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    Home » Movie Review: बाप के आतंक से मां को छुड़ाने की लड़ाई- मैं लड़ेगा
    Headlines सिनेमा

    Movie Review: बाप के आतंक से मां को छुड़ाने की लड़ाई- मैं लड़ेगा

    Devanand SinghBy Devanand SinghApril 27, 2024No Comments3 Mins Read
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    Movie Review: बाप के आतंक से मां को छुड़ाने की लड़ाई- मैं लड़ेगा

    Movie Review- मैं लड़ेगा
    कलाकार- आकाश प्रताप सिंह , वल्लारी विराज , गंधर्व दीवान , अश्वथ भट्ट , सौरभ पचौरी , दिव्य खरनारे और राहिल सिद्दीक आदि
    लेखक- आकाश प्रताप सिंह
    निर्देशक- गौरव राणा
    निर्माता- अक्षय भगवानजी और पिनाकिन भक्त
    रिलीज- 26 अप्रैल 2024
    रेटिंग- 3.5/5

    ‘लाइफ आपको जब भी नॉकआउट करके नीचे गिरा दे ना, तो आपको गिरे नहीं रहना है, हर बार वापस उठना है और फिर से लड़ना है।’ गौरव राणा निर्देशित फिल्म ‘मैं लड़ेगा’ का यह डायलॉग ही अपने आप में फिल्म के सार को बयान करने के लिए काफी है।

     

     

     

    फिल्म की कहानी आकाश प्रताप सिंह (आकाश प्रताप सिंह) के इर्द-गिर्द घूमती है। पढ़ाई-लिखाई में होनहार आकाश घर में अपने पिता (अश्वथ भट्ट) द्वारा अपनी मां (ज्योति गौबा) पर की जाने वाली घरेलू हिंसा के कारण बहुत दुखी है। घर में वो और उसका एक छोटा भाई भी है, जो मां को बेरहमी से पिटते देख सहमे-सहमे रहते हैं। घरेलू हिंसा से दूर रखने और पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देने के लिए आकाश को उसके नाना और मां मिलिट्री स्कूल के हॉस्टल में पढ़ने भेज देते हैं। वहां आकाश खुद को नए सिरे से तलाश करता है।

     

     

    दुबला-पतला और डरपोक आकाश बॉक्सिंग सीखकर गोल्ड मेडल लाने की एक ऐसी चुनौती को अपनाता है, उसकी मां के नाना-नानी के घर आ जाने के बाद उसके पिता ने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च नहीं देने की धमकी दी है। इसलिए आकाश यह जिम्मेदारी खुद पर लेकर अपनी मां को गर्व महसूस करवाना चाहता है। उसके इस मिशन में उसका साथ देता है हॉस्टल का बॉक्सर गुरनाम (गंधर्व दीवान), उससे प्रेम करने वाली गौरी (वल्लरी विराज) और उसके दोस्त।

     

    निर्देशक गौरव राणा की ये फिल्म अच्छी नीयत के साथ बनाई हुई साफ-सुथरी फिल्म है, जहां किसी भी इमोशन या एक्शन को ओवर द टॉप नहीं किया गया है। मुक्केबाजी के सीन्स में कच्ची भावनाओं को कुशलता से जोड़ा गया है। फिल्म प्रेरणा देती है, असंभव को संभव बनाने की, मगर 2 घंटे 28 मिनट की लंबाई और स्क्रीनप्ले फिल्म में बाधा उत्पन्न करता है। फिल्म अगर 20 मिनट छोटी होती, तो ज्यादा इंपैक्ट छोड़ती, मगर इसके बावजूद कहानी और किरदारों की सरलता दर्शक को आकर्षित करती है।

     

     

    आकाश प्रताप सिंह का अभिनय उनकी निरीहता से लेकर बॉक्सर बनने की जर्नी तक बांधे रखता है। उनका अनकन्वेंशन लुक इस फिल्म में उनके किरदार को मजबूत बनाता है, जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया है। उन्होंने डर, गुस्से और जुनून के सभी भावों को खूबसूरती से जीने का काम किया है। पिता के रूप में अश्वथ भट्ट और मां के किरदार में ज्योति गौबा जंचते हैं।

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