केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के विवाद ने जिस तरह से चौंकाया, समापन ने भी राहत पहुंचाई
जमशेदपुर में दुर्गा पूजा व्यापक स्तर पर और भव्यता से मनाए जाने की परिपाटी पिछले 100 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है . शहरवासी मां दुर्गा की बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं . दुर्गा पूजा उत्सव में जमशेदपुर केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति की भूमिका अहम होती है. समिति दुर्गा पूजा के दौरान व्यवस्था पर नजर रखने वाली इकलौती सामाजिक संस्था के रूप में काम करती है. जिला प्रशासन को संस्था से सहयोग की अपेक्षा रहती है और संस्था सहयोग भी करती है . इस बार कोरोना महामारी को लेकर छोटे स्तर पर सरकार के गाइडलाइन के अनुरूप दुर्गोत्सव का आयोजन किया जाना है. लेकिन इस बार अचानक जमशेदपुर केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के आपसी विवाद ने शहर में भूचाल पैदा कर दिया. एक ओर आम लोग इससे परेशान हुए तो दूसरी ओर जिला प्रशासन भी हक्का-बक्का था. लेकिन समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने बड़ी चतुराई से अल्प समय में विवाद का निराकरण कर एकता प्रदर्शित की. जब समिति के बीच पैदा हुए विवाद के समाप्त होने की खबर सुर्खियों में आई तो आम लोगों के साथ-साथ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली . क्योंकि संस्था दोनों के साथ सामंजस्य बैठाकर सहयोगात्मक भूमिका अदा करती है.
विवादों के पटाक्षेप के बाद एक बार फिर से जमशेदपुर केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सी एन बनर्जी और कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष सिंह चर्चा में आ गए . क्योंकि विवादों के निपटारे में इन दोनों पदाधिकारियों की अहम भूमिका थी . सभी विवादों को जड़ से खत्म कर इन दोनों पदाधिकारियों ने पूजा व्यवस्था की निगरानी का भार अपने कंधों पर उठाया और शांतिपूर्ण अस्तित्व के साथ पूजा के समापन की जिम्मेदारी ली. इस मौके पर राष्ट्र संवाद के संपादक देवानंद सिंह के साथ रामकंडे मिश्र ने इन दोनों पदाधिकारियों से विवादों के कुशलता से निष्पादन के सवाल पर राष्ट्र संवाद के कार्यालय में संक्षिप्त बातचीत के प्रमुख अंश :-
केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति का आपसी विवाद बड़ी ही कुशलता तत्परता और शीघ्रता से निपटा दिया गया कैसा अनुभव रहा
अध्यक्ष सी एन बनर्जी :-समिति का संचालन निस्वार्थ भाव से होता है. सदस्य हो या पदाधिकारी उद्देश्य सब का एक ही होता है . पूजा में बेहतर संचालन और समापन. हमारा अनुभव इसमें बहुत काम आया. दरअसल कुछ बिंदुओं को लेकर विवाद था, समिति के महासचिव रामबाबू सिंह के साथ . लेकिन आपसी बातचीत और तालमेल को फिर से जीवंत कर लिया गया. हमने तय किया कि बेहतर संबंधों से ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. सेवा भाव एक था इसलिए विवाद का समापन भी हो गया. सी एन बनर्जी ने इस मुद्दे को ज्यादा तूल देने के बजाय स्पष्ट किया कि एक घर में दो भाइयों के बीच भी तालमेल नहीं बन पाता है. पति पत्नी के बीच विवाद स्वभाविक होते हैं . यह तो एक बड़ी संस्था है. इसमें विवाद और मत विभिन्नता आम बात है. लेकिन इस विवाद का कतई मतलब यह नहीं है की समन्वय बिगड़ जाए. हमने विवादों का निपटारा कर लिया है. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत हम सब एक हैं.
इन विवादों के सार्वजनिक होने पर तो समिति की छवि पर असर पड़ता है
अध्यक्ष :- ऐसा नहीं है . एक बार खटपट होने के बाद हम और मजबूत होकर सामने आते हैं. श्री बनर्जी ने बांग्ला में एक गीत का अर्थ बताते हुए कहा कि कभी-कभी जानबूझकर भी हंसने हंसाने के लिए कोई गाना बेसुर और लय का गाया जाता है. हंसने हंसाने के बाद हम उसे बड़े ही अच्छी तरह गाते हैं. बस यही समझें. इससे ज्यादा कुछ नहीं है . वैचारिक रूप से भी और व्यवहारिक रुप से भी.
