खेतों में सरसों की फुल, मकर संक्रांति की करा रहे हैं एहसास
बहरागोड़ा। मकर संक्रांति का नाम सुनते ही मन काफी प्रफुल्लित हो जाता है।व्यक्ति के मन मस्तष्कि में पीले पीले फूल दिखने लगते है। खेतों में सरसों के पीले फूल देखकर मन में मादकता का एहसास होने लगता है। खेतों में पीली धरती को देखकर किसान फुले नहीं समा रहे है। सीवान पीले फूल से दुल्हन की तरह दिख रही है।
किसानो की पारंपरिक खेती में धान व गेंहू शामिल है। लेकिन खाद्य तेलों की कीमतों के आसमान छूने से नरवन व महाइच के किसान सरसों की खेती में अपना रुचि दिखा रहे है। किसान सरसों, तीसी के साथ अरहर व चना की खेती कर रहे है। प्रखण्ड के स्वर्णरेखा नदी से सठे कुछ गाँव मधुआबेड़ा गुहियापाल, चड़कमारा,डिंगाशाई,,गोहालडीहि, बामडोल,महुलडांगरी, जेनाडीह के किसानों के खेतों में सरसों की फसल लहलहा रही है।
पीले रंग से सजे खेतों को देखकर किसानों का दिल खुशी से झूम रहा है। सरसों के पीले फूल सीवान को मनमोहक बनाने में सहायक बन रहे है। खेतों में हल्की हवा बहते ही सरसो के फूल खुशी से झूमने लग जा रहे है। सरसों के पीले फूल के लहलहाने से मन मादकता का एहसास कर रहा है। पीले सरसों के फसल को देखकर मन पूरा प्रफुल्लित हो जा रहा है।
किसानों ने बताया कि जाड़े के दिनों में फसल पर कीट पतंगों का हमला कम होता है। इससे सरसों व तीसी की बेहतर पैदावार होने की संभावना बढ़ जाती है। मौसम में समय समय पर परिवर्तन का सरसों की फसल पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है। इससे किसानों को सरसों की खेती काफी फायदा देता है।