नई दिल्ली. राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही संसद का बजट सत्र शुरू हो गया है. यह साल का पहला सत्र है. परंपरा के मुताबिक बजट सत्र की शुरुआत हमेशा राष्ट्रपति के अभिभाषण से की जाती है. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण पेश करेंगी. राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण की शुरुआत देश के वीरों को नमन करते हुए किया. राष्ट्रपति कहते हैं कि मैं देश के सभी लाखों स्वाधीनता सेनानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दी और देश को उसके हक दिलाए. उन्होंने कहा कि आजादी के इन 75 वर्षों में अब तक देश के विकास यात्रा में जितने भी लोगों ने अपना योगदान दिया है उन सभी महानुभावों का भी मैं श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करता हूं.
कोविंद अभिभाषण के दौरान कोरोना का जिक्र करते हुए कहते हैं, कोरोना ने देश की कईं मुश्किलें बढ़ाईं है, लेकिन मुझे इस बात को कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि आज भारत सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन वाले देशों में से है. आज देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की एक डोज़ मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों डोज़ ले चुके हैं. भारत में बन रही वैक्सीन्स पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं.
उन्होंने कहा, सरकार द्वारा 64 हजार करोड़ रुपए की लागत से शुरू किया गया प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन एक सराहनीय उदाहरण है. इससे न केवल वर्तमान की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाले संकटों के लिए भी देश को तैयार किया जा सकेगा. कोविंद बाबा साहेब को याद करते हुए कहते हैं कि महानपुरुष ने कहा था कि मेरा आदर्श ऐसा समाज होगा जो स्वाधीनता, भाईचारे पर आधारित होगा. बाबा साहेब के शब्दों को सरकार ध्येय वाक्य मानती है और इस बात की पुष्टि पद्म पुरस्कारों की जो लिस्ट आई वो करती है.
उन्होंने कहा कि सरकार देश में गरीबों के लिए कईं काम कर रही है. गरीबों को 2 करोड़ से ज्यादा पक्के घर मिले हैं. आवास योजना के तहत 1 करोड़ से ज्यादा घर स्वीकृत किए गए. पेय जल की व्यवस्था हुई, जिससे महिलाओं को राहत मिली, स्वामित्व योजना ये घर के कागज (प्रॉपर्टी कार्ड) मिले, जिससे विवाद कम हुए. जनधन-आधार-मोबाइल अर्थात JAM ट्रिनिटी को मेरी सरकार ने जिस तरह नागरिक सशक्तिकरण से जोड़ा है, उसका प्रभाव भी हम लगातार देख रहे हैं. 44 करोड़ से अधिक गरीब देशवासियों के बैंकिंग सिस्टम से जुड़ने के कारण महामारी के दौरान करोड़ों लाभार्थियों को सीधे कैश ट्रांसफर का लाभ मिला है.