हमने जमशेदपुर की पत्रकारिता की एक अनमोल शख्सीयत को खो दिया: रंजीत सिंह
इस मुश्किल समय के बीच जब किसी व्यक्ति का हम सब के बीच चला जाना महज एक सूचना मात्र बनती जा रही है, हमने जमशेदपुर की पत्रकारिता की एक अनमोल शख्सीयत को खो दिया है। वरिष्ठ पत्रकार और प्रभात खबर में हम सब के साथी रहे श्री विनोद शरण का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। यह सूचना अपने आप में एक इतिहास समेटे हुए है। एक जीवट पत्रकार, जिंदादिल इंसान, एक सच्चा साथी, सबका ख्याल रखने वाला बड़ा भाई, विपरीत परिस्थितियों में भी शिकायत नहीं करने वाला एक धैर्यवान व्यक्तित्व। प्रभात खबर जमशेदपुर की नींव में श्री विनोद शरण जी का खून-पसीना डूबा हुआ है। उन्होंने जमशेदपुर में प्रभात खबर के पहले संपादक रहे श्री अनुज कुमार सिन्हा जी के साथ मिलकर इसे सींचा और बड़ा किया। बाद में हम सब जिसकी टहनियां बने। श्री अनुज जी अपनी किताब ‘प्रभात खबर: प्रयोग की कहानी’ में इसका जिक्र करते हुए बताते हैं कि ‘शुरूआती दौर में हमें पहले न्यूज कवरेज करना, उसे रांची भेजना, छप कर अखबार आ जाए तो उसे एजेंट के पास ले जाना और फिर कार्यक्रम स्थल पर जाकर खुद बांटना। मेरे इस काम में विनोद शरण साथ होते। उन दिनों जमशेदपुर में हम दो लोग ही संपादकीय में काम करते थे।’
तब से लेकर प्रभात खबर को जमशेदपुर में बुलंदियों तक पहुंचाने में उनका अतुलनीय योगदान रहा, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। एक सहकर्मी, एक सीनियर और एक रिपोर्टर के तौर पर वे हमेशा परफेक्ट थे, ऐसा मुझे अब लगता है। उनकी लेखनी में राजनीतिक और ब्यूरोक्रेटिक समझ हमेशा दिखी। जटिल सरकारी फाइलों की खबरों को भी सरल भाषा में रख पाना उनकी विशेषता रही। वे जमशेदपुर में ऐसे रिपोर्टरों में शुमार रहे जिनकी भाषा पर भी पैनी पकड़ रही। वे लंबे समय से डायलिसिस पर चल रहे थे, बावजूद इसके उन्होंने हाल ही में गजिया बराज पर अपनी रिपोर्ट श्रृंखला लिखी, यह एक पत्रकार की तड़प थी, जो अंत तक उनके साथ रही। अंत में यदि एक सहकर्मी के तौर पर हमसे कोई चूक हुई हो, तो दिवंगत आत्मा से क्षमाप्रार्थी के साथ अंतिम जोहार विनोद जी। आप हमेशा याद आएंगे।