भारत पर बुरी नजर रखने से पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान
देवानंद सिंह
पाकिस्तान में 2024 ने सुरक्षा के मामले में एक बेहद चिंताजनक तस्वीर पेश की है। सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (CRSS) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस साल पाकिस्तान में सुरक्षाबलों पर 444 आतंकी हमले हुए, जिनमें कम से कम 685 सुरक्षाकर्मियों की जान गई। यह आंकड़ा न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। 2024 पाकिस्तान के सुरक्षाबलों के लिए पिछले एक दशक का सबसे घातक साल साबित हुआ है। खासकर, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाए जाने से पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा स्थिति और भी दयनीय हो गई है। निश्चित रूप से यह घटनाएं पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा की कमजोरी को उजागर करती हैं और यह सवाल उठाती हैं कि एक देश जो खुद आतंकवाद के शिकार है, वह दूसरों पर आतंकवादी हमले करवा रहा है।
पाकिस्तान में आतंकी हमलों की बढ़ती संख्या और सुरक्षाबलों की शहादत इस बात को स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था संकट में है। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे संवेदनशील प्रांतों में आतंकवादी गतिविधियां काफी बढ़ी हैं। ये प्रांत पहले भी संघर्षों और अस्थिरता का सामना कर चुके हैं, लेकिन 2024 में स्थिति और भी खराब हो गई है। खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में स्थानीय आतंकवादी समूहों की बढ़ती सक्रियता पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। इन इलाकों में सुरक्षाकर्मियों पर हमले केवल एक सुरक्षा समस्या नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ व्यवस्था की असमर्थता का भी परिचायक हैं। यह बात पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में आतंकवाद की समस्या जड़ें पकड़े हुए हैं और इस समस्या का समाधान पाकिस्तान की सरकार और सेना के लिए एक बड़ी चुनौती है। आतंकवादी संगठनों का नेटवर्क इतनी जटिलता से फैला हुआ है कि इसे समाप्त करना एक लंबी और मुश्किल प्रक्रिया है। पाकिस्तान की सरकार और सुरक्षाबल एक तरफ आतंकी हमलों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ यह भी साफ है कि उन्हें आतंकवादियों से लड़ाई में आंतरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
पाकिस्तान में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति खराब होने के बावजूद, पाकिस्तान ने भारत को निशाना बनाने के लिए आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पाकिस्तान की आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति, खासकर कश्मीर में, जगजाहिर है। पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवाद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया है और भारत पर आतंकवादी हमलों के लिए आतंकवादी संगठनों को भेजने का समर्थन किया है। इसके बावजूद, पाकिस्तान अपनी ही धरती पर बढ़ती आतंकी गतिविधियों को रोकने में असफल रहा है। 2024 में पाकिस्तान के सुरक्षाबलों पर हुए हमले इस बात का प्रमाण हैं कि पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा के संकट से निपटने में नाकाम साबित हुआ है।
पाकिस्तान की यह दोहरी नीति, जिसमें एक ओर वह आतंकवादियों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है और दूसरी ओर अपने ही देश में आतंकवादियों को बढ़ावा देता है, उसे वैश्विक समुदाय में न केवल आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि यह नीति पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति को और भी अधिक अस्थिर बना देती है। यदि, पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ वास्तविक कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो इसका न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरे क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस परिस्थितियों में निश्चित रूप पाकिस्तान के लिए यह समय आत्ममंथन का है। एक ओर, वह भारत के खिलाफ आतंकवाद का निर्यात करने की अपनी नीति पर अडिग है और दूसरी ओर, उसकी अपनी धरती पर आतंकी हमले हो रहे हैं। पाकिस्तान को समझना होगा कि जब तक वह अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत नहीं करता, तब तक वह बाहरी दुनिया में अपने इरादों को सही ठहराने में असफल रहेगा। पाकिस्तान की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वह अपने आंतरिक सुरक्षा संकट को पहले हल करे, क्योंकि यदि देश खुद आतंकवाद के खतरे से जूझ रहा है, तो वह किसी दूसरे देश को निशाना बनाकर अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता।
आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की नीतियां अस्थिरता और हिंसा का शिकार हो चुकी हैं। पाकिस्तान को यह स्वीकार करना होगा कि आतंकवाद का निर्यात करना न केवल उसके पड़ोसी देशों के लिए खतरनाक है, बल्कि यह उसे खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान के आतंरिक संघर्षों और आतंकवादी हमलों की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि देश को अपनी प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। पाकिस्तान को समझना होगा कि यदि वह अपनी घरेलू सुरक्षा को ठीक से नहीं संभालता, तो उसे खुद को संकटों से उबारने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा। पाकिस्तान को सबसे पहले अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। आतंकवादियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए स्पष्ट और प्रभावी रणनीतियां बनानी होंगी। इसके साथ ही, पाकिस्तान को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बदलाव करते हुए आतंकवाद का निर्यात बंद करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाने होंगे। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंकवाद का निर्यात करना केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा नहीं देता है, बल्कि यह पाकिस्तान के लिए भी दीर्घकालिक खतरे का कारण बनता जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि आतंकवादियों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की जा सके। पाकिस्तान के लिए यह समय है कि वह अपनी नीति में बदलाव लाकर खुद को स्थिर बनाए, ताकि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में वह न केवल पाकिस्तान, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व के लिए एक जिम्मेदार भागीदार बन सके। पाकिस्तान के लिए जिस तरह 2024 एक चेतावनी का साल साबित हुआ है। उस स्थिति में पाकिस्तान को समझना होगा कि आतंकवाद का निर्यात करने से पहले उसे अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना सबसे बड़ी प्राथमिकता बनानी चाहिए। यदि, पाकिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान नहीं करता, तो वह न केवल अपने नागरिकों को खतरे में डाल रहा है, बल्कि अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है।