अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 121वां सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न
विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 121वां सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम ‘मगही साहित्यकार तर्पण और कवि सम्मेलन’ विषय पर आधारित था, जिसमें मगही साहित्य की थाती के रूप में पांच दिवंगत साहित्यकारों को उनके महान साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मगही साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार लालमणि विक्रांत ने की, जिन्होंने विश्व मगही परिषद् की इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन भविष्य में भी मगही भाषा और साहित्य को समृद्ध करने के लिए निरंतर होते रहेंगे। मंच संचालन और तकनीकी सहयोग का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने किया, जिन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और उन्होंने कहा कि
श्राद्ध प्रतिपदा हे आयल, पितरन के करिहऽ तर्पण।
निहोरा हे सभे पितरन से ,करिहऽ कृपा जान निज जन । ।
प्रतिपदा श्राद्ध के अवसर पर सभे पितरन के हृदय से विनम्र श्रद्धांजलि और शत शत नमन। ।
इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में नवादा जिले के जाने-माने हिंदी और मगही साहित्यकार श्री मिथलेश मगधेश जी उपस्थित थे। उन्होंने पांचों दिवंगत साहित्यकारों के जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए विशेष रूप से चर्चा की। महाकवि बाबूलाल मधुकर जी के जीवन और साहित्यिक योगदान को रेखांकित करते हुए विश्व मगही परिषद् के इस अद्वितीय प्रयास की सराहना की।
सम्मेलन में देश-विदेश से दो दर्जन से अधिक विश्व मगही परिषद् के कार्यकारिणी सदस्य और मगही प्रेमियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में मगही के प्रमुख साहित्यकार, कवि, लोकगायक, समाजसेवी, पत्रकार आदि भी शामिल हुए। प्रमुख वक्ताओं में नवादा से मगही और हिंदी के जाने-माने साहित्यकार प्रोफेसर (डा०) शिवेंद्र नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पितरों का तर्पण, विशेषकर पितृपक्ष की अवधि में, करने से वे तृप्त और आनंदित होते हैं और अपने संबंधियों को भरपूर आशीष देते हैं जिससे संबंधियों का चतुर्दिक विकास होता है। इसी क्रम में उन्होंने प्रो. डॉ.रामनंदन के साहित्यिक अवदानों की चर्चा करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया और जीवन पर प्रकाश डाला। जबकि डॉ. दिलीप कुमार ने घमंडी राम जी की साहित्यिक यात्रा पर अपने विचार व्यक्त किए। ‘मथुरा शेखपुरा से साहित्यकार जयनंदन सिंह जी ने मगही के कबीर मथुरा प्रसाद नवीन पर , जबकि मगही के शोधार्थी पूनम kumari जी ‘पं. सतीश कुमार मिश्र जी की साहित्यिक यात्रा पर अपने विचार व्यक्त किए।
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल के लक्ष्मीपुर रोड स्थित शिव शक्ति योग पीठ के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानन्द जी महाराज के आशीर्वाद भी अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 121वां सम्मेलन में सभी सम्मिलित जन को मिला और पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानन्द जी महाराज जी ने आगे भी सम्मिलित होने का आश्वासन दिए ।
गीतों के राजकुमार कविवर राजकुमार जी ,भागलपुर से कहा कि
पँच-पँच साहितकार के, दे मगही-सम्मान।
‘मगही परिषद’ लिख रहल, ‘राज’ जगौनी-गान।।
एतवार के तर्पण काजकरम में स्मृतिशेष पँच-पँच मगही साहित्यिक विभूति के नाम से पँच-पँच चर्चित साहित्यिक व्यक्तित्त्व के नाम, देल गेल सम्मान-पत्र, विश्व मगही परिषद के उपलब्धि में गिने के साथ-साथ इतिहास के पन्ना में दर्ज हो गेल!ई लेल विश्व मगही परिषद में शामिल सब्भे मगही विद्वान/विदूषी के सबधाय हम्मर जय मगही!
विशेष उपस्थति डॉ राजीव रंजन ,एशियाई भाषा अध्ययन केंद्र चचियांग यूए शीऊ विश्वविद्यालय शाओशिंग, चीन , मंजूषा जी समाज सेविका नई दिल्ली से , शिवांगी जी तिब्बती भाषा और सामाजिक कार्य विषय के जानकर , सुजीत कुमार कौशल ,(क्रू कंट्रोलर) पूर्व मध्य रेल गया, श्री राम सिंह ,ताइवान से , गोपाल जी और चुनचुन पांडेय शेखपुरा से ,हिमांशु शेखर जी राष्ट्रीय अध्यक्षसमाजवादी लोक परिषद् और anya मगही प्रेमियों ने जुरकर अपने विचार व्यक्त किये ।
लोकगायक विनय विकल और लोगगायिका रितिका पांडेय लोकगीत और अन्य कवियों ने अपने काव्य पाठ से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। देर रात तक काव्य की सरिता बहती रही, जिसमें उपस्थित जनसमूह मगन हो उठा।
इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने कहा कि यह कार्यक्रम मगही साहित्य के दिवंगत रत्नों को श्रद्धांजलि देने और उनके योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास था। उन्होंने घोषणा की कि भविष्य में विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली की ओर से मगही साहित्य के विकास के लिए और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कार्यक्रम में मगध और मगही साहित्य के पांच प्रमुख हस्तियों को मगही साहित्य की थाती के रूप में पांच दिवंगत साहित्यकारों के तर्पण के रूप में स्मृति सम्मान देने की घोषणा की । जिनमें शामिल हैं:
श्रीमती धर्मशीला कुमारी (मगही दीदी) – जिन्हें ‘मथुरा प्रसाद नवीन-स्मृति-सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
श्रीमती नीरा कुमारी (मगही चाची) – जिन्हें ‘डॉ. रामनंदन-स्मृति-सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
श्री सुमंत जी – जिन्हें ‘बाबूलाल मधुकर-स्मृति-सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
श्री विनय विकल – जिन्हें ‘घमंडी राम-स्मृति-सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
डॉ. किरण कुमारी शर्मा – जिन्हें ‘पं. सतीश कुमार मिश्र-स्मृति-सम्मान’ से नवाजा गया।
कार्यक्रम में इन सभी विभूतियों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया और भविष्य में मगही साहित्य और संस्कृति के उत्थान के लिए और भी प्रयास किए जाने की घोषणा की गई।
प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने बताया कि यह सम्मेलन मगही साहित्य के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। सभी प्रतिभागियों ने मगही भाषा और संस्कृति की समृद्धि के लिए अपना योगदान देने का संकल्प लिया।
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