दुर्गा पूजा की तैयारियों को लेकर समिति क्या कुछ कर रही है
अध्यक्ष :- इस बार कोरोना को लेकर पूजा बड़े पैमाने पर नहीं मनाया जा रहा है . छोटे अस्तर पर केवल अनुष्ठान के साथ पूजा पाठ किए जा रहे हैं. इसलिए इस वर्ष ज्यादा कुछ करना नहीं है. सरकार का गाइडलाइन भी आ गया है . उसके आधार पर हमें अपने को तैयार रखना है. पूजा समितियों द्वारा गाइडलाइन का अनुपालन हो इसका ध्यान रखना है . श्री बनर्जी ने बताया की पूजा में व्यवस्था पर निगरानी के लिए पूरे शहर को 7 जोन में बांटा गया है . अध्यक्ष, उपाध्यक् और सभी पदाधिकारियों को कार्यकर्ताओं के साथ सभी जोन में रहना है और नजर रखनी है. पूजा का संचालन बेहतर हो इसके लिए काम करना है . प्रशासन भी सहयोग कर रहा है.
प्रतिमा के साइज को लेकर क्या गाइडलाइन है
सरकार ने प्रतिमा के साइज को लेकर बड़ी देर से आदेश निर्गत किए. अगर यह 2 माह पहले किया गया होता तो लोग अपने अपने घरों में पूजा कर लेते . जहां तक पंडाल और माता के स्थान की बात है तो पूजा की औपचारिकता पूरी की जाती. लेकिन अब ऐसा किया जाना कठिन है. क्योंकि जो भी मूर्तिकार और कलाकार हैं वह बिना आदेश निर्देश के हर वर्ष की भांति लंबे समय से मूर्तियों के निर्माण में लग जाते हैं. प्रतिमाएं बनकर तैयार हैं. इसलिए अब उसके आकार में परिवर्तन करना असंभव है. श्री बनर्जी ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया की माता की प्रतिमा के साइज को लेकर किसी तरह की बाधा न खड़ी करें . जिस भी आकार की प्रतिमा है, उसे स्वीकार करें और पूजा करने की अनुमति प्रदान करें.
*सरकार के गाइडलाइन में कुछ बाध्यता है क्या ?उससे परेशानी भी है*
सरकार के गाइडलाइन में पूजा पंडाल के अंदर पूजा में 7 लोगों के शामिल होने की अनुमति है . इसके लिए एक शपथ पत्र देने को कहा गया है .कहीं-कहीं पंडाल में पूजा कराने वालों का कोरोनावायरस जांच कराए जाने को कहा गया है. यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. आमतौर पर जगह-जगह निशुल्क टेस्ट हो रहे हैं , तो जो भी लोग पूजा कर रहे हैं, उनका टेस्ट कर लिया जाए तो इसमें बुरा क्या है. हम इसके लिए तैयार हैं .जहां तक शपथ पत्र की बात है तो उसे भी दिया जा सकता है. क्योंकि हम पहले से मन बना चुके हैं कि हमें सरकारी गाइडलाइन के अनुरूप ही आचार विचार करना है . पूजा पाठ करना है. इसलिए वह भी बहुत बड़ी समस्या नहीं है . जहां तक भोग नहीं बनाने की बात है और ना वितरित किए जाने की बात है, तो इसमें भी सरकार ने अच्छे कदम उठाए हैं. इस बात की संभावना थी की प्रसाद बांटने और उसे ग्रहण करने वाले संभव है कि कोरोना संक्रमण के शिकार हो जाएं. इसलिए हम इसकी जरूरत को भी शिथिल कर दिए हैं . श्री बनर्जी का कहना था की माता के लिए भोग तो बनेगा ही . लेकिन उसका वितरण नहीं होगा. सरकार की मनसा को भी उन्होंने सार्थक बताया और कहा कि संभव है कि पूजा में अनावश्यक भीड़ हो , और लोगों के बीच भोग का वितरण किया जाए. एक से लाखों लोगों तक यह संक्रमण फैल जा सकता है. जो विकट महामारी का रूप ले सकता है . इसलिए सरकार के गाइडलाइन का अनुपालन किया जाना बेहद ही आवश्यक है. उन्होंने कहा की अखबार भी कई मौके पर बेहतर सलाह देते हैं. जिसे मानकर और भी अच्छा किया जा सकता है.
