66वां राष्ट्रमंडल सम्मेलन समाप्त अगला सम्मेलन सिडनी में
अकरा, 06.10.23
आज राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की आम सभा जेनरल असेंबली का आयोजन किया गया।
घाना के संसद के स्पीकर श्री
अल्बान सुमाना किग्सफॉर्ड बागबिन ने आम सभा की अध्यक्षता की । राष्ट्रमंडल के महासचिव स्टीफन ट्विग ने बताया की राष्ट्रमंडल को विधायी स्वरूप देने की सहमति जो कनाडा में हुए पिछ्ले आम सभा मे की गयी थी , राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा उसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।सचिवालय के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को इस बात से अवगत करा दिया गया है कि अगर अगले 6 महीने में राष्ट्रमंडल को विधायी स्वरूप प्रदान नहीं किया गया तो राष्ट्रमंडल का मुख्यालय ब्रिटेन से हटा कर किसी अन्य देश में ले जाया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रमंडल की स्थापना एक कल्याणकारी संस्था के रूप में 1929 में की गयी थी और शुरूआत में वे स्वशासित देश जो ब्रिटिश सम्राट को अपना संप्रभु मानते थे, राष्ट्रमंडल के सदस्य थे।
1929 में पराधीन भारत का प्रतिनिधित्व श्री तेज प्रताप सप्रू ने किया था। आजादी के बाद भारत ने राष्ट्रमंडल में रहना इस शर्त पर स्वीकार किया कि वह राष्ट्रमंडल में तो रहेगा परंतु ब्रिटिश सम्राट की संप्रभुता स्वीकार नहीं करेगा। इस प्रकार भारत ने एक गणतंत्र के रूप में राष्ट्रमंडल की सदस्यता स्वीकार की। तब से अबतक राष्ट्रमंडल के स्वरूप में काफी परिवर्तन आया है। बहुत से ऐसे देश जो ब्रिटिश उपनिवेश नहीं थे वे भी राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं।
परंतु अब भी ब्रिटिश सम्राट् राष्ट्रमंडल के संरक्षक हैं और राष्ट्रमंडल का स्वरूप एक कल्याणकारी संस्था का है और इसका संचालन सदस्यों द्वारा दिये गए सहयोग राशि से होता है। इसे कानूनी स्वरूप प्रदान किये जाने से इसे वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी और इसे ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकेगा।
आम सभा में खाद्य सुरक्षा विषय पर चर्चा की गयी। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने आम सभा में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अगला सम्मेलन अगले वर्ष नवंबर में सिडनी, आस्ट्रेलिया में होगा।