उत्तरकाशी। सिल्कयारा-बारकोट सुरंग में फंसे 41 श्रमवीरों को निकालने के लिए तीन तरीके से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. वर्टिकल-हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के साथ रैट माइनिंग भी जारी है. सुरंग में मलबे की 60 मीटर मोटी दीवार के पीछे फंसे 41 श्रमवीरों को बचाने के लिए मैन्युअल हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग जारी है. ये ड्रिलिंग पहाड़ के ऊपरी हिस्से से नीचे की ओर से की जा रही है. कहा जा रहा है कि करीब 30 से 35 मीटर की खुदाई हो चुकी है, जबकि 50 मीटर खुदाई और होनी है. उत्तरकाशी सुरंग रेस्क्यू में 1.6 मीटर की मैन्युअल ड्रिलिंग पूरी हुई. 1.6 मीटर तक पाइप डाला गया.
12 नवंबर यानी दिवाली वाले दिन से सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए पहले अमेरिकी ऑगर मशीन से वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही थी. मलबे में 46.8 मीटर तक ड्रिलिंग के बाद मशीन का ब्लेड फंसने के बाद शुक्रवार को काम बंद हो गया था. उधर, हैदराबाद में एक चुनावी रैली में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां श्रमिकों को बचाने के लिए 24 घंटे काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रकृति हमें लगातार चुनौतियां दे रही है, लेकिन हम मजबूती से खड़े हैं और चौबीसों घंटे प्रयास कर रहे हैं.
सोमवार को ऑपरेशन को लेकर एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की गई. कहा गया कि वेल्डरों ने ऑगर मशीन के ब्लेड के मलबे में फंसने का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा कि मलबे में फंसे ब्लेड को हटा दिया गया है और अब रैट माइनिंग के जरिए मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है. रैट माइनिंग के बारे में समझाते हुए विज्ञप्ति में कहा गया कि एक साथ तीन खननकर्मी पाइप के अंदर जाएंगे. एक ड्रिल करेगा, दूसरा गंदगी इकट्ठा करेगा और तीसरा ट्रॉली के माध्यम से गंदगी को पाइप के दूसरी तरफ धकेल देगा.
क्या है रैट माइनिंग?
रैट माइनिंग का संबंध सीधे तौर पर चूहों की तरह खुदाई से है. मतलब, छोटी सी जगह में धीरे-धीरे खुदाई करना. अब जब सुरंग के अंदर मलबे में मशीन के जरिए वर्टिकल खुदाई नहीं हो पा रही है, तो रैट माइनिंग का सहारा लिया जा रहा है. ये एक प्राचीन विधि है, जिसके जरिए कोयला खदान में चोरी से खनन किया जाता है. रैट माइनिंग करने वाले श्रमिक इतना बड़े आकार का होल या छेद कर देते हैं कि एक-एक कर कोई आदमी नीचे उतर सके और बाहर आ सके.