समिति के विवादों का प्रशासन ने कोई नाजायज फायदा तो नहीं उठाया
फायदा उठाने का वक्त कहा था . हमने जितनी जल्दी विवाद सार्वजनिक किए, उतनी जल्दी उसका पटाक्षेप कर लिया. तो ऐसे में नाजायज फायदा उठाने का सवाल कहां संभव है . हो सकता है कि प्रशासन की मंशा रही हो , लेकिन मुझे नहीं लगता.
आम लोगों को आप क्या संदेश देना चाहते हैं पूजा के मौके पर
पूजा के मौके पर हमें धीरज से काम लेना चाहिए. परिवार के कम से कम सदस्य बाहर निकले . अपनी रक्षा और सुरक्षा स्वयं करनी है. पुष्पांजलि अर्पित करने परिवार का एक सदस्य जाए. भीड़ न लगाया जाए. दूर से ही माता को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया जाए. इस महामारी के काल में हमें हर तरफ से सावधानी बरतनी चाहिए . सरकार के गाइडलाइन का पालन करें और जिला प्रशासन का सहयोग करें. शांति से माता की आराधना की जाए और उनका आशीर्वाद लिया.
कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष सिंह से बातचीत के कुछ अंश
यह माना जाता है कि आप केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के महासचिव रामबाबू सिंह के कठपुतली हैं
आशुतोष सिंह :- रामबाबू सिंह एक अनुभवी समझदार और हम सबके अभिभावक स्वरूप हैं . अगर हम उनकी बातों को मानते हैं . उनके अनुभव को आत्मसात करते हैं , तो उसका गलत अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए. हम उनकी बातों पर अमल कर बेहतर करते हैं . उनसे सीखते हैं . अनुभव तो बाजार में बिकता नहीं है. साथ में ही रहकर प्राप्त किया जा सकता है.
*समिति अपने उद्देश्यों के लिए कैसे काम कर रही है* समिति का उद्देश्य एक है. पूजा का श्रद्धा और भक्ति के साथ शांतिपूर्वक समापन. हम निस्वार्थ भाव से समाज हित में काम करते हैं . पिछले दिनों अनावश्यक विवाद चर्चा में आया, जिसका खामियाजा समिति को भुगतना भी पड़ा. हमने आपस में मिल बैठकर विचारों का आदान प्रदान कर अपनी समस्या स्वयं लिपटा ली . सभी पक्षों का एक ही उद्देश्य था पूजा का शांति पूर्वक और सफलता से समापन. उन्होंने बताया कि पूरे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर जिले में 350 पूजा समितियां क्रियाशील है. सभी की अपनी-अपनी समस्या है. केंद्रीय पूजा कमेटी सभी की समस्याओं को देखती है, और उनका समाधान करती है. ऐसे में हमें और भी बेहतर ढंग से रहने और काम करने की जरूरत है . लंबे अरसे से जिले में मां दुर्गा की पूजा हो रही है . बड़ी भव्यता और हर्षोल्लास के साथ. कहीं कहीं मत विभिन्नता होती है. लेकिन वह कोई बहुत मायने नहीं रखता. आशुतोष सिंह ने माना कि कुछ अपने ही लोग यह नहीं चाह रहे थे कि समिति में एकता कायम हो और हम बेहतर ढंग से काम करें , लेकिन बुद्धिमानी से हमने सारे विवादों का समाधान किया और गलत सोच रखने वाले को करारा तमाचा लगा.
अंत में अध्यक्ष सी एन बनर्जी और कार्यकारी अध्यक्ष आशुतोष सिंह ने राष्ट्र संवाद के संपादक और उनके सहयोगियों का शुक्रिया किया तथा समय पर उचित सलाह दिए जाने का अनुरोध किया.
बहरहाल पूरे मामले कि अगर तीसरी आंखों से तहकीकात हो तो उपाध्यक्ष दिवाकर सिंह नंदजी सिंह
के साथ शहर के कई बुद्धिजीवी हैं जिन्होंने इस पूरे मामले को एक कराने में अहम भूमिका निभाई है उन सबों को भी राष्ट्र संवाद परिवार की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद