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    Home » हास्य कलाकार रामजीवन गुप्ता के निधन पर शोक में डूबा देवघर नगरी
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    हास्य कलाकार रामजीवन गुप्ता के निधन पर शोक में डूबा देवघर नगरी

    Nijam KhanBy Nijam KhanMarch 26, 2025No Comments3 Mins Read
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    हास्य कलाकार रामजीवन गुप्ता के निधन पर शोक में डूबा देवघर नगरी

    राष्ट्र संवाद संवाददाता

    देवघर:अखिल भारतीय मंचों पर नाटक को जीवंतता देने वाले रोहिणी के प्रसिद्ध नाट्यकर्मी रामजीवन प्रसाद गुप्ता ने विगत 21 मार्च, 2025 को जीवन के रंगमंच को अलविदा कह दिया। उनके निधन पर रोहिणी, देवघर सहित तमाम नाट्यप्रेमियों की आँखें नम हैं, इसी क्रम में आज दिवंगत के पैतक निवास रोहिणी के गाँधी चौक में सुरेश उमर, बजरंगी उमर, अशोक भगत, महेश पाण्डेय एवं नारायण पाण्डेय के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
    कला और नाटक से समृद्ध संस्कृति में बसे देवघर के रोहिणी में 1 अगस्त, 1957 को जन्में रामजीनव गुप्ता के लिए नाटक जीवन का पर्याय बन चुका था। वे नाटक में अपनी जीवन की संपूर्णता को देखते थे। अपने छात्र जीवन में इन्होंने नाटक का गुर सीख कर कई नाटकों में मंचन किया। परंतु चित्तरंजन रेलईंजन कारखाना में नौकरी होने के बाद मिहिजाम में ही बस गए । कुछ करने की चाहत से अपने मित्र मंडली के साथ 26 जनवरी 1977 को मिहिजाम के हिलरोड में जागृति कला केन्द्र नामक नाटक क्लब की स्थापना की। कई सहयोगी कलाकार आए और इस संस्था से जुड़ते चले गए। ऐसे मित्र जो – नाटक में रूचि रखते थे, परंतु नाटक का ककहरा नहीं जानते थे। इन्होंने उसे कलाकार बनाया। स्थानीय स्तर पर ऐसा कोई मंच नहीं बना, जिसमें उनके कलाकारों ने नाटक का मंचन कर दर्शकों की ताली और प्रसंशा न बटोरी हो। जागृति कला केन्द्र का नाम समय के साथ बदलकर कला मंच हो गया। रामजीवन प्रसाद गुप्ता के निर्देशन में कला मंच का डंका क्षेत्रीय स्तर से लेकर अखिल भारतीय स्तर के प्रतियोगिता में बजता रहा।
    चित्तरंजन रेल ईंजन कारखाना का प्रतिनिधित्व करते हुए कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, पटना, सिकंदराबाद, उदयपुर, भुवनेश्वर जैसी जगहों पर अखिल रेल नाट्योत्सव में भाग लिया और बतौर श्रेष्ठ नाटक, श्रेष्ठ निर्देशन एवं श्रेष्ठ अभिनेता नाटकों में पुरस्कृत होते रहे। रामजीवन प्रेमचंद की कहानियों का नाट्य रूपांतरण कर उसका सफल मंचन कर अपने लेखन व निर्देशन का लोहा भी मनवाया। उन्होंने सौ से ज्यादा नाटको का मंचन किया जिनमें प्रमुख पंच परमेश्वर, कफन, नमक का दारोगा, हिंसा परमो धर्म, कब्रिस्तान का ओपेनिंग, अपहरण भाईचारे का, गुडबॉय स्वामी, हड़प्पा हाउस, यमराज का दरबार इत्यादि है। उनकी कहानियों का प्रकाशन समय समय पर पत्र-पत्रिकाओं में होता ही रहता उनके द्वारा प्रकाशित नाट्यरुपान्तरण पंच परमेश्वर काफी लोकप्रिय रहा।भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा निरंतर अपनी उत्कृष्ठता के लिए सम्मानित होने वाले रामजीवन जी के विषय में नम आँखों से ग्रामवासी बताते हैं कि इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद जब कभी भी गाँव में नाटक का मंचन होता, तो वो पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ गाँव के साथियों के साथ साथ नए लड़को को साथ ले नाटक की तैयारी और निर्देशन में जुट जाते। उनके बारे में लोग कहते हैं कि रंगमंच ही नही वास्तविक जीवन में भी उनका किरदार सभी को बहुत प्रभावित करता शायद उनकी यही सकारात्मकता उनके बच्चों के लिए भी प्रेरणा श्रोत बनी। आज उनके तीनों बेटे सार्वजनिक बैंक में अधिकारी के रुप में कार्यरत हैं।
    कवि दिनेश देवघरिया के रुप में राष्ट्रीय चैनलों से लेकर देश के तमाम काव्यमंचों पर अपनी पहचान बनाने वाले उनके बेटे ने कहा कि उनके पिता ही उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शक थे। अपनी उप्लब्धि का श्रेय अपने पिता को देते हुए उन्होंने कहा-

    जिंदगी के रंगमंच पर, साहस बन
    मेरी साँसों में मुस्कुराएँगे।
    मुझे मालूम है, मालूम है मुझे
    पापा! आप कहीं नहीं जाएँगे।

    सभा में उपस्थित रतनलाल केशरी, सत्यनारायण पाण्डेय, उदय भानू, महेश गुप्ता, अमरनाथ केशरी, कुन्दन पाण्डेय, नन्द किशोर तिवारी, अमित भगत, मनोज श्रीवास्तव आदि ने अपनी ओर से रंगकर्मी रामजीवन प्रसाद गुप्ता को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।

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