रघुवर सम्मानित हुए या दरकिनार
शशि भूषण पांडे
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओड़िसा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना के माहौल में अचानक हुई इस नियुक्ति से पूरे झारखंड का राजनीतिक वातावरण बदल गया है . भाजपा ही नहीं राज्य के अन्य दलों में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं . भाजपा से कद्दावर नेता का सम्मान बता रही है तो कांग्रेस और झामुमो के लोग रघुवर को झारखंड की सक्रिय राजनीति से दरकिनार किया जाना करार दे रहे हैं.
वैसे राजनीति के जानकारों के अनुसार रघुवर की राज्यपाल पद पर ताजपोशी से झामुमो और कांग्रेस में हर्ष का माहौल होना स्वाभाविक है. करण कि रघुवर दास ऐसे भाजपा नेता हैं जो हेमंत सरकार पर बेहद आक्रामक रहे हैं . वह बड़ी निर्भीकता से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कच्चा चिट्ठा जनता के समक्ष रखते हैं . साथ ही वह एक प्रभावशाली एवं कुशल राजनेता भी हैं, जिनकी बातों पर राज्य की जनता यकीन करती है. हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का भी रुख हेमंत सरकार के खिलाफ आक्रामक ही रहा है . राज्य के अन्य बड़े भाजपा नेता इस मामले में इशारों से ही काम चला लेते हैं . जानकारों के अनुसार रघुवर को राज्यपाल बनाए जाने से भाजपा के नेताओं में भी काफी हलचल देखी जा रही है . पार्टी में रघुवर के प्रतिद्वंद्वी काफी खुश हैं कि उन्हें झारखंड की राजनीति से बेदखल कर दिया गया . अब उनके लिए रास्ता साफ हो गया है .
इस पर खेमों में बंटे भाजपा के आम कार्यकर्ता भी ज्ञान बघारते-विश्लेषण करते चल रहे हैं ,लेकिन जो लोग दरकिनार किया जाना मान रहे हैं, उन्हें रघुवर की राजनीति पर एक नजर जरूर डालनी चाहिए कि अन्य नेताओं की अपेक्षा रघुवर की रणनीतिक चालें किस तरह अलग और पूरी तरह गोपनीय हैं. 1995 में जब उन्हें भाजपा ने पहली बार टिकट दिया तब भी लोग आश्चर्यचकित ही थे. किसी को अनुमान नहीं था की दिग्गज बीजेपी नेता दीनानाथ पांडे का टिकट काटकर रघुवर को थमा दिया जाएगा. 2008-09 में भाजपा का एक बड़ा वर्ग यह प्रचारित कर रहा था कि रघुवर को इस बार टिकट नहीं मिलेगा.
लेकिन हुआ इसके विपरीत . जिसका टिकट कट रहा था वही टिकट बांटने वाला बन गया. मतलब रघुवर प्रदेश अध्यक्ष बना दिए गए और और विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया. हालांकि वह सरकार 6-7 महीने बाद ही गिर गई और रघुवर को फिर शंटिंग में डालने की पूरी कोशिश हुई . कुछ समय बाद हालात बदले और रघुवर दास को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. इसी बीच 2014 में विधानसभा चुनाव हुए और और रघुवर दास मुख्यमंत्री बनाए गए.
गौरतलब है कि राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच रघुवर को जब भी बड़ी सफलता मिली उनकी गुपचुप रणनीति की भनक किसी को नहीं लगी. प्रतिद्वंद्वी अनाप-शनाप खबरें उड़ते रहे और रघुवर ऊंचाइयों पर चढ़ते गए. दूसरी और प्रदेश भाजपा के अन्य बड़े नेताओं की रणनीति का खुलासा राज्य के चौक चौराहों पर भी कार्यकर्ता करते रहते हैं. यही कारण है की प्रदेश भाजपा की राजनीति के जानकारी रघुवर को ओड़िसा का राज्यपाल बनाए जाने को एक अबूझ पहेली मान रहे हैं.