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    Home » *अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से गुजरात में कार्बन उत्सर्जन में लगातार आ रही गिरावट*
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    *अक्षय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से गुजरात में कार्बन उत्सर्जन में लगातार आ रही गिरावट*

    Bishan PapolaBy Bishan PapolaJune 6, 2022Updated:June 6, 2022No Comments3 Mins Read
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    *ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया में होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 2017 की तुलना में 2022 में लगभग 115% अधिक कार्बन उत्सर्जन में आई कमी*

    *नई दिल्ली, रविवार, 5 जून 2022:* विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर गुजरात सरकार ने यह जानकारी दी है कि राज्य में पिछले 5 वर्षों में थर्मल पॉवर से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में लगातार गिरावट आई है। इस उपलब्धि के पीछे राज्य सरकार द्वारा लगातार रिन्यूएबल एनर्जी की स्थापित क्षमता (Installed Capacity) को बढ़ावा देना है। वर्तमान में गुजरात, अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में देश में दूसरे स्थान पर है।

    *अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में बढ़ोतरी ने की कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद*
    गुजरात में लगातार अक्षय ऊर्जा की बढ़ती स्थापित क्षमता का पर्यावरण पर सीधा असर यह हुआ है कि राज्य में वर्ष 2017 की तुलना में 2022 में लगभग 115% अधिक कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। वर्ष 2017-18 में अक्षय ऊर्जा के माध्यम से गुजरात में कार्बन उत्सर्जन में आई कमी 12.08 मिलियन टन थी, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 26.01 मिलियन टन हो गई है।

    इस तरह से पिछले 5 सालों में अक्षय ऊर्जा के माध्यम से कुल 90.09 मिलियन टन कम कार्बन उत्सर्जन करने में गुजरात सफल रहा है। गौरतलब है कि परंपरागत बिजली के उत्पादन में कोयले का भारी उपयोग होता है जिस वजह से इस पूरी प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन भी अधिक होता है।

    *अक्षय ऊर्जा ले रही है बिजली उत्पादन के पारंपरिक तरीके का स्थान*
    अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में अधिक बढ़ोतरी का सीधा संबंध परंपरागत बिजली उत्पादन में कम निर्भरता से है। वर्ष 2017-18 में गुजरात में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता में 8,065 मेगावॉट के साथ रिन्युएबल एनर्जी (हाइड्रो एनर्जी के साथ) की हिस्सेदारी 29% थी जो साल 2022 में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता में 17,367 मेगावॉट के योगदान के साथ रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़कर 42% हो गई है।

    आँकड़ों से स्पष्ट है कि बीते 5 सालों में अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में उत्तरोत्तर वृद्धि ने परंपरागत बिजली द्वारा बनाए जाने वाले एनर्जी युनिट्स को रिन्युएबल एनर्जी से प्रतिस्थापित किया है। ये आँकड़े बताते हैं कि कैसे गुजरात न केवल अपनी बढ़ती ऊर्जा की माँग की आपूर्ति को रिन्यूएबल एनर्जी की ओर शिफ्ट कर रहा है, बल्कि ऐसा करके वह पर्यावरण सुधार में भी अपना योगदान बढ़ा रहा है।

    विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर पर्यावरण संरक्षण पर ऊर्जा विभाग के योगदान के बारे में बात करते हुए *सुश्री शैलजा वछराजानी, GM (RE & IPP), GUVNL* ने बताया, *‘‘हम अपनी लगातार बढ़ती ऊर्जा की माँग की आपूर्ति को अक्षय ऊर्जा से प्रतिस्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे इन प्रयासों ने पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने राज्य के विभागों को निर्देश दिया है कि हम अपने-अपने स्तर पर यह सुनिश्चित करें कि माननीय प्रधानमंत्री जी के संकल्प 2070 तक भारत को 0% कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने में गुजरात का योगदान सबसे अधिक रहे।’’*

    *साल 2030 में 139 मिलियन टन कम कार्बन उत्सर्जन करने का है लक्ष्य*
    गुजरात के ऊर्जा विभाग ने लक्ष्य तय किया है कि वर्ष 2030 में ऊर्जा उत्पादन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में कमी को 139 मिलियन टन तक ले जाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी की स्थापित क्षमता को बढ़ाकर 68,000 मेगावॉट तक लेकर जाएगी।

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