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    Home » राज्यपाल ने कहा कि छात्रहित में उच्च शिक्षा विभाग को सदा सक्रिय रहना चाहिये
    Breaking News झारखंड शिक्षा

    राज्यपाल ने कहा कि छात्रहित में उच्च शिक्षा विभाग को सदा सक्रिय रहना चाहिये

    Nijam KhanBy Nijam KhanMay 23, 2022No Comments5 Mins Read
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    माननीय राज्यपाल-सह-झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति श्री रमेश बैस ने कहा कि छात्रहित में उच्च शिक्षा विभाग को सदा सक्रिय रहना चाहिये। उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में गति लानी होगी। उन्हें संचिकाओं के आदान-प्रदान करने मात्र तक सीमित नहीं रहना चाहिये, बल्कि परिणाम व कार्यान्वयन के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए। राज्यपाल महोदय आज राज भवन में विश्वविद्यालयों के विभिन्न समस्याओं के निदान हेतु किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री अमिताभ चौधरी, राज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
    राज्यपाल महोदय ने झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के स्टैच्यूट निर्माण की अद्यतन स्थिति की समीक्षा के क्रम में नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि स्टैच्यूट निर्माण की प्रक्रिया वर्ष 2017 से चल रही है और अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है, इतने वर्षों में निर्माण न होना बहुत ही गंभीर विषय है। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि स्टैच्यूट का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। वित्त विभाग की सहमति के लिए प्रेषित की गई है। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को वित्त विभाग से समन्वय व संपर्क स्थापित करने हेतु निदेशित किया। बैठक में झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के लिए कुलपति की नियुक्ति की के संदर्भ में समीक्षा की।
    माननीय राज्यपाल ने शिक्षक प्रोन्नति की दिशा में वर्ष 2010 से 2018 तक के अवधि के लिए स्टैच्यूट गठन की समीक्षा की करते हुए कहा है कि जल्द ही इसका गठन कर लिया जाय। उच्च शिक्षा द्वारा अवगत कराया गया कि वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करने हेतु संचिका वित्त विभाग को प्रेषित किया गया है। राज्यपाल महोदय ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों के 70 पद एवं डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मियों के पदों की स्वीकृति के संदर्भ में समीक्षा की। विभाग द्वारा अवगत कराया गया कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के अंतर्गत 19 स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों के कुल 70 पदों (40 सहायक प्राध्यापक, 20 सह-प्राध्यापक एवं 10 प्राध्यापक) के सृजन हेतु मंत्रिपरिषद की स्वीकृति प्राप्ति हेतु संलेख प्रेषित की गई है तथा डॉ० श्यामा प्रासाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के शिक्षकों के पदों के युक्तिकरण के फलस्वरूप सहायक प्राध्यापक के 40 पद (20 सह-प्राध्यापक, 20 प्राध्यापक) के सृजन हेतु मंत्रिपरिषद के पास संलेख भेजा गया है। साथ ही डॉ० श्यामा प्रासाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में शिक्ष्केत्तर कर्मियों के नवीन पदों के सृजन के प्रस्ताव पर वित्त विभाग द्वारा कतिपय पृच्छा के आलोक में विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रतिवेदन पर वित्त विभाग द्वारा दिये गए परामर्श के आलोक में समीक्षा एवं मिलान किया जा रहा है।

    राज्यपाल महोदय ने विश्वविद्यालयों में विश्वविद्यालय में दिव्यांगजनों के आरक्षण संबंधी विषय पर कहा कि इस संदर्भ में विभाग को यूनिट न मानकर विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाय। निःशक्त व्यक्ति (दिवयांगजन) अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत झारखंड सरकार के अधीन पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में एवं विनिर्दिष्ट शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए निःशक्तजनों को आरक्षण का यथोचित लाभ प्रदान होना चाहिए। उन्होंने झारखंड खुला विश्वविद्यालय के संचालन के लिए जगह के संदर्भ में भी समीक्षा की। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा इस संदर्भ में अवगत कराया गया कि झारखंड प्रौद्यगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय भवन के द्वितीय तल पर स्थल चिन्हित की गई है।
    माननीय राज्यपाल महोदय ने झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों में प्राध्यापकों तथा विश्वविद्यालय पदाधिकारियों की नियुक्ति की अद्यतन समीक्षा करते हुए कहा कि इतनी अधिक रिक्तियाँ (रांची विश्वविद्यालय, रांची में शिक्षकों के स्वीकृत पद 1032 के विरुद्ध 674 रिक्त्त पद, डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में में शिक्षकों के स्वीकृत पद 166 के विरुद्ध 111 रिक्त्त पद, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में शिक्षकों के स्वीकृत पद 994 के विरुद्ध 719 रिक्त्त पद, जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय, जमशेपुर में शिक्षकों के स्वीकृत पद 60 के विरुद्ध 30 रिक्त्त पद, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में शिक्षकों के स्वीकृत पद 597 के विरुद्ध 343 रिक्त्त पद, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, धनबाद में शिक्षकों के स्वीकृत पद 651 के विरुद्ध 414 रिक्त्त पद, नीलांबर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, पलामू में शिक्षकों के स्वीकृत पद 383 के विरुद्ध 279 रिक्त्त पद, सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में शिक्षकों के स्वीकृत पद 683 के विरुद्ध 494 रिक्त्त पद) होना अत्यंत ही गंभीर विषय है। इस स्थिति में परिवर्तन लाना होगा, रिक्तियों को भरना होगा। उन्होंने झारखंड लोकसेवा आयोग को प्रेषित अधियाचना की समीक्षा करते हुए कहा कि इस दिशा में गंभीरतापूर्वक ध्यान दें ताकि विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक के बैकलॉग एवं नियमित पदों, सह-प्राध्यापक, प्राध्यापक के पदों पर अतिशीघ्र भरा जाय।
    बैठक में कहा गया कि सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों में प्राचार्यों एवं शिक्षकों की नियुक्ति झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के तहत झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा किया जाना चाहिए। राज्यपाल महोदय ने राज्य के बहुत से महाविद्यालयों में प्राचार्यों की कमी पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि राज्य में स्थित महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य हैं, उन्होंने ऐसे महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति अब राज भवन द्वारा किया जायेगा, न कि कुलपति द्वारा। माननीय राज्यपाल महोदय को राज्य के विश्वविद्यालय से संलग्न तथा अंगीभूत माहाविद्यालय के प्राचार्यों की नियुक्ति की समीक्षा के क्रम में अवगत कराया गया कि दिसंबर में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निमित्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक आहूत की गई थी। उक्त बैठक में मध्य प्रदेश की तर्ज पर झारखंड राज्य में भी विश्वविद्यालय/महाविद्यालय/संस्थान को इकाई मानकर रोस्टर लागू करने हेतु झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 2000 में वांछित संशोधन करने का निर्णय लिया गया। झारखंड राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022 तैयार किया गया, परंतु विधानसभा के बजट सत्र में नहीं रखा जा सका। उन्होंने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से कहा कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं। इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति हेतु स्टैच्यूट बनाने व लागू करने की दिशा में तत्परता से करना होगा।

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