जब बच्चे को दौड़ता देख भर आई सबकी आंखें
जय प्रकाश राय
पांच साल की उम्र में एक बच्चे का पैर कट गया था।उसका पूरा परिवार निराश हो गया था। लगा कि उसका लाल पता नहीं जीवन में कभी अपने पैरों पर चल भी पाएगा या नहीं। लेकिन श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति तथा जयपुर फुट युएसए द्वारा रेड क्रॉस सोसाईटी तथा केके एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट के सहयोग से रेड क्रास जमशेदपुर में आयोजित नि:शुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर ने इस बच्चे का जीवन ही बदल दिया। शिविर में इस बच्चे का कृत्रिम पैर लगाया गया। कृत्रिम पैर लगाने के बाद बच्चे को अपने पैर पर खड़ा किया गया। तभी के के फाउंडेशन के चेयरमैन विकास सिंह वहां पहुंचे। उन्होंने हाथ पकड़कर उस बच्चे को कुछ दूर चलाया। फिर हाथ पकड़कर उसे दौड़ाने लगे। थोड़ी देर के बाद विकास सिंह ख्रुद भागने लगे और बच्चे से कहा कि वह उनको पकड़े। बच्चा उनके पीछे भागने लगा और फिर उनको पकड़ लिया। इस दौरान उस बच्चे के चेहरे की खुशी ने सभी की आंखें नम कर दीं। विकास सिंह खुद अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सके और उनके आंसू छलक गये। रविवार को जब इस शिविर के समापन समारोह के दौरान जब मंच का संचालन कर रहे रेड क्रास के सचिव विजय कुमार सिंह ने इस घटना का जिक्र किया तो वहां मौजूद लोगों की आ्रंखें नम हो गयीँ। मंच पर मैं विकास सिंह के बगल में बैठा था वे एक बार फिर आंसू पोड़ते नजर आये। 10 दिन चले इस आयोजन के दौरान 901 लोगों को कृत्रिम अंग प्रदान किये गये। सभी के चेहरे की खुशी देखनेलायक थी। हर दिन औसतन 80 लोगों को सेवा प्रदान की जा रही थी। समापन समारोह के दौरान जब एक युवक को उसके अनुभव को सुनाने के लिये आमंत्रित किया गया । उसने बोलना शुरु किया कि क्या कहें, कुछ कहा ही नहीं जा रहा। कुछ लोगों ने टोका, अपना परिचय दीजिये। उसने बले ही निष्छल भाव से कहा, रुकिये पहले मेरी बात सुनिये, उसका गला भर चुका था। उसने कहा कि हमारे परिवार के अलावे कभी किसी ने हमसे सहानुभूति नहीं की। अरुण पाण्डेय नामक यह युवक गढवा से आया था। उसने कहा कि अखबर में उसने इस शिविर के बारे मेंपढा। उसे उम्मीद नहीं थी कि यहा ंआकर उसका जीवन ही बदल जाएगा। उसने कहा कि यहां उसे हरप्रकार का सहयोग मिला। जिस कारण वह आज अपने पैर पर खड़ा हो पाया है जिसके बारे में उसने सोचना बंद कर दिया था। 10 दिनों तक चले शिविर में कुल 901 लोगों को कृत्रिम अंग प्रदान कर उनका जीवन खुशियों से भर दिया गया। शिविर में योगदान करने वालों को समापन समारोह में सम्मानित किया गया। हलांकि मेरा मानना है कि इस तरह की सेवा करने वालों का सम्मान करना गौरव की बात है। इस अनूठे आयोजन के पीछे जो भी लोग शामिल हैं, उनकी जितनी भी तारीफ की जाये कम होगी। 10 दिनों तक इतने बड़े आयोजन का संचालन पूरी तन्मयता से करने वाले सभी सम्मान के हकदार हैं।
लेखक चमकता आईना के संपादक हैं