भाजपा को महंगा पड़ सकता है सत्यानंद झा बाटुल तथा लुईस मरांडी का टिकट काटना
नाला में पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा उर्फ बाटुल तथा दुमका में पूर्व समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी का भाजपा को पहचान दिलाने में अहम योगदान रहा है
निजाम खान। राष्ट्र संवाद
जामताड़ा/दुमका: 2024 का विधानसभा चुनाव इस बार काफी रोमांचक होने वाला है।झारखंड गठन के बाद सबसे रोमांचक चुनाव अगर कह सकते हैं तो 2024 के विधानसभा चुनाव को रोमांचक कहा जा सकता है।आप सोच रहे होंगे आखिर 2024 के विधानसभा चुनाव को रोमांचक चुनाव क्यों कहा जा रहा है?तो आपको बता दें इस चुनाव को रोमांचक बनाने में अगर हाथ किसी का है तो वह भारतीय जनता पार्टी का है और भारतीय जनता पार्टी के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री सह झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान ,असम के मुख्यमंत्री व झारखंड के चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्व शर्मा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, प्रतिपक्ष नेता अमर बावरी का हाथ है कहने से इनकार नहीं किया जा सकता।जिस तरह से किसी छात्र का अच्छे परिणाम आने पर श्रेय उनके टीचर को जाता है ठीक उसी तरह बुरे परिणाम का भी श्रेय उसी टीचर को ही जाता है।यानी इस तरह से हम कह सकते हैं कि झारखंड में 2024 का विधानसभा चुनाव अगर बीजेपी जीतती है अच्छा परफॉर्मेंस करती है सत्ता की चाबी छीन कर अपनी झोली में भर पाने में कामयाब हो पाती है तो इसका श्रेय कहीं ना कहीं केंद्रीय कृषि मंत्री सह झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान,असम के मुख्यमंत्री व चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्व शर्मा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, प्रतिपक्ष नेता अमर कुमार बावरी को ही जाएगा ।लेकिन अगर परफॉर्मेंस अच्छा नहीं हुआ अगर हार का सामना करना पड़ा तो इसका भी जिम्मेदार कहीं ना कहीं यही माननीय सब होंगे!आपको बता दें भाजपा में इस समय जो माहौल देखा जा रहा है वह कहीं ना कहीं भाजपा के लिए अच्छी खबर तो कम से कम हम नहीं कह सकते हैं। कारण यही है कि पार्टी में टिकट देते ही कई कद्दावर नेता जिन्होंने किसी विधानसभा क्षेत्र में कमल को पहली बार खिलाया है जो 30 साल से 40 साल से बीजेपी जिंदाबाद के नारे लगाते रहे वैसे नेता व नेत्री भाजपा को अलविदा कह दिया ।ठीक उसी तरह संथाल परगना में भी पार्टी को मजबूती प्रदान करने वाले पार्टी को अस्तित्व में लाने वाले या यूं कहे कि पार्टी का जनक कहे जाने वाले दो दिग्गजों का टिकट काट दिया गया ।दोनों दिग्गज का टिकट काटने से दोनों बागी हो गए और पार्टी से इस्तीफा दे दिया और पार्टी से इस्तीफा ही नहीं बल्कि उनके जो समर्थक थे सैकड़ो की संख्या में वह भी पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं ।बताया जा रहा है नाला विधानसभा में लगभग 5 हजार दिग्गज कार्यकर्ता पार्टी से इस्तीफा देंगे और वैसे वैसे कार्यकर्ता जो काफी दिग्गज पुराने वरिष्ठ अनुभवी भाजपा के किसी न किसी जिम्मेदार पद के कार्यकर्ता भाजपा से इस्तीफा देंगे।इसका कारण इन दिग्गजों का टिकट काटना ।आपको बता दें संथाल परगना के दुमका संसदीय क्षेत्र में नाला विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक सह झारखंड सरकार में रह चुके पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा उर्फ बाटुल तथा दुमका विधानसभा की पूर्व विधायक तथा पूर्व कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी का टिकट काट दिया गया। टिकट कट जाने से दोनों नेता बागी हो गये और पार्टी से इस्तीफा दे दिये।दोनों नेता को भाजपा का मजबूत सिपाही माना जाता है। कद्दावर नेता माना जाता है ।कहा जाता है कि नाला विधानसभा में भाजपा का अर्थ ही सत्यानंद झा उर्फ बाटुल ही है। आपको बता दे झारखंड गठन के बाद नाला विधानसभा में पहली बार कमल खिलने वाले कोई शख्स है तो वह सत्यानंद झा उर्फ बाटुल है ।वही दुमका विधानसभा में पहली बार कमल खिलाने वाली कोई है तो डॉ लुईस मरांडी ही है। आपको बता दे वर्ष 2014 की विधानसभा चुनाव में डॉ लुईस मरांडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तक हरा चुकी है ।लेकिन इन सब के बावजूद भी ऐसे ऐसे नेताओं के भाजपा द्वारा टिकट काट दिया गया ।यही नहीं आपको बता दे सत्यानंद झा उर्फ बाटुल जो कि नाला विधानसभा के पूर्व विधायक है वह जब भी हारे है काफी कम वोटो से हारे हैं।लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया ।जबकि वहां के विधायक भी रह चुके हैं ।भाजपा ने नाला से माधव चंद्र महतो को तथा दुमका से पूर्व सांसद सुनिल सोरेन को टिकट दिया है।डाॅ लुईस मरांडी झामुमो का दामन थामा।बताया जा रहा है डाॅ लुईस जामा विधानसभा से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ेगी।वही सत्यानंद झा उर्फ बाटुल नाला विधानसभा से निर्दल या किसी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे।अब ऐसे में कहीं ना कहीं भाजपा को इसका खामियांजा आने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है और इन सब का जिम्मेदार शिवराज सिंह चौहान, हिमंता विश्व शर्मा, बाबूलाल मरांडी ,अमर कुमार बावरी ही होंगे।आयिये जानते है सत्यानंद झा उर्फ बाटुल तथा डॉ लुईस मरांडी को कब कितना वोट प्राप्त हुआ तथा जिन्हें इन विधानसभा से भाजपा ने टिकट दिया है उन्हें कब कितना वोट प्राप्त हुआ है।
