आपसी भरोसा और रक्षा तैयारियों की चुनौती
देवानंद सिंह
बेंगलुरु में हो रहे एयरो इंडिया 2025 के दौरान भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के एक बयान ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में हलचल मचा दी है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह व्यक्त किया कि उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की क्षमता पर भरोसा नहीं है। यह बयान एक यूट्यूब वीडियो में एयरो इंडिया के एक कार्यक्रम के दौरान सामने आया, जिसने देशभर में कई सवाल खड़े किए।
उनका यह बयान विशिष्ट रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह किसी आधिकारिक ब्रीफिंग का हिस्सा नहीं था और इस बयान का संदर्भ और मौका दोनों ही सामान्य नहीं थे। पिछले कुछ वर्षों में HAL को लेकर आलोचनाएं सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार वायुसेना प्रमुख का बयान सीधे तौर पर कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, जो रक्षा तैयारियों और सैन्य क्षमता के लिए एक संवेदनशील मामला है।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह का बयान बिना किसी संदेह के एक चिंताजनक संकेत है। इस तरह के बयान आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं दिए जाते हैं, क्योंकि इससे न केवल HAL की प्रतिष्ठा पर असर पड़ता है, बल्कि देश की रक्षा तैयारियों पर भी प्रश्न उठते हैं। यह बयान वायुसेना के तेजस फाइटर जेट के निर्माण और आपूर्ति में हो रही देरी को लेकर आया है, इसको लेकर अब तक एक साल से अधिक समय हो चुका है। तेजस की देरी ने भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता पर असर डाला है, और एयर चीफ मार्शल के शब्दों से यह साफ है कि वे इस स्थिति से असंतुष्ट हैं।
वायुसेना प्रमुख ने अपने बयान में बार-बार कहने और नई डेडलाइन देने के बावजूद HAL की तरफ से तय समय सीमा का पालन न होने की बात की, जो यह संकेत देता है कि भारतीय वायुसेना अपनी सुरक्षा के लिए समय पर और विश्वासपूर्ण आपूर्ति की आवश्यकता महसूस करती है। इस बात को नकारा नहीं किया जा सकता कि वायुसेना की लड़ाकू क्षमता एक साल की देरी से बहुत प्रभावित होती है, और ऐसी स्थिति को जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए।
इस देरी के पीछे कई तकनीकी और आपूर्ति संबंधित जटिलताएं हैं। HAL के अधिकारियों का कहना है कि जो भी तकनीकी समस्याएं पहले थीं, वे अब हल हो चुकी हैं, और आने वाले तीन वर्षों में 83 तेजस विमान भारतीय वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे। लेकिन, यह प्रक्रिया किसी साधारण आपूर्ति से कहीं अधिक जटिल है। एक बड़ी समस्या अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस की ओर से F404 इंजन की आपूर्ति में हो रही देरी है। यह इंजन तेजस फाइटर जेट के लिए अहम है और उसकी आपूर्ति में देरी से पूरी परियोजना प्रभावित हो रही है।
इसके अलावा, तकनीकी हस्तांतरण समझौतों की जटिलता भी देरी की एक वजह है। अमेरिकी कंपनियों से जटिल सैन्य प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भारतीय कंपनियों तक पहुंचने में समय लगता है, जो स्वाभाविक रूप से इन परियोजनाओं में देरी का कारण बनता है। ऐसे में HAL की तरफ से इस देरी को केवल आंतरिक समस्याओं का परिणाम नहीं मान सकते। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और देशों के बीच तकनीकी सहयोग की जटिलताएं भी इस स्थिति को और गंभीर बना देती हैं।
एयर चीफ मार्शल का बयान सिर्फ एक तकनीकी समस्या से संबंधित नहीं है, बल्कि इसे भारत की सुरक्षा स्थिति से भी जोड़कर देखना जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में चीन की सैन्य ताकत में निरंतर वृद्धि हुई है। हाल ही में चीन ने अपने छठी पीढ़ी के J-36 फाइटर जेट्स का प्रदर्शन किया, जो भारतीय वायुसेना के लिए एक सीधा खतरा बन सकते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान को अगले दो वर्षों में चीन से स्टेल्थ फाइटर जेट्स की आपूर्ति होने वाली है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा पर और दबाव डाल सकते हैं।
इसलिए, भारतीय वायुसेना को किसी भी संभावित सैन्य चुनौती से निपटने के लिए हर मोर्चे पर तैयार रहना जरूरी है। तेजस की समय पर आपूर्ति न केवल भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी अहम है। यदि, वायुसेना को अपनी लड़ाकू क्षमता के लिए समय पर विमान नहीं मिलते हैं, तो यह देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहे हैं।
इस स्थिति में सबसे बड़ी आवश्यकता है विश्वास और साझेदारी की। वायुसेना और HAL के बीच अच्छे रिश्ते और समन्वय की आवश्यकता है, ताकि देश की रक्षा तैयारियों को और मजबूत किया जा सके। वायुसेना की यह चिंता उचित है कि तकनीकी दिक्कतों और आपूर्ति में देरी से उनकी सैन्य क्षमता पर असर पड़ सकता है, लेकिन इस स्थिति से उबरने के लिए HAL को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी समस्याएं न हों।
एक मजबूत और सक्षम रक्षा उद्योग देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है और इसके लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों का सहयोग अनिवार्य है। HAL को भी अपनी उत्पादन क्षमता और समय पर आपूर्ति की योजनाओं पर पुनः विचार करना होगा। दोनों संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा, ताकि भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में कोई कमी न हो और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली कोई स्थिति न पैदा हो।
कुल मिलाकर, वायुसेना प्रमुख का बयान HAL की क्षमता पर सवाल उठाने वाला है, जो देश की रक्षा तैयारियों में देरी को लेकर एक गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। तेजस की समय पर आपूर्ति भारतीय वायुसेना के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों के संदर्भ में। इस स्थिति को सुधारने के लिए HAL और वायुसेना को मिलकर काम करना होगा ताकि देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया जा सके और भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।