अनंत कुमार की रिपोर्ट
तेघड़ा ,बेगूसराय :”परिश्रम कभी बेकार नहीं जाती .और सफलता एक ना एक दिन जरूर मिलती है.यह कहाबत अपने आप में उदाहरण नहीं सत्य को प्रमाणित करने वाला एक कथन है. तस्वीर आज तेघड़ा अनुमंडल पदाधिकारी राकेश कुमार के अधिकारी कक्ष से है ,जहां अनुमंडल पदाधिकारी एवं अवर अनुमंडल पदाधिकारी अविनाश कुणाल ने तेघड़ा प्रखंड अंतर्गत दुलारपुर गांव के रहने वाले वॉलीबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी अभिनंदन कुमार उर्फ चीकू जिन्हें अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया .इस सम्मान के पीछे की कहानी काफी रोचक है ,अभिनंदन कुमार चीकू जो मूल रूप से दुलारपुर के रहने वाले हैं .यह एक वॉलीबॉल के खिलाड़ी हैं ।पिता रामकुमार सिंह जो भारतीय सेना में एक कर्मी थे सेवा के दौरान वर्ष 2000 में उनकी मौत हो गई ,अभिनंदन कुमार चीकू दो भाई और दो बहन जिसमें से यह सबसे छोटे हैं. बड़े भाई जो सेना में ही कार्यरत है एक बहन जो नर्स है .अभिनंदन कुमार चीकू वर्ष 2006 से वॉलीबॉल खेलना प्रारंभ किए .प्रारंभ से ही यह ग्रामीण क्लब दुलारपुर के मैदान से वॉलीबॉल खेल की यात्रा को प्रारंभ किया ,इन्होंने अभी तक कुल 18 बार राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल प्रतियोगिता में शिरकत किया ,अभी भी यह ग्रामीण क्लब दुलारपुर के ही खिलाड़ी है लेकिन जब बात बिहार वॉलीबॉल संगठन के द्वारा राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की सूची में सूचीबद्ध होने का समय आया तो यह नालंदा जिला की टीम में चयनित हुए ,उन्हें बेगूसराय के टीम में स्थान नहीं मिला । वर्तमान समय में इनका चयन बिहार सरकार की सचिवालय में जल संसाधन विभाग में बतौर क्लर्क के पद पर खेल कोटा से ही चयनित हुए उसके बाद आज अधिकारियों ने इन्हें कार्यालय में बुलाकर अंग वस्त्र से सम्मानित किया. यह छन अपने आप में काफी भावुक था जब इस पूरे प्रकरण को लेकर उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि ,मेरे लिए इस खेल की यात्रा में बहुत सारे तथ्य छुपे हुए हैं , मैंने बिना किसी प्रशिक्षण का ग्रामीण क्लब दुलारपुर के मैदान में वर्षों तक वॉलीबॉल खेलते रहा,एक दौर वर्ष 2018-19 का भी आया जब लगा कि अब खेल छूट जाएगा मेरा पैर टूट गया मैं काफी घबरा गया ,विचलित हो गया फिर भी धीरे-धीरे मैंने प्रयास किया और आज इस मुकाम को मैंने हासिल किया इसको हासिल करने के पीछे मेरे पूरे परिवार ,मेरे मित्र और बिहार वॉलीबॉल संगठन के अधारियो एवं मेरे अग्रजो का अहम योगदान है। मैंने कभी भी उतावलापन और धैर्य खो कर काम नहीं किया। कुछ लोग थे जो बार-बार हमें विचलित करने की कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हें भी हंसकर जवाब देता था आज वह सभी लोग बधाई के पात्र हैं।