Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » अवैध प्रवासियों की बेहूदा तरीके से वापसी जुड़े सवाल -ललित गर्ग –
    Breaking News Headlines अन्तर्राष्ट्रीय अपराध मेहमान का पन्ना राजनीति राष्ट्रीय

    अवैध प्रवासियों की बेहूदा तरीके से वापसी जुड़े सवाल -ललित गर्ग –

    News DeskBy News DeskFebruary 7, 2025No Comments7 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    अवैध प्रवासियों की बेहूदा तरीके से वापसी जुड़े सवाल
    -ललित गर्ग –

    डंकी रूट यानी गैरकानूनी तरीके से अमेरिका गये करीब 200 भारतीयों को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जिस असुविधा एवं अपमानजनक तरीके से अपने सैनिक विमान से बलपूर्वक भारत भेजा है, उससे अनेक प्रश्न खड़े हुए हैं। बेहतर भविष्य की तलाश में आए अवैध प्रवासियों को बेहूदा तरीके से खदेड़ा जाना विडम्बनापूर्ण एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरे विश्व को लोकतांत्रिक मूल्यों एवं मानव अधिकारों की नसीहत देने वाले अमेरिका ने जिस तरीके से विभिन्न देशों के कथित अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने की कार्रवाई की है, उस पर अनेक देशों ने आपत्ति जताई है। भले ही भारत ने इसे मुद्दा बनाने से परहेज करते हुए राजनीतिक कूटनीति की दृष्टि से ठीक किया हो, लेकिन भारत लौटे अप्रवासियों की चिन्ता एवं दर्द को समझना भारत-सरकार की प्राथमिकता बननी चाहिए। सुनहरे सपनों की आस में जीवनभर की पंूजी दांव पर लगाकर व एजेंटों को लाखों रुपये लुटाकर अमेरिका पहुंचे युवाओं ने सपने में नहीं सोचा होगा कि उन्हें अपराधियों की तरह वापस उनके देश भेजा जाएगा। ये हमारे नीति-नियंताओं की विफलता एवं विदेश नीति की नाकामी तो है ही, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत के साथ ऐसा व्यवहार अमेरिका के अहंकारी एवं संकीर्णतावादी सोच को भी दर्शा रहा है। अवैध प्रवासियों की उचित तरीकों से पहचान कर उन्हें उनके देशों को वापस भेजा जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भारत का इस मामले में शुरू से सहयोगात्मक रुख रहा है। लेकिन एक जायज सवाल वापसी के तौर-तरीके को लेकर उठना असंगत नहीं कहा जा सकता है।
    निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पूर्व जबरन की गई अवैध प्रवासी भारतीयों की निर्वासन उड़ान विसंगतियों व विडंबनाओं की ही घोतक है। हालांकि, भारत ने कूटनीतिक प्रयासों से अवैध अप्रवासन पर समयानुकूल निर्णय लेकर दोनों देशों में संबंध सामान्य बनाने के प्रयास को गलत नहीं कहा जा सकता। गलत तरीकों से अमेरिका में आये लोगों को उनके देश का रास्ता दिखाना भी गलत नहीं कहा जासकता, लेकिन जिस तौर-तरीके से यह कार्रवाई की गयी है, उस पर प्रश्न टंकने स्वाभाविक है। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब अवैध प्रवासी भारतीय वापस भेजे गए हों। लेकिन इस बार कई ऐसी बातें हैं, जो इसे अतीत की ऐसी घटनाओं से अलग एवं चर्चा का विषय बनाती हैं। दरअसल, अमेरिका की हालिया यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जमीनी स्तर पर बेहतर कूटनीतिक प्रयास करते हुए ट्रंप प्रशासन को इस बात को लेकर आश्वस्त किया कि भारत अपने भटके हुए नागरिकों की वैध वापसी के लिये तैयार है। निस्संदेह, भारत ने समझदारी से टकराव टालने का सार्थक प्रयास किया ताकि मोदी-ट्रंप की मुलाकात से पहले दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट न घुले। निश्चय ही हटी, अहंकारी एवं तुनक मिजाज ट्रंप व उनके प्रशासन से इस मुद्दे पर अड़ने से दोनों देशों के संबंधों के आहत होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।

    हमारे देश के युवा अमीर देशों में पलायन करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाते रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या गरीबी से छुटकारा पाने वालों एवं आकांक्षाओं से भी जुड़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही विदेश में निम्न-स्तरीय नौकरियां मिले लेकिन बेहतर वेतन के लोभ में युवा ऐसी नौकरियां करते हैं। भारत में बेरोजगारी का आलम यह है कि कुछ हजार कर्मियों की भर्ती के लिये लाखों से भी अधिक युवा-प्रार्थी आवेदन करते हैं। थक-हारकर ऐसी एवं अन्य नौकरियों के लिये कोशिशों में नाकाम रहने वाले युवा विदेशों की ओर पलायन करते हैं। कई लोगों की राय में अमेरिका में होने वाली अच्छी कमाई डंकी रूट की जोखिमों, परेशानियों, अपमान एवं कानूनी भय की भरपाई कर देती है। कई परिवारों ने कहा कि उनके बेटे और भतीजे हर महीने कम से कम दो लाख रुपये घर भेजते हैं और वे मुख्य रूप से गैस स्टेशन, मॉल, किराना स्टोर और रेस्तरां में फुल या पार्ट टाइम जॉब करते हैं। इस तरह होने वाली कमाई से न केवल उन्हें कर्ज उतारने, स्कूल की फीस भरने, दहेज, घर की मरम्मत और नई कार खरीदने में मदद मिली, बल्कि इससे उनकी सामाजिक स्थिति भी सुधरी। माना जाता है कि हाल के वर्षों में देखे गए वीजा बैकलॉग ने भी कुछ संभावित प्रवासियों को डंकी रूट अपनाने के लिए प्रेरित किया है।

     

     

    भारतीयों का विदेशों में बढ़ता पलायन और विशेषतः डंकी रूट से विदेश जाने की होड भारत के विकास पर एक बदनुमा दाग है। यह सरकार की विफलता ही है कि वह अपने युवाओं को उचित नौकरी नहीं दे पा रही है। इसी कारण अमेरिका जैसे देशों में भारतीय युवा अपने सपनों को पूरा होते हुए देखते है। हालांकि, एक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत, अमेरिका में गए सर्वाधिक अवैध अप्रवासियों वाले देशों में शुमार है। भारत इस तथ्य को समझता है कि मूल मसला इन अवैध प्रवासियों का वापस आना नहीं बल्कि उनका यह मान लेना है कि इस देश में उनका कोई भविष्य नहीं है। तभी तो वे अपनी जमा-पूंजी गंवाकर और जान का जोखिम मोल लेकर भी अमेरिका-कनाडा जैसे देशों का रुख करते हैं। ध्यान रहे, वैध तरीकों से अमेरिका पहुंचे और वहां रह रहे भारतीयों ने मेहनत और प्रतिभा-कौशल के बल पर अपनी अच्छी जगह बनाई है। न केवल अपनी जगह बनाई बल्कि अमेरिका के विकास में योगभूत बने हैं। लाखों भारतवंशियों ने अपनी मेधा व पसीने से अमेरिका की प्रतिष्ठा पर चार-चांद लगाए हैं। यही कारण है कि दो साल पहले वहां एक भारतीय परिवार की औसत आमदनी की तुलना में एक लैटिन अमेरिकी परिवार की औसत आमदनी काफी कम रही है। यही कारण है कि इस बार के अमेरिकी चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा भी बना था और राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डॉनल्ड ट्रंप इस मसले को रेखांकित भी किया, इस वजह से अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय की छवि भी प्रभावित हुई है।

     

     

    भारतीयों में विदेश जाकर पढ़ने और नौकरी का क्रेज है, यह सालों से रहा है। पंजाब, गुजरात के लोगों ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन में अपनी अच्छी जगह बनाई है लेकिन हाल के सालों में बहुत सारे भारतीय गैर-कानूनी यात्रा के शिकार होकर कुछ ने अपनी जान गवांई है तो कुछ अनेक तकलीफों का सामना कर रहे हैं। अवैध तरीकों से डंकी रूट से अमेरिका आदि देशों में युवाओं को भेजकर जानलेवा अंधी गलियों में धकेलने वाले एजेंटों ने भले ही मोटी कमाई की हो, लेकिन इस काले कारनामों एवं गौरखधंधे पर समय रहते कार्रवाई न होना सरकार की बड़ी विफलता है। मोटी कमाई और चमकीले सपनों का सम्मोहन युवाओं की सोचने-समझने की शक्ति को ही कुंद कर देता है कि वे अपनी जान तक को भी जोखिम में डाल देते हैं। दरअसल, डंकी रूट अमेरिका आदि देशों में जाने का एक ऐसा अवैध रास्ता है, जिसमें सीमा नियंत्रण के प्रावधानों को धता बताकर एक लंबी व चक्करदार यात्रा के माध्यम से दूसरे देश ले जाया जाता है। इतना ही नहीं, कभी उन्हें पूर्वी एशिया के देशों में साइबर अपराधी बंधक बनाकर ऑनलाइन धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं, तो कभी उन्हें धोखे से बिचौलिए रूसी सेना में भर्ती करवा देते हैं। कभी उन्हें इस्राइल-हमास के भयावह युद्धग्रस्त इलाके में काम की तलाश में पहुंचा दिया जाता है।
    अमेरिका से लौटे भारतीयों के दर्द को कम करना होगा एवं समझना होगा। इसके लिये भारत सरकार को व्यापक प्रयास करने होंगे। एक तो अवैध तरीकों से लोगों को विदेश पहुंचाने वाले गिरोहों के खिलाफ सख्त मुहिम चलानी होगी ताकि इस प्रक्रिया पर रोक लगे। दूसरी बात यह कि इसके साथ-साथ भारत में नौकरियों के नए अवसर बनाने पर भी ध्यान देना होगा। ऐसे में एक अहम सवाल यह भी है कि क्या भारत के पास अमेरिका से निर्वासन के लिये चिन्हित अपने करीब अट्ठारह हजार कथित अवैध प्रवासी नागरिकों के पुनर्वास को लेकर कोई योजना है? सरकार कैसे सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में ये लोग फिर किसी आप्रवासन का दुस्साहस नहीं करेंगे? अन्यथा भारत का युवा हर मोर्चे पर ऐसे अपमान, दर्द, परेशानी के दंश को झेलता रहेगा।

    अवैध प्रवासियों की बेहूदा तरीके से वापसी जुड़े सवाल -ललित गर्ग -
    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleराष्ट्र संवाद हेडलाइंस
    Next Article डा सुधा नन्द झा ज्यौतिषी द्वारा प्रस्तुत दैनिक राशिफल

    Related Posts

    बांग्लादेश में हिंदू नागरिक दीपु चंद्र दास की हत्या की जयघोष फाउंडेशन ने की कड़ी निंदा

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन से एक बार फिर कठघरे में हमारी न्याय व्यवस्था

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    अरावली की चिन्ताः नारे से आगे-अस्तित्व की लड़ाई

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    बांग्लादेश में हिंदू नागरिक दीपु चंद्र दास की हत्या की जयघोष फाउंडेशन ने की कड़ी निंदा

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबन से एक बार फिर कठघरे में हमारी न्याय व्यवस्था

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    अरावली की चिन्ताः नारे से आगे-अस्तित्व की लड़ाई

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    फिलिस्तीन के हमदर्द बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार के समय कहां गायब

    Sponsor: सोना देवी यूनिवर्सिटीDecember 25, 2025

    पेसा नियमावली पर निर्णय: लंबे संघर्ष के बाद कैबिनेट की मंजूरी, श्रेय को लेकर सियासत तेज

    परमात्मा की कृपा बनी रहे -मरते दम तक सेवक की भूमिका में रहना चाहता हूँ – काले

    यूसीआईएल में तबादला नीति पर उठे गंभीर सवाल, बाहरी प्रभाव और चयनात्मक कार्रवाई की चर्चाएं तेज

    मुर्गा पाड़ा में गोलियों की तड़तड़ाहट, कुख्यात अपराधी विजय तिर्की की हत्या तीन अज्ञात हमलावरों ने सिर और कंधे में मारी गोली, इलाके में दहशत

    क्रिसमस की धूम: दुल्हन की तरह सजे गिरजाघर, सरकार ने महिलाओं को दी बड़ी सौगात

    अटल बिहारी वाजपेयी जयंती की पूर्व संध्या पर भाजपा जमशेदपुर महानगर ने मनाया दीपोत्सव

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.