नाला विधानसभा: वर्ष 2000 में नाला विधानसभा में भाकपा से डॉ विशेश्वर खां 20324 वोट लाकर जित दर्ज किया।वही दूसरे स्थान पर झामुमो से रविंद्र नाथ महतो 19690,तीसरे स्थान पर कांग्रेस से राज कुमारी हिम्मत सिंह 17752 और चौथे स्थान पर भाजपा से सत्यानंद झा उर्फ बाटुल 16349 वोट प्राप्त हुआ।वर्ष 2005 में झामुमो से रविंद्र नाथ महतो 30847 वोट लाकर पहली बार विधायक बने।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से सत्यानंद झा उर्फ बाटुल 29725 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे।यानी सत्यानंद झा मात्र 1122 वोट से हार गये।वर्ष 2009 में भाजपा से सत्यानंद झा उर्फ बाटुल 38119 वोट लाकर पहली बार विधायक बनकर भाजपा का कमल खिलाया।वही दूसरे स्थान पर झामुमो से रविंद्र नाथ महतो को 34171 वोट प्राप्त हुआ।इस दौरान झारखंड सरकार में सत्यानंद झा उर्फ बाटुल झारखंड प्रदेश कृषि मंत्री भी बने।वही 2014 में झामुमो से रविंद्र नाथ महतो 56131 वोट लाकर दूसरी बार विधायक बने।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से सत्यानंद झा उर्फ बाटुल को 49116 वोट प्राप्त हुआ।वही 2024 के विधानसभा चुनाव में जिन्हें भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है यानी कि माधव चंद्र महतो 2014 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा पार्टी से पहली बार चुनाव मैदान में कूदकर तीसरे स्थान पर 20970 वोट प्राप्त हुआ ।वही 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो से रविंद्र नाथ महतो 61356 वोट लाकर तीसरी बार विधायक बने और झारखंड विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष बनाये गये।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से सत्यानंद झा 57836 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे।वही तीसरे स्थान पर भाकपा से कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया को 21394 वोट प्राप्त हुआ। वही 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले माधव चंद्र महतो जेविएम छोड़कर भाजपा का दामन थामा।माधव चंद्र महतो 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाने के रेस में थे।लेकिन उन्हे टिकट नही मिला तब वे बागी होकर भाजपा छोड़कर आजसू का दामन थामा और आजसू के टिकट से चुनाव मैदान में उतरकर चौथे स्थान पर 16877 वोट प्राप्त हुआ।
दुमका विधानसभा: वर्ष 2000 में झामुमो से स्टीफन मरांडी 43010 वोट लाकर विधायक बने।दूसरे स्थान पर भाजपा से सतीश सोरेन को 31788 वोट प्राप्त हुआ।वही 2005 में निर्दल से स्टीफन मरांडी को 41340 वोट प्राप्त कर दूसरी बार विधायक बने।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से मोहरिल मुर्मू को 35993 वोट प्राप्त हुआ। वही 2009 में झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 35129 वोट लाकर विधायक बने।वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा से पूर्व समाज कल्याण मंत्री डाॅ लुईस मरांडी को 32460 वोट प्राप्त हुआ ।वही 2014 में भाजपा से पहली बार पूर्व समाज कल्याण मंत्री डाॅ लुईस मरांडी 69760 वोट लाकर विधायक बनकर पहली बार भाजपा का कमल खिलाई।वही दूसरे स्थान पर झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 64846 वोट प्राप्त हुआ। वही 2019 में झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 81007 वोट लाकर पुनः विधायक बने।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से पूर्व समाज कल्याण मंत्री डाॅ लुईस मरांडी को 67819 वोट प्राप्त हुआ ।गौरतलब है कि 2019 में हेमंत दुमका तथा बरहेट दोनों विधानसभा से चुनाव जीत दर्ज किया था।नियमानुसार एक सीट हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा छोड़ना पड़ा।फिर से 2020 में दुमका विधानसभा में उपचुनाव हुआ।जिसमें झामुमो से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन 80559 वोट लाकर विधायक बने।वही दूसरे स्थान पर भाजपा से पूर्व समाज कल्याण मंत्री डाॅ लुईस मरांडी को 73717 वोट प्राप्त हुआ।