप्पणी की है, जिसमें उसने भारत के राज्य असम की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक बयान जारी किया है. साथ ही ये भी कहा कि उनका देश इस संबंध में उचित कानूनी कार्रवाई कर रहा है.भारत ने कहा, यहां यह दोहराया जाता है कि OIC को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. उसे अपने मंच को निजी स्वार्थों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए. इसके साथ भारत सरकार इन सभी निराधार बयानों को खारिज करती है. आशा करती है कि इस तरह के बयान भविष्य में नहीं दिए जाएंगे.अफगानिस्तान, चीन, सीरिया और पाकिस्तान में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर आंख मूंदकर मूकदर्शक बने रहने वाले इस संगठन ने मुस्लिम देशों के संगठन को भारत के मुसलमानों की ज्यादा चिंता है. ओआईसी के जनरल सेक्रेटरिएट ने ट्वीट कर कहा था कि उनका संगठन असम में व्यवस्थित उत्पीड़न और हिंसा की निंदा करता है. उन्होंने राज्य से सैकड़ों मुस्लिम परिवारों को बेदखल करने के अभियान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कई अल्पसंख्यकों की मौत का भी दावा किया. इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था.ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज दुनियाभर के मुसलमान मुल्कों का रहनुमा होने का दावा करता है. 25 सितंबर 1969 में बने इस संगठन का पाकिस्तान संस्थापक सदस्य है. दुनिया में मुसलमानों की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है. पाकिस्तान शुरू से ही इस संगठन का उपयोग भारत के खिलाफ करता आया है. खासकर कश्मीर मुद्दे पर कई बार ओआईसी ने भारत के खिलाफ बयान दिया है. 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से इस संगठन के तेवर भारत को लेकर काफी नरम देखने को मिले हैं.