खास बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में जवाब दे रहे हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रस्ताव पर चर्चा तीन दिनों में सदन द्वारा किया गया मुख्य कार्य है जिसमें 25 दलों के 50 सदस्यों ने भाग लिया। भाजपा ने सरकार के पक्ष को मजबूती से दिखाने के लिए अपने सदस्यों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया हुआ है। ऊपरी सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में 15 घंटे की बहस हुई। संसद के सत्र के दौरान सत्ता और विपक्ष के बीच किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर तीखी बहस देखी गई। शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार का पक्ष रखा था।
इस सदन की पवित्रता समझें
भारत के उज्ज्वल भविष्य में ईस्टर्न इंडिया बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जिस प्रकार देशभर में स्वीकृति मिली है, वह अपने आपमें सराहनीय है।
भारत की युवा शक्ति पर हम जितना जोर लगाएंगे, हम जितने अवसर उनको देंगे, मै समझता हूं कि वो हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत नींव बनेंगे।
गांव और शहर की खाई को अगर हमें पाटना है तो उसके लिए आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ना होगा।
इस सदन की पवित्रता समझे हम। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी लगातार रहेगा।
हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी।
हमें देश को आगे ले जाना होगा
मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। आइए मिलकर चलें।
हर कानून में अच्छे सुझावों के बाद कुछ समय के बाद बदलाव होते हैं। इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में क्या हुआ। इन सभी ने एक या दूसरे तरीके से राष्ट्र को चोट पहुंचाई है। इस प्रकार, हमने इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए तेजी से काम किया है।
एमएसपी था, है और भविष्य में भी रहेगा
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के साथ क्या हुआ। इसे विभाजन के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह 1984 के दंगों के दौरान सबसे ज्यादा रोया था। वे सबसे दर्दनाक घटनाओं के शिकार हुए। जम्मू-कश्मीर में मासूमों की हत्या कर दी गई। हथियारों का कारोबार उत्तर पूर्व में किया जाता था। इस सबने राष्ट्र को प्रभावित किया।
शरद पवार जी, और कांग्रेस के लोग, सभी … सभी सरकारें कृषि सुधारों के लिए खड़ी हुई हैं। वे ऐसा करने में सक्षम थे या नहीं, लेकिन सभी ने वकालत की है कि यह किया जाना चाहिए।
भारत को सिखों के योगदान पर बहुत गर्व है। यह एक ऐसा समुदाय है जिसने राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया है। गुरु साहिबों के वचन और आशीर्वाद अनमोल हैं।
एमएसपी था। एमएसपी है। भविष्य में भी एमएसपी बना रहेगा। गरीबों के लिए किफायती राशन जारी रहेगा। मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
कांग्रेस और सभी दलों ने कृषि सुधारों की बात कही है
‘किसान उड़ान’ के द्वारा हवाई जहाज से जैसे हमारे नार्थ ईस्ट की कितनी बढ़िया-बढ़िया चीजें जो ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अभाव में वहां का किसान लाभ नहीं उठा पाता था, आज उसे किसान उड़ान योजना का लाभ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कथन पढ़ा, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए।
कांग्रेस और सभी दलों ने कृषि सुधारों की बात कही है। पिछले 2 दशक से ये सारी बातें चल रही हैं। ये समाज परिवर्तनशील है। आज के समय हमें जो सही लगा उसे लेकर चलें, आगे नई चीजों को जोड़ेगें। रुकावटें डालने से प्रगति कहां होती है।
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किए
पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की। छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है।
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। पशुपालकों जैसी आजादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए।
पीएम ने पूछा- पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या
2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे।
पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी। ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है।
पीएम मोदी ने पढ़ा पूर्व पीएम का कोट
भारत में कृषि बाजार में डेयरी खेती का योगदान 28% से अधिक है। यह व्यापार 8 लाख करोड़ रुपये का है। दूध का मूल्य एक साथ संयुक्त खाद्यान और दालों दोनों से अधिक है।
मैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक उद्धरण पर प्रकाश डालना चाहूंगा, ‘उन्होंने कहा था, 1930 के दशक में पूरे विपणन शासन की स्थापना के कारण अन्य कठोरता हैं जो हमारे किसानों को अपनी उपज बेचने से रोकते हैं जहां उन्हें रिटर्न की उच्चतम दर मिलती है।’
पहले की फसल बीमा योजना एक प्रकार से बैंक गारंटी के रूप में काम करती थी। वो भी छोटे किसानों के लिए होता नहीं था, जो बैंक के से लोन लेता उनके लिए वो था।
सिंचाईं की व्यवस्था भी छोटे किसानों के लिए नहीं थी। बड़े किसान तो ट्यूबवेल भी ले लेते थे, बिजली भी लग जाती थी।
किसान को एक किसान क्रेडिट कार्ड देंगे
खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है। मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे।
अब तक, 1.75 करोड़ से अधिक किसानों को केसीसी प्राप्त हुए हैं और हम इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए राज्यों से मदद ले रहे हैं।
पीएम फसल बीमा योजना के तहत बड़े और छोटे शामिल किसानों को 90,000 करोड़ रुपये का दावा किया गया है। हमने यह भी तय किया कि हम हर किसान को एक किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान करेंगे, और मछुआरों को भी।
मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है
जल, थज, नभ, अंतरिक्ष भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए अपने सामर्थ्य के साथ खड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक भारत की कैपेबिलिटी को दुनिया ने देखा है।
भारत मोबाइल फोन के निर्माता के रूप में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बना है। भारत में रिकॉर्ड संख्या में स्टार्टअप, यूनिकॉर्न जिसकी विश्व में जय-जय कार होने लगी है। रिन्यूबल एनर्जी के क्षेत्र में विश्व में पहले पांच देशों में हमने अपनी जगह बना ली है।
मुझे नेता के रूप में जब चुना गया था तो मैंने पहले भाषण में कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। मैं आज दोबारा आने के बाद भी यही दोहरा रहा हूं। उसी मिजाज के साथ हम काम कर रहे हैं।
आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है। आज भारत में अन्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है। भारत आज दुनिया में दूसरा बड़ा देश है जहां पर इंटरनेट यूजर्स हैं।
किसान आंदोलन की मूलभूत बात पर चर्चा नहीं हुई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि असदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है। ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताई गई। किस बात को लेकर आंदोलन है उस पर सब मौन रहे। जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती। फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा।
हमारा लोकतंत्र ‘सत्यम, शिवम, सुंदरम पर आधारित है
आपातकाल के दिनों का याद कीजिए। न्यायपालिका, मीडिया, शासन का क्या हाल था। सब कुछ जेलखाने में परिवर्तित हो चुका था। लेकिन इस देश के संस्कार जो लोकतंत्र के रंगों से रंगे हैं, उसने मौका मिलते ही फिर से लोकतंत्र को प्रतिस्थापित कर दिया।
अगर हम समस्या का हिस्सा बनते हैं, तो राजनीति फलती-फूलती है। यदि हम समाधान का हिस्सा बनते हैं, तो राष्ट्र फलता-फूलता है। हम समाधान का हिस्सा बनेंगे और मुद्दों को चुनौती देंगे।
भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है, न आक्रामक है। ये ‘सत्यम, शिवम, सुंदरम मूलों से प्रेरित है।’ ये वक्तव्य आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी का है।
आर्थिक क्षेत्र में भारत की एक नई छवि बन रही है
आर्थिक क्षेत्र में आज भारत की एक नई छवि बन रही है। कोरोना काल में दुनिया के लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं। लेकिन भारत है जहां रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। एक तरफ निराशा का माहौल है, तो दूसरी तरफ हिंदुस्तान में आशा की किरण नजर आ रही है।
दुर्भाग्य है कि जाने-अनजाने में हमने नेताजी की भावना को, उनके आदर्शों को भुला दिया है।
उसका परिणाम है कि आज हम ही, खुद को कोसने लगे हैं। हमने अपनी युवा पीढ़ी को सिखाया नहीं कि ये देश लोकतंत्र की जननी है। हमें ये बात नई पीढ़ी को सिखानी है।
लोकतंत्र पर जो लोक शक उठाते हैं, भारत की मूलभूत शक्ति पर जो शक उठाते हैं, उनको मैं कहूंगा कि इसे समझने का प्रयास करें। हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है, ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर है
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में, हम दुनिया के शीर्ष पांच देशों में से एक बन गए हैं और लगातार शीर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। हवा से लेकर पानी तक सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर हवाई हमले तक दुनिया ने भारत की क्षमता को देखा है।
यह भारत की शक्ति है, जिसमें हाल के वर्षों में कई गुना वृद्धि हुई है। मोबाइल फोन निर्माता के रूप में, भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, भारत की कृषि उपज एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, हम इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में दूसरे स्थान पर हैं और हर महीने, हम यूपीआई के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन करते हैं।
भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है
भारत का लोकतंत्र ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ पर आधारित है।
इस कोरोना काल में भारत ने वैश्विक संबंधों में एक विशिष्ट स्थान बनाया है, वैसे ही भारत ने हमारे फेडरल स्ट्रक्चर को इस कोरोना काल में, हमारी अंतर्भूत ताकत क्या है, संकट के समय हम कैसे मिलकर काम कर सकते हैं, ये केंद्र और रज्य सरकार ने मिलकर कर दिखाया है।
भारत केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है। भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है और यह हमारा लोकाचार है। हमारे राष्ट्र का स्वभाव लोकतांत्रिक है। भारत का प्रशासन लोकतांत्रिक है- परंपराओं, इसकी संस्कृति, इसकी विरासत और इसकी इच्छाशक्ति सभी लोकतांत्रिक है। हम एक लोकतांत्रिक देश बनाते हैं।
लोकतंत्र को लेकर यहां काफी उपदेश दिए गए हैं। लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि जो बातें यहां बताई गईं हैं, उसमें देश का कोई भी नागरिक भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं।
भारत ने महामारी के दौरान वैश्विक संबंधों को मजबूत किया
भारत ने महामारी के दौरान वैश्विक संबंधों में एक स्थिति और छवि को मजबूत किया है। इसी अवधि के दौरान, इसने हमारे संघवाद को भी मजबूत किया है। मैं सहकारी संघवाद को मजबूत करने पर राज्यों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई।
हम सभी के लिए ये भी एक अवसर है कि हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये अपने आप में एक प्रेरक अवसर है। हम जहां भी, जिस रूप में हों मां भारती की संतान के रूप में इस आजादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए।
कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है
कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है। लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है। गर्व करने में क्या जाता है? विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है?
भारत ने अपने नागरिकों को एक नए दृष्टिकोण और एक फ्रेम के साथ बचाने के लिए एक अज्ञात दुश्मन से लड़ाई लड़ी। हमें रास्ते तलाशने, तरीके बनाने और लोगों को बचाना था। पूरे देश ने अच्छा प्रदर्शन किया और दुनिया स्वीकार करती है कि भारत ने मानव जाति को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
कोविड के दौरान, दुनिया भर में स्थितियां विनाशकारी थीं। किसी की मदद करना एक बड़ी चुनौती थी। देश एक दूसरे की मदद नहीं कर सके और यहां तक कि परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे की मदद करने में विफल रहे। भारत की महामारी से निपटने को लेकर दुनिया भर में संदेह था।
दुनिया की नजर भारत पर है
दुनिया की नजर भारत पर है। भारत से उम्मीदें हैं और भरोसा है कि भारत हमारी धरती की बेहतरी में योगदान देगा।
जो देश युवा हो। जो देश उत्साह से भरा हुआ हो। जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो। वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता।
अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति जी का इस दशका का प्रथम भाषण हुआ। लेकिन ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे में एक अवसरों की भूमि है। अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं।
मैं सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूं
राज्य सभा में करीब 13-14 घंटे तक 50 से अधिक माननीय सदस्यों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इसलिए मैं सभी आदरणीय सदस्यों का हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं।
अगर हम पूरी दुनिया को देखें और इसकी तुलना भारत के युवा दिमाग से करें, तो ऐसा लगता है कि भारत अवसरों की भूमि में बदल गया है। एक देश जो युवा है, उत्साह से भरा है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, ऐसे अवसरों को कभी नहीं जाने देगा।
पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच।
प्रधानमंत्री ने पढ़ीं मैथिलीशरण गुप्त की कविता
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में मैथिलीशरण गुप्त की कविता की पंक्तियां पढ़ी- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल पल है अनमोल। अरे भारत! उठ, आंखें खोल..! आज के समय में अगर कहा जाता है तो ऐसे कहते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा हर बंदिश को तोड़, अरे भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़।
राष्ट्रपति का भाषण नए आत्मविश्वास वाला रहा
राज्यसभा में बोले प्रधानमंत्री मोदी, ‘पूरा विश्व चुनौतियों से जूझ रहा है। राष्ट्रपति का भाषण नए आथ्मविश्वास वाला रहा। मैं राष्ट्रपति जी का तहे दिल से आभार व्यक्त करने के लिए आप सभई के सामने प्रस्तुत हुआ हूं। मैं सांसदों का भी आभार व्यक्त करता हूं।’
मोदी के जवाब से पहले राज्यसभा में कृषि, वित्त और रक्षा मंत्री मौजूद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थोड़ी देर में राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पर जवाब देंगे। इससे पहले ऊपरी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद हैं।
मोदी के जवाब से पहले राज्यसभा में कृषि, वित्त और रक्षा मंत्री मौजूद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थोड़ी देर में राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पर जवाब देंगे। इससे पहले ऊपरी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद हैं।
भारत में मार्च तक आएंगे 17 राफेल विमान
राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘अब तक 11 राफेल विमान आ चुके हैं और मार्च तक 17 राफेल भारत की धरती पर होंगे। अप्रैल 2022 तक हमारे सारे राफेल भारत आ जाएंगे। हमारी सेना ने अब पाकिस्तान की शरारतों को सीमा तक ही सीमित कर दिया है। जिस प्रकार की कार्रवाई हमारी सेना के द्वारा की जाती है उसकी जितनी सराहना की जाए वो कम है।’