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    Home » विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस किए, कहा- ये पुरस्कार उनके लिए बोझ
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    विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस किए, कहा- ये पुरस्कार उनके लिए बोझ

    Devanand SinghBy Devanand SinghDecember 27, 2023No Comments3 Mins Read
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    विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस किए, कहा- ये पुरस्कार उनके लिए बोझ
    नई दिल्ली  :   विनेश फोगाट ने भी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार वापस करने का फैसला किया है. ये तीनों पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे. बृज भूषण भाजपा सांसद हैं और उन पर कई महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. मलिक, पुनिया और फोगाट उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे. संजय सिंह के नेतृत्व में एक पैनल ने हाल ही में कुश्ती संघ के चुनाव जीते हैं. संजय सिंह बृज भूषण के करीबी सहयोगी हैं. इस जीत से संकेत मिलता है कि संघ में पुराना नेतृत्व ही बना रहेगा. खेल मंत्रालय ने रविवार को इस पैनल को निलंबित कर दिया है.

     

     

    भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को एक भावुक खुले पत्र में अपनी पीड़ा और नाराज़गी व्यक्त की है. उन्होंने देश के सर्वोच्च खेल सम्मान, खेत रत्न और अर्जुन अवॉर्ड वापस लौटाने का भी फैसला लिया है. उनका कहना है कि ये सम्मान अब उनके जीवन में कोई मायने नहीं रखते हैं. वह सम्मान के साथ जीना चाहती हैं, और ये पुरस्कार उनके लिए बोझ बन गए हैं.

     

    फोगट ने यह भी कहा है कि जब पहलवान पदक जीतते थे तो उन्हें देश का गौरव माना जाता था, लेकिन अब उन्हें देशद्रोही करार दिया जा रहा है क्योंकि उन्होंने न्याय के लिए आवाज उठाई है. “प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या हम देशद्रोही हैं?”

     

     

     

    उन्होंने जो लिखा वो इस प्रकार रहा- सर, आपके ही घर की बेटी विनेश फोगट आज दुखी मन से आपको लिख रही है. पिछले एक साल से जो हालात बने हैं, वो बयां करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं. कुछ साल पहले, साक्षी मलिक ने देश का नाम ओलंपिक में रोशन किया था. उनकी सफलता पर उन्हें “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था. उस दिन हम सभी खिलाड़ियों को गर्व था. लेकिन आज वही साक्षी पहलवानी छोड़ चुकी हैं. ये सोचकर मेरा मन अशांत हो जाता है. क्या हम पहलवान सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में नज़र आने के लिए बने हैं? मेरा सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है, पर आज वो सपना धूमिल सा लगता है. हमारी असल ज़िंदगी उन फैंसी विज्ञापनों जैसी नहीं है.

    हाल ही में कुश्ती संघ के चुनाव के बाद श्री बृजभूषण सिंह ने जो कुछ कहा, वो सुनकर मेरा खून खौल उठा. वो खुलकर कह रहे थे कि उनका दबदबा बना रहेगा. क्या बेटियों को असहज करना ही उनका मकसद था? हर मौके पर वो हमें अपमानित करते रहे. क्या यही है हमारी खेल संस्कृति?

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