जमशेदपुर
मंत्री बनने के बाद पहली बार रामदास सोरेन पहुंचे जमशेदपुर
घाटशिला जाने के क्रम में शहीद निर्मल महतो की समाधि पर टेका मत्था
बीजेपी के साथ पूर्व सीएम चंपई सोरेन को लिया आड़े हाथ
पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन को हेमंत कैबिनेट में जगह दी गई है. मंत्री बनने के बाद पहली बार शनिवार को रामदास सोरेन जमशेदपुर पहुंचे. इस दौरान मंत्री रामदास सोरेन का समर्थकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया.
जमशेदपुर पहुंचने ही सबसे पहले वे शहीद निर्मल महतो के समाधि स्थल पर पहुंचे और मत्था टेका. मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री रामदास सोरेन ने पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि कम समय के लिए ही उन्हें जिम्मेदारी मिली है मगर पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करुंगा. उन्होंने कहां कि मंत्री बनाए जाने से उनके समर्थकों में उत्साह है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी उम्मीदों पर खडा उतरने का प्रयास करूंगा. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर मंत्री रामदास सोरेन ने कहां कि झारखंड मुक्ति मोर्चा पर इसका कोई फर्क असर नहीं पड़ने वाला है. झारखंड मुक्ति मोर्चा जमीन से जुड़ी पार्टी है.
हां उनकी कमी जरूर खलेगी, क्योंकि हमलोगों ने मिलकर अलग झारखंड राज्य के लिए संघर्ष किया था. वहीं घुसपैठ के मुद्दे पर मंत्री रामदास सोरेन ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी को केवल संथाल परगना में घुसपैठ नजर आ रहा है. बीजेपी में पहले से ही तीन-तीन मुख्यमंत्री हैं. अब चंपई सोरेन भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. उन्हें यह बताना चाहिए कि राज्य में कहां घुसपैठ नहीं हुआ है. जमशेदपुर में 86 बस्ती कहां से बसे हैं.
धनबाद- बोकारो में घुसपैठ हुआ है या नहीं उन्हें बताना चाहिए. चंपई सोरेन को कोल्हान टाइगर कहे जाने पर मंत्री रामदास सोरेन ने चुटकी लेते हुए कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का एक-एक कार्यकर्ता टाइगर हैं. चंपई सोरेन को टाइगर हमने बनाया. बता दें कि रामदास सोरेन संथाल समुदाय से आते हैं और जमशेदपुर के जिला अध्यक्ष भी हैं. उनके नेतृत्व में जमशेदपुर के चार विधानसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है. उन्हें मंत्री बनाने के पीछे चंपई सोरेन की कमी को पूरा करना है. वैसे देखना यह दिलचस्प होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का यह गांव कितना सफल होता है.