बंगाल विधिज्ञ परिषद ने तीन नये कानूनों के विरोध में एक जुलाई को ‘काला दिवस’ मनाने की घोषणा की
कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधिज्ञ परिषद ने मौजूदा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन नये कानूनों को ‘‘जनविरोधी और क्रूर’’ करार देते हुए शुक्रवार को घोषणा की कि वह इन कानूनों के विरोध में एक जुलाई को ‘‘काला दिवस’’ मनाएगी।
तीन नये कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे।
पश्चिम बंगाल विधिज्ञ परिषद ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार द्वीप की अदालतों में वकालत करने वाले वकील एक जुलाई को न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पिछले साल अगस्त में संसद में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किए थे, जो मौजूदा भारतीय अपराध संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
विधिज्ञ परिषद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि नये कानून ‘‘जनविरोधी, अलोकतांत्रिक और क्रूर’’ हैं।
परिषद ने कहा कि वह इन कानूनों के लागू होने के विरोध में एक जुलाई को ‘‘काला दिवस’’ मनाएगी तथा राज्य और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की अदालतों में वकालत करने वाले वकील उस दिन न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।
इसने सभी बार एसोसिएशन से एक जुलाई को अपने-अपने क्षेत्रों में विरोध रैलियां निकालने का अनुरोध किया है।