राफेल पर राहुल की माफी
जय प्रकाश राय
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिये जो सबसे बड़ा हथियार बना रखा था अब उसके लिये उन्होंने खेद जताया है। अपनी हर चुनावी सभाओं में उपस्थित भीड़ से चौकीदार चोर है के नारे लगवाते
चल रहे थें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला के लिये उन्होंने राफेल को सबसे बड़ा, अब तो इकलौता हथियार बना लिया था। लेकिन राफेल मु्द्दे पर सुप्रीम कोर्ट को अवमानना नोटिस का राहुल ने जो जवाबप दिया है, वह खुद उनके लिये और पूरी पार्र्टी के लिये फजीहत कराने वाला है। अतिउत्साह में राहुल सभी मोदी को चोर कहने लगे तो बिहार के उपमुख्य मंत्री सुशील मोदी ने इस मु्द्दे पर भी उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर कर दिया ै। अब प्रधानमंत्री सभी मोदी चोर है वाले राहुल के नारे को पिछड़ा वर्ग से जोड़कर चुनावी रैलियों में राहुल को पिछड़ी जाति का अपमान करने वाला बताने में लग गये हैं। राहुल ने जो जबावप सौंपा है वह चौंकाने वाला है। उनका सबसे बड़ा हथियार इस जवाब के बाद से कुंद हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील से जुड़े फैसले पर पुनर्विचार याचिका को मंजूर किया था. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने टिप्पणी की थी कि अब सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है कि चौकीदार चोर है. इसी बयान को लेकर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं और उन्होंने कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया था. अवमानना नोटिस से जवाब में राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, हां मैं मानता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी नहीं कहा ‘चौकीदार चौर है’. मेरी ओर से यह बयान चुनाव प्रचार के दौरान उत्तेजना में दिया गया था. राहुल गांधी ने इस मामले में अंडरटेङ्क्षकग देते हुए कहा कि आगे से मैं पब्लिक में कोई भी ऐसी टिप्पणी नहीं करूंगा, जब तक कि कोर्ट में ऐसी बात रिकॉर्ड में न कही गई हो. साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे शब्दों को विरोधियों ने गलत तरीके से पेश किया है.
चौकीदार चोर है का नारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अपने भाषणों और रैलियों में लगवाते रहे थें. राहुल गांधी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल डील में घोटाला किया है और अनिल अंबानी को करीब 30 हज़ार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया है. राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही नीरव मोदी और ललित मोदी का नाम लेकर यह कहने लगे हैं कि सारे मोदी चोर हैं। राहुल को इसी बातों से बचना चाहिये था। मामला जब अदालत में हो तो उसे लेकर वैसे भी इतनी बातें नहीं की जातीं। अदातल के फैसला के पहले ही राहुल फैसला सुनाने लग गये और जब कोर्ट में जबाव देने की बारी आई तो पलट गये। वैसे भी मानाजा रहा था कि किसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष यदि किसी एक दो नाम को लेकर पूरी जाति या समुदाय पर इस तरह का आक्षेप लगाने लगे तो फिर कौन बचेगा? फिर यह बात दूर तक जाएगी। आतंंकवाद को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है। इसी तरह की गलती कांग्रेस ने मालेगांव ब्लास्ट को लेकर भी किया था। उस दौरान हिन्दू आतंकवाद का आविश्कार कांग्रेस की ओर से किया गया और इससे भाजपा का नुकसान होने के बजाय फायदा ही मिला। कांग्रेस की छवि हिन्दू विरोधी की हो गयी। खुद कांग्रेस के नेता ए के एंटनी ने अपनी रिपोर्ट में इस बातका जिक्र किया था।
लेखक हिन्दी दैनिक चमकता आईना के संपादक